पंचायत स्तरीय कृषि कार्यालयों के विकास को 29.52 लाख स्वीकृत

कृषि विभाग द्वारा किसानों को ससमय योजनाओं की जानकारी देने व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पंचायत स्तर पर संचालित कृषि कार्यालयों के लिए इस वर्ष 29 लाख 52 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jan 2020 09:56 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jan 2020 09:56 PM (IST)
पंचायत स्तरीय कृषि कार्यालयों के विकास को 29.52 लाख स्वीकृत
पंचायत स्तरीय कृषि कार्यालयों के विकास को 29.52 लाख स्वीकृत

रोहतास। कृषि विभाग द्वारा किसानों को ससमय योजनाओं की जानकारी देने व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पंचायत स्तर पर संचालित कृषि कार्यालयों के लिए इस वर्ष 29 लाख 52 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इन कार्यालयों को सुदृढ़ करने के लिए विभाग द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है। जहां आकर किसान कृषि संबंधी योजनाओं की जानकारी के साथ उसका लाभ लेने के लिए आवेदन जमा कर सकेंगे। पंचायत भवन में कृषि कार्यालय में रोस्टर के हिसाब से कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार रहेंगे। हफ्ते में दो दिन कृषि समन्वयक निश्चित रूप से रहेंगे। फसल इनपुट सब्सिडी, डीजल अनुदान सहित विभिन्न योजनाओं के आवेदन यहां जमा होंगे। किराए पर चल रहे 188 कार्यालय

जिले के सभी 246 पंचायतों में से महज 58 कृषि कार्यालय ही सरकारी भवनों में चलते हैं। उसमें 40 नवनिर्मित पंचायत भवन व 18 ई-किसान भवन में संचालित हो रहे हैं। शेष 188 पंचायत स्तरीय कृषि कार्यालय किराए के भवन में चलते हैं। जिनके लिए विभाग ने प्रति माह एक हजार रुपये तय कर रखा है। उन कार्यालयों के मद में 22.56 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। विभाग की योजना है कि

सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए प्रखंड कार्यालयों का चक्कर काटने से किसानों को अब मुक्ति मिल जाएगी। जिससे योजनाओं के लाभ से किसान अब वंचित नहीं रहेंगे। किसानों की हमेशा से शिकायत रहती है कि सुदूर गांवों में रहने वाले ऐसे कई किसान हैं, जो खेती कर जीवकोपार्जन करते है। लेकिन ऑनलाइन निबंधन व जानकारी नहीं होने की वजह से सरकारी लाभ से वंचित हो रहे हैं। किसान एक दो बार प्रखंड का चक्कर काटने के बाद निराश होकर घरों पर बैठ जाता है। सुविधाविहीन हैं पंचायत कृषि कार्यालय:

कृषि समन्वयकों की मानें तो सरकार के निर्देश पर पंचायत स्तर पर भले ही कार्यालय खुल गए हैं, लेकिन उपस्करों की कमी से वे परेशान हैं। वहां न कुर्सी टेबल हे न फाइलों व कागजातों को रखने के लिए आलमीरा। समन्वयक दरी पर बैठकर काम करते हैं और काम के बाद उसी दरी से रजिस्टर को ढंक कर घर चले जाते हैं। कृषि समन्वयकों के अनुसार कार्यालयों में कुर्सी, टेबल व गोदरेज उपलब्ध कराने के लिए राशि जिले में पड़ी है, लेकिन अब तक उपस्कर की खरीद नहीं हो सकी है। योजना के अनुसार कार्यालय में पांच प्लास्टिक की कुर्सी, टेबल, साइन बोर्ड व आलमीरा की व्यवस्था होनी चाहिए।

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