सदर अस्पताल में बनेगा नोडल यक्ष्मा सेटर

श्चह्वह्म ठ्ठद्ग2ह्य पूर्णिया : जिले में जल्द ही टीवी मरीजों के इलाज के लिए नोडल टीवी केंद्र स्थापित किया जाएगा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Dec 2018 10:03 PM (IST) Updated:Wed, 12 Dec 2018 10:03 PM (IST)
सदर अस्पताल में बनेगा नोडल यक्ष्मा सेटर
सदर अस्पताल में बनेगा नोडल यक्ष्मा सेटर

पूर्णिया : जिले में जल्द ही टीवी मरीजों के इलाज के लिए नोडल टीवी केंद्र स्थापित किया जाएगा। जहां जरूरत पड़ने पर आइसोलेशन के साथ भर्ती कर यहां इलाज किया जाएगा। इसके लिए फंड जिला स्वास्थ्य समिति को निर्गत कर दी है। सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड के साथ ही एक वार्ड में एक कमरे में टीबी सेंटर बनाया जाएगा। राज्य यक्ष्मा कार्यक्रम पदाधिकारी ने भी इसकी अनुमति दे दी है।

इलाज के साथ 24 घंटे होगी मॉनिट¨रग :

यक्ष्मा मरीज के इलाज और उनकी मॉनिटरिंग की व्यवस्था इस केंद्र में होगी। दरअसल भारत से टीबी का संपूर्ण उन्मूलन करने के लिए 2025 तक का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए विशेष और सघन अभियान चलाया जा रहा है।

निजी डॉक्टरों को देनी होगी सूचना :

देश में एक लाख में 217 टीबी के मरीज हैं। लेकिन कई निजी डॉक्टरों के पास इलाज करा रहे होते हैं उनकी पहचान और इंट्री नहीं होती है। उनका डाटाबेस तैयार नहीं होता है। बिहार में टीबी मरीज की पहचान और उसकी इंट्री की स्थिति बेहद खराब है। यहा एक लाख में महज 105 मरीज की ही इंट्री होती है या पहचान हो पाती है। अब सभी निजी डॉक्टरों को टीबी के मरीज के बारे में सूचना देने का निर्देश दिया गया है। निर्देश का पालन नहीं करने वाले डॉक्टर के खिलाफ सजा का भी प्रावधान है।

टीबी मरीज को मिलती है आर्थिक सहायता

टीबी के मरीजों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। सदर अस्पातल में सीवी नेट मशीन लगी हुई है। इससे गंभीर और जटिल टीबी के मरीज जिसके कीटाणु का पता नहीं चल पाता है उसकी जाच इस मशीन के द्वारा हो सकती है।

निजी दवा दुकान में रख सकते हैं टीबी की दवा :

इसके साथ ही अब निजी दवा दुकानों में भी मुफ्त सरकारी टीबी की दवा उपलब्ध होगी जो केमिस्ट यह दवा रखना चाहें उन्हे प्रमाण पत्र दिया जाएगा। दरअसल यक्ष्मा एक गंभीर बीमारी है और इसमें मृत्युदर अन्य किसी भी बीमारी की तुलना काफी अधिक है। प्रारंभिक अवस्था में पता चलने से इलाज काफी सुगम हो जाता है।

जागरूकता है जरूरी

इस दिशा में लोगों को जागरूक करने जरूरत है। सिविल सर्जन ने कहा कि सदर अस्पताल में टीबी मरीजों के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध है। इस दिशा में प्रखंड स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चल रहा है। टीबी से घबराने की जरूरत नहीं है। अस्पताल पहुंच कर दवा का कोर्स लेकर मरीज पूर्ण रूप से ठीक हो सकते हैं। जो निजी स्तर पर भी इलाज करा रहे हैं वह अस्पताल से मुफ्त टीबी की दवा ले सकते हैं।

प्रखंड स्तर तक चल रहा है सर्विलांस

टीबी मरीज की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। टीबी मरीज के सर्विलास के लिए प्रखंड स्तर तक फिल्ड वर्कर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही अब निजी डॉक्टरों को इससे साथ जोड़ा जा रहा ताकि वह सूचना सीएस ऑफिस को दें ताकि टीबी मरीज की पहचान शत-प्रतिशत हो सके।

फॉलोअप है बहुत जरूरी

टीबी मरीजों का फॉलोअप बहुत जरूरी होता है। ताकि यह दोबारा नहीं हो। दवा का पूरा कोर्स खाना जरूरी है। इस रोग को किसी कीमत पर छुपाना नहीं चाहिए।

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