सभी धर्म का होता है एक ही सार: निर्मलानंदजी महाराज

पूर्णिया। मनुष्य अपनी कामनाओं का परित्याग कर जीवन में निस्वार्थ भाव को जगह देते हुए शाति को प्र

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Dec 2019 11:06 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 11:06 PM (IST)
सभी धर्म का होता है एक ही सार: निर्मलानंदजी महाराज
सभी धर्म का होता है एक ही सार: निर्मलानंदजी महाराज

पूर्णिया। मनुष्य अपनी कामनाओं का परित्याग कर जीवन में निस्वार्थ भाव को जगह देते हुए शाति को प्राप्त कर सकता है। मनसा, वाचा, कर्मणा के सिद्धात पर नीतियों का पालन करते हुए जीवन जीना ही वास्तविक धर्म है। अहंकारी पुरुष को जीवन में कभी चैन व शाति की प्राप्ति नहीं हो सकती। मंदिर में भगवान नहीं होते ,उनका वास इंसान के दिलों में होता है । उक्त बातें बनमनखी मोहनिया चकला पंचायत अंतर्गत मोहनिया परवत्ता गाव में आयोजित दो दिवसीय सत्संग समारोह के समापन सत्र में रविवार को मंचासीन स्वामी निर्मलानंदजी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहीं। कृत्यानंद यादव, पवन कुमार यादव के द्वारा आयोजित दो दिवसीय सत्संग समारोह के अवसर पर महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट, भागलपुर से सद्गुरू महाराज के शिष्य स्वामी प्रमोद बाबा, स्वामी निर्मलानंदजी महाराज, स्वामी सत्यप्रकाश बाबा, स्वामी परमानंद बाबा, स्वामी रविन्द्र बाबा व देवभूमि हरिद्वार से स्वामी मुक्तानंद जी महाराज सहित कई अन्य संत हात्माओं का शुभागमन हुआ था। मंचासीन स्वामी प्रमोद बाबा ने कहा कि गुरु के कोई व्यक्ति ज्ञानी नहीं बन सकता और शाति के बिना मनुष्य का कल्याण नहीं हो सकता। वहीं स्वामी सत्यप्रकाश बाबा ने सत्संग की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य अपने धर्म का पालन नहीं करता वह वास्तव में मनुष्य नहीं है। सदाचार के अभाव में आज लोग काफी नीचे गिरते चले जा रहे हैं। बोले कि अगर मनुष्यों में सदाचार आ जाए और परस्पर मेल से रहें तो निसंदेह उज्जवल समाज का निर्माण होगा। स्वामी परमानंद बाबा ने कहा कि सत्संग के श्रवण से मनुष्य के मन का विकार दूर होता है। मन शात एवं आनंद की अनुभूति होती है। इस मौके पर काफी दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचे थे। उनके ठहराव, शुद्ध पेयजल भोजन सहित कई अन्य व्यवस्था सराहनीय रही। श्रद्धालुओं से आयोजन स्थल पर लगाया गया पंडाल भरा हुआ रहा।

chat bot
आपका साथी