केला फसल के लिए कैंसर बन रहा पनामा बिल्ट

पूर्णिया। किसानों की समृद्धि में सहायक केला फसल पर संकट मंडराने लगा है। पनामा बिल्ट नामक रोग केला फसल को बर्बाद कर रहा है। कैंसर की तरह ही इसका भी कोई उपचार किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कृषि विभाग की ओर से भी इसकी रोकथाम के लिए प्रयास नहीं हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Aug 2017 03:01 AM (IST) Updated:Wed, 02 Aug 2017 03:01 AM (IST)
केला फसल के लिए कैंसर बन रहा पनामा बिल्ट
केला फसल के लिए कैंसर बन रहा पनामा बिल्ट

पूर्णिया। किसानों की समृद्धि में सहायक केला फसल पर संकट मंडराने लगा है। पनामा बिल्ट नामक रोग केला फसल को बर्बाद कर रहा है। कैंसर की तरह ही इसका भी कोई उपचार किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कृषि विभाग की ओर से भी इसकी रोकथाम के लिए प्रयास नहीं हो रहा है। कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. गिरीशचंद्र कहते हैं कि फसल में इस रोग के पकड़ लेने के बाद बचाव संभव नहीं हो पाता। बीज दोष के कारण यह रोग फसल में फैलता है। इसके लिए किसानों को जागरूक होना होगा तथा बीज लगाने से पहले ही उसका दवाओं का उपयोग कर उपचार करना होगा।

वरदान की जगह अब कमर तोड़ रहा यह रोग

रूपौली विस क्षेत्र के किसानों के लिए केला फसल वरदान सिद्ध हुआ है। इससे किसानों में आर्थिक समृद्धि के साथ ही मजदूरों का भी काफी हद तक पलायन रुका है। लेकिन पनामा बिल्ट क्षेत्र के केला किसानों की कमर तोड़ रहा है। जिस खेत में यह रोग लग जाता है पूरी फसल सूख जाती है। इससे निजात के लिए किसानों और कृषि विभाग भी बेबस नजर आ रहे हैं।

जानिए, क्या है पनामा बिल्ट रोग

कृषि वैज्ञानिक डॉ. गिरीश चंद कहते हैं कि इस रोग का पता सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 1876 में लगा था। इसे पनामा बिल्ट अथवा उत्कंठा रोग भी कहते हैं। यह दूषित बीज लगाने से होता है। फसल पीली पड़ सूख जाती है। समय रहते इसे रोकना जरूरी है।

दूसरे विकल्प की तलाश में हैं किसान

यहां के किसान तेलडीहा गांव के अखिलेश ¨सह, मेंहदी गांव के अक्षय कुमार मंडल, प्रवीण कुमार सुमन, मिलन कुमार मंडल, सिकंदर कुमार मंडल, राकेश कुमार सुमन, कृत्यानंद मंडल आदि ने बताया कि पिछले चार-पांच सालों से यह रोग खेतों में फैलने लगा है। किसी एक किसान के खेत में यह रोग लगता है जो धीरे-धीरे महामारी की तरह आसपास के सभी खेतों में फैल जाता है तथा पूरी फसल सूख जाती है। वे लोग इससे काफी परेशान हैं तथा अब अन्य फसल के विकल्प की तलाश में हैं।

पनामा बिल्ट के रोक थाम के उपाय

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि रोग की रोकथाम के लिए शुरू से ही किसानों को सचेत होकर उपचार के उपाय करने होंगे। बीज लगाने के सम ही एक लीटर पानी में तीन ग्राम ट्राइकोडर्मा नामक दवा मिलाकर पौधे में डालें। फिर 15 दिन के अंतराल पर इस प्रक्रिया को चार बार दोहराएं। इसके अलावा कारबेंडिज्म का भी प्रयोग किया जा सकता है। बीज लगाने के समय ही उपचार किए जाने से यह रोग फसल में नहीं फैल सकता है।

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