20 अरब के पार पहुंचा कोसी-पूर्णिया का मक्का कारोबार

पूर्णिया। मक्का का उत्पादन और व्यापार का बड़ा हब बन गया है पूर्णिया। पूर्णिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर

By Edited By: Publish:Mon, 20 Feb 2017 01:01 AM (IST) Updated:Mon, 20 Feb 2017 01:01 AM (IST)
20 अरब के पार पहुंचा कोसी-पूर्णिया का मक्का कारोबार
20 अरब के पार पहुंचा कोसी-पूर्णिया का मक्का कारोबार

पूर्णिया। मक्का का उत्पादन और व्यापार का बड़ा हब बन गया है पूर्णिया। पूर्णिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर का मक्का तैयार हो रहा है जिस कारण यहां का यह ग्रेन देश के दूसरे प्रांतों के अलावा विदेशों में भी एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। कोसी और पूर्णिया में हर साल 16.24 लाख मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन हो रहा है और हर साल रेल और सड़क मार्ग से 14 लाख मीट्रिक टन मक्का बाहर जा रहा है। कोसी और पूर्णिया का प्रति वर्ष मक्के का कारोबार करीब 20 अरब के पार हो गया है लेकिन विडंबना है कि ट्रेडर यहां के मक्का से लाखों की आय प्राप्त कर रहे हैं बावजूद इसके उत्पादक किसानों की स्थिति बदहाल बनी हुई है। मल्टीनेशनल कंपनी इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र यादव कहते हैं कि कंपनी द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि पूरे राज्य का 85 फीसद मक्का भागलपुर, कोसी और सीमांचल के क्षेत्र में उत्पादन होता है। सर्वे के आंकड़े के अनुसार सिर्फ पूर्णिया और कोसी से 14 लाख मीट्रिक टन मक्का यहां से रेल और रोड मार्ग द्वारा बाहर भेजे जाते हैं। यहां के मक्का की क्वालिटी काफी अच्छी है तथा यूपी, एमपी, हरियाणा, उत्तराखंड के अलावा सबसे अधिक यहां का मक्का दक्षिण भारत में जाता है। ड्रायर हाउस खुल जाने से यहां के मक्का की क्वालिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो गई है जिससे इसकी अधिक मांग है। दवा, फीड व अन्य सामग्री बनाने वाली कंपनियां यहां मक्का खरीदने आती है।

पूर्णिया की अच्छी क्वालिटी के मक्का का कद्रदान विदेशी कंपनियां भी हो गई हैं। फ्रांस, आस्ट्रेलिया, लंदन, ¨सगापुर, जापान आदि आधा दर्जन देशों की विभिन्न कंपनियां यहां से दो से तीन लाख टन मक्का हर साल खरीदारी करती है। मक्का की बिक्री का सबसे बड़ा केंद्र है उत्तर बिहार की सबसे बड़ी मंडी गुलाबबाग। यहां न सिर्फ पूर्णिया बल्कि कोसी और दूसरे जिलों के किसान भी अपनी फसल बेचने आते हैं। इसलिए मक्का का कारोबार यहां अरबों में पहुंच गया है। ग्लुकोज, दवा, फीड, फूड प्रोडक्ट आदि बनाने वाली विदेशी कंपनियां हर साल यहां से करोड़ों का मक्का खरीद कर ले जाती है। पूर्णिया जंक्शन स्थित रेल रैक के अलावा जलालगढ़, रानीपतरा से मक्का यूपी, एमपी, उत्तराखंड व दक्षिण भारत में भेजे गए थे जबकि इससे ढ़ाई गुना अधिक मक्का सड़क मार्ग से बाहर भेजे गए थे।

पूर्णिया और कोसी प्रमंडल में मक्का किसानों के लिए सबसे बड़ा कैश क्रॉप बन गया है। सिर्फ पूर्णिया में पिछले साल 39,765 हेक्टेयर मे मक्का लगाई गई थी लेकिन जिस मक्का से विदेशी कंपनियां और ट्रेडर करोड़ों-अरबों कमा रहे हैं, उसके उत्पादक किसान बदहाल हैं। किसानों से जहां 1,400 रुपये प्रति ¨क्वटल मक्का खरीदे जा रहे हैं वहीं उसे ट्रेडर डेढ़ से दो गुना रेट पर बेचते हैं। किसानों की फसल बेचने के लिए सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों का जहां शोषण हो रहा है वहीं सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है। बाजार समिति भंग रहने के कारण मंडी में होने वाले करोड़ों के कारोबार का कोई टैक्स सरकार के खाते में नहीं जा रहा है। सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

विदेशी कंपनी--मुख्यालय देश-=-टर्न ओवर

1. रॉकेट--फ्रांस- 80 हजार से 1 लाख टन

2.कारगिल--लंदन-- 20 से 25 हजार टन

3.नोबेल नेचुरल--¨सगापुर--25 से 30 हजार टन

4.एग्रीकोर--फ्रांस--16 से 20 हजार टन

5.आस्ट्रेलिया बीट बोर्ड--आस्ट्रेलिया--6 से 8 हजार टन

6.बुंगे--जापान--4 से 6 हजार टन

7.स्कायलार्क- हरियाणा--25 से 30 हजार टन

8.एनबीएससी, एनसीएमएसएल--25 से 30 हजार टन

रेल और रोड से बाहर जाने वाला मक्का (लाख मीट्रिक टन में)

रेक प्वाइंट--रैक से होने वाला डिस्पैच-रोड से होने वाला डिस्पैच

पूर्णिया--1.04--1.5

कटिहार--0.78-0.91

रानीपतरा--0.52-0.65

जलालगढ़-0.52--0.52

सेमापुर-1.04 -1.17

कुरसेला--0.39-0.39

नवगछिया-0.26-0.26

सहरसा-0.39--0.39

सोनवर्षा--0.26--0.39

मधेपुरा-0.39--0.39

किशनगंज-0.208--0.26

दालकोला-0.52--0.65

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