फूलों के कारोबार ने दिखाया मंजिल का रास्ता, महक उठा महिलाओं का घर-परिवार

पटना में महिलाएं घर की दहलीज डांककर कारोबार कर रही हैं। कोई बड़ा नहीं फूलों का। कैसे हुई इनकी शुरुआत, जानें।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 12:30 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 12:30 PM (IST)
फूलों के कारोबार ने दिखाया मंजिल का रास्ता, महक उठा महिलाओं का घर-परिवार
फूलों के कारोबार ने दिखाया मंजिल का रास्ता, महक उठा महिलाओं का घर-परिवार

श्रवण कुमार, पटना। चीथड़ों में लिपटा बदन और कई-कई जून भूखे पेट गुजरती जिंदगी अब बीते दिनों की बात हो गई। दहलीजों के भीतर कुम्हला रही महिलाओं पर जब आशा की ज्योति पड़ी, तब खुशियों के फूल खिल उठे। संघर्ष से शुरू हुआ सफर मेहनत और लगन के बूते सीढ़ी दर सीढ़ी मंजिल की ओर बढ़ चला। फूलों की खेती कर आशा देवी ने न सिर्फ अपनी, बल्कि दर्जन भर महिलाओं के जीवन में ऐसी खुशबू बिखेरी कि उजड़ने के कगार पर पहुंची बगिया गुलजार हो गई।

गरीबी और घुटन से बाहर आया जीवन

राजधानी से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित है बिहटा प्रखंड। यूं तो इस प्रखंड का अमहरा गांव आर्थिक और शैक्षणिक रूप से समृद्ध है, पर इसी गांव के एक कोने में कच्चे मकानों की दहलीज के भीतर कुछ महिलाओं की जिंदगी गरीबी की घुटन से कुम्हला रही थी। न तो उनके घरों में शिक्षा की लौ थी, न ही जीवन में जीने की चाह। ऐसे में कुछ करने की छटपटाहट में आशा देवी और सुनीता देवी ने दहलीज को लांघा और कुदाल पकड़ खेतों में कूद पड़ी। छोटी सी बगिया में फूलों की खेती शुरू कर दी। फिर क्या था।

हाथ से हाथ मिले और बढ़ गई ताकत

देखते ही देखते घरों से लगभग दर्जन महिलाएं निकल पड़ीं। पहले तो सबने अपना नाम लिखना सीख साक्षरता की सूची से खुद को जोड़ा। इसके बाद शुरू हुई गरीबी से लड़ाई। जब हाथ से हाथ मिले और ताकत बने, तब बैंक भी साथ आये। सबने मिलकर ज्योति जीविका समूह बना डाला और बैंक से बारह-बारह हजार का कर्ज लिया। इस राशि से दो बीघा खेत पट्टे पर ले लिया।

महकी खुशबू तो बरसने लगी कृपा

नारी शक्ति जब सामूहिक रूप से खेत में उतरी, तब फूलों की खुशबू दूर-दूर तक बिखरने लगी और लक्ष्मी कृपा बरसने लगी। आज न सिर्फ आशा देवी और सुनीता देवी बल्कि रीता देवी, प्रभावती देवी, मधुमाला देवी, कांति देवी, रीना देवी, धरमशीला देवी, पिंकी देवी और कौशल्या देवी की जिंदगी में खुशहाली छा गई है। फूलों के खेत में गेंदा, मोगरा, पाफरी, चिना और चेरी खिल रहे हैं। इन फूलों की बाजार में काफी डिमांड है, इसलिए अच्छे दाम मिल जाते हैं। जब दाम मिलने लगे तब महिलाओं ने अपने कर्जो से मुक्ति पाई। अब हर सीजन में कम से कम पचास-साठ हजार की कमाई महिलाएं कर लेती हैं।

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