केंद्र के पास अटका है नदी जोडऩे की योजनाओं का डीपीआर : जल संसाधन मंत्री

जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि जल संसाधन विभाग के विजन में बिहार का विजन है और वह है यहां सिंचाई की क्षमता को विकसित करना। बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Thu, 17 Dec 2015 01:19 PM (IST) Updated:Thu, 17 Dec 2015 01:36 PM (IST)
केंद्र के पास अटका है नदी जोडऩे की योजनाओं का डीपीआर : जल संसाधन मंत्री

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि जल संसाधन विभाग के विजन में बिहार का विजन है और वह है यहां सिंचाई की क्षमता को विकसित करना। बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है।

सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी तो किसानों का उत्पादन बढ़ेगा और इससे हमारे जीडीपी में बढ़ोतरी होगी। हमारी कर्ज लेने की क्षमता भी बढ़ेगी। बिहार का विकास हो जाएगा। जल संसाधन मंत्री ने विभाग के विजन और आने वाले समय की योजनाओं के बारे में जो कुछ बताया उसके अंश...

जल संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में आप किस लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं?

-जल संसाधन विभाग का मूल लक्ष्य है सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी करना। इस दिशा में कई योजनाओं पर काम चल रहा है पर नदी जोड़ योजना को गति मिले यह उनकी प्राथमिकता में है।

क्या हाल है नदी जोड़ परियोजनाओं का?

- नदी जोडऩे की तीन परियोजनाओं का मामला केंद्र के पास अटका है। सकरी-नाटा लिंक, बूढ़ी गंडक-नन-वाया गंगा लिंक तथा कोसी मेची लिंक नदी जोड़ योजना के डीपीआर को मंजूर कर सेंट्रल वाटर कमीशन के स्थानीय कार्यालय ने केंद्र को भेज दिया है। अभी यह केंद्र की तकनीकी कमेटी के पास लंबित है। इसके अतिरिक्त आठ अन्य योजनाओं को ले विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार किए जाने की कार्रवाई चल रही है।

क्या फायदा होगा तीन नदी जोड़ योजनाओं का?

-सिंचाई के लिए वरदान होंगी ये योजनाएं। सकरी- नाटा लिंक से शेखपुरा नवादा व इससे जुड़े के एक बड़े हिस्से, बूढ़ी गंडक-नून वाया गंगा लिंक से समस्तीपुर तथा कोसी-मेची लिंक से तो अररिया-किशनगंज तक के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा।

दशकों से लंबित हैं कई सिंचाई योजनाएं। उन पर अब चर्चा भी नहीं होती। ऐसा क्यों?

-अटकी योजनाओं की एक बड़ी बाधा जमीन अधिग्रहण है। जल संसाधन विभाग ने यह तय कर लिया है कि जहां सिंचाई योजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध है वहां काम होगा। जहां जमीन को लेकर बाधा है उसका इंतजार न कर उसे मानीटरिंग में रख दूसरी योजनाओं के काम को आगे बढ़ा दिया जाएगा।

कटाव निरोधी योजनाओं को लेकर किस तरह के कार्यक्रम हैं?

-कटाव निरोधी योजनाओं के संबंध में हमने यह स्पष्ट कहा है कि यह काम हर हाल में पंद्रह मई तक पूरा हो जाना चाहिए। पंद्रह मई का मतलब पंद्रह मई है। इस बारे में सभी संबंधित अभियंताओं को हर हाल में 25 मई तक कंप्लाइंस रिपोर्ट मुख्यालय को भेजना है।

बाढ़ सुरक्षा योजना को लेकर क्या हो रहा है?

-अगले वर्ष बाढ़ सुरक्षा की किन-किन योजनाओं पर काम होना है इसकी सूची तैयार है। इस पर काम हो रहा है। सभी जिलों को इस बारे में हिदायत भी है।

बाढ़ सुरक्षा योजनाओं की मानीटरिंग को लेकर क्या कर रहे हैं?

-अब इसके लिए खास तौर पर अभियंता होंगे। मानीटरिंग की जिम्मेवारी ले रहे मुख्य अभियंता को सिर्फ बाढ़ पर ही अपने को केंद्रित करना है। इससे सहूलियत होगी। फ्लड कंट्रोल डिवीजन को टास्क दे दिए गए हैं।

नहरों को लेकर किस तरह का काम हो रहा?

-पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली के पुनस्र्थापन का काम 2061.82 करोड़ रुपये की लागत से प्रगति पर है। इससे सारण, गोपालगंज एवं सीवान जिले के किसानों को फायदा होगा। मार्च 2018 तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। पूर्वी गंडक नहर प्रणाली के पुनस्र्थापन का काम 684.78 करोड़ रुपये की लागत से लगभग पूरा कर लिया गया है।

पूर्वी गंडक नहर परियोजना फेज-2 के तहत 1783.33 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत की गयी है। इस योजना के लिए भू अर्जन की प्रक्रिया चल रही है। पूर्वी कोसी नहर प्रणाली के पुनस्र्थापन का काम 750.76 करोड़ रुपये की लागत से प्रगति पर है। पश्चिमी कोसी परियोजना का शेष काम मार्च 2017 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है।

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