बिहार: दिल से दल को तो दूर किया, बस..हुजूर ने आते-आते बहुत देर कर दी, जानिए

इस बार के लोकसभा चुनाव में कई दिग्गजों को पार्टियों ने दरकिनार कर दिया तो कई खुद ही दल से दूर हो गए। कुछ ने सबकुछ भुलाकर टिकट लिया और चुनाव लड़ने का फैसला किया। जानिए...

By Kajal KumariEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 09:47 AM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 10:05 PM (IST)
बिहार: दिल से दल को तो दूर किया, बस..हुजूर ने आते-आते बहुत देर कर दी, जानिए
बिहार: दिल से दल को तो दूर किया, बस..हुजूर ने आते-आते बहुत देर कर दी, जानिए

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। बिहार में राजनीति के कई पुराने दिग्गजों ने इस आम चुनाव के समय अपने पुराने दल को दिल से दूर कर दिया है। कुछ ने तो इस काम के लिए मुहूर्त सही रखा पर कुछ ने आते-आते बहुत देर कर दी।

मंगनीलाल मंडल की चर्चा के साथ झंझारपुर की बात

झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का चुनाव 23 अप्रैल को होना है। इस क्षेत्र के लिए मंगनी लाल मंडल का नाम जाना-पहचाना है। मंडल एक पखवाड़ा पहले तक राजद के साथ थे। उन्हें उम्मीद थी कि राजद के टिकट पर वहां से वे महागठबंधन के प्रत्याशी होंगे। पर मामला नहीं बना और वे राजद को छोड़ सीधे जदयू में आ गए।

वर्ष 2009 के आम चुनाव में मंगनी लाल मंंडल ने जदयू प्रत्याशी के रूप में झंझारपुर से 72 हजार वोटों से चुनाव जीता था। उन्होंने राजद के देवेंद्र प्रसाद यादव को हराया था। वर्ष 2014 के आम चुनाव में भी मंगनी लाल मंडल ने झंझारपुर से चुनाव लड़ा था।

राजद के टिकट पर वह मैदान में थे पर भाजपा के वीरेंद्र कुमार चौधरी से वह मात्र 55 हजार वोट से चुनाव हार गए थे। इस बार प्रत्याशी होने के बाद मंडल जदयू में शामिल हुए। इसके पूर्व जदयू ने रामप्रीत मंडल को वहां से अपना प्रत्याशी तय कर दिया था।

राजद ने गुलाब यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। मंगनी लाल मंडल चाहे चुनाव मैदान में हों या नहीं पर उनकी सक्रियता का बड़ा असर दिखता रहा है।

उदयनारायण चौधरी की बस छूट गई

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी की बस इस आम चुनाव में छूट गई। मई 2018 में उन्होंने जदयू को नमस्कार कर दिया था। एक समय वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के भी करीबी थे। जदयू छोडऩे के बाद वह कुछ दिनों तक शरद यादव के साथ रहे। जदयू के टिकट पर वह जमुई से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके है।

शरद यादव के साथ जाने पर यह चर्चा थी कि वह राजद के टिकट पर जमुई से चुनाव लड़ सकते हैैं पर बात बनी नहीं। सीट शेयरिंग के तहत महागठबंधन में वह सीट रालोसपा को चली गई। गया में उदयनारायण चौधरी को चुनाव में हराए जीतनराम मांझी मैदान में थे। आखिरकार वह राजद में शामिल हो गए। दलित कार्ड के रूप में महागठबंधन इन्हें मैदान में घुमाएगा।

शत्रुघ्न-नागमणि तो पा गए टिकट, कीर्ति आजाद खूब खीझे

दिल से अपने दल को उतार चुके शत्रुघ्न सिन्हा को इतना जरूर फायदा हुआ कि कांग्रेस ने उन्हें पटना साहिब सीट से प्रत्याशी बना दिया पर कीर्ति आजाद का मामला जमा नहीं। उन्हें महत्व तो मिला पर वह खीझ गए। रालोसपा को छोड़ जदयू में शामिल हुए नागमणि को भी फायदा हुआ है।

हम छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए महाचंद्र सिंह को भी देर हो जाने की वजह से कोई फायदा नहीं हुआ। वे भी टिकट के दावेदार थे। 

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