सिकुड़े वॉल्व को बदल रूमेटिक हॉर्ट डिजीज का इलाज अब संभव
राजधानी पटना स्थित आइजीआइएमएस में दो मरीजों के सिकुड़े वॉल्व को बदलकर चिकित्सकों ने इन्हें नया जीवन दान दिया है। हृदय में वॉल्व का सिकुड़ना रूमेटिक हॉर्ट डिजीज की वजह से होता है।
पटना [जेएनएन]। धीरे धीरे ही सही लेकिन यह सच है कि राजधानी पटना भी मेडिकल साइंस के मामले में प्रगति कर रहा है। आए दिन यहां के अस्पतालों में विभिन्न तरह के रोगों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के जरिए दूर करने की हर कोशिश की जा रही है। और यहां के चिकित्सकों को सफलता भी मिल रही है। इससे रोगियों के बीच पटना छोड़कर किसी दूसरे राज्यों में जाने की चाह कम होती जा रही है। यही नहीं क्या सरकारी और क्या निजी अस्पताल सभी जगहों पर चिकित्सक कड़ी मेहनत कर रहे है।
अब देखिए न, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्डियोलॉजी (आइजीआइसी) के चिकित्सकों ने दो मरीजों को सिकुड़े वॉल्व को बदल कर मरीज को नया जीवन दिया है। दोनों मरीज रूमेटिक हॉर्ट डिजीज से पीड़ित थे। विभा कुमारी की लगातार सास फूलने के साथ ही छाती में दर्द तथा धड़कन कम महसूस होने जैसी समस्या थी। वहीं, जयराम के सीने में दर्द रहने के साथ हाथ व पांव में सूजन थी। आइजीआइसी में आने के बाद ईसीजी, एक्स-रे और इको जांच में हार्ट के एक वॉल्व में सिकुड़न की समस्या की जानकारी हुई।
कार्डियक सर्जन डॉ. अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि हृदय का वॉल्व बदलने के लिए क्रोर्डल प्रिजर्वेशन तकनीक का प्रयोग किया गया। इससे मरीज को हार्ट लंग्स मशीन के माध्यम से ऑपरेशन हुआ। इसमें मशीन के सहारे मरीज का धड़कन व सांस को जारी रखा गया। मशीन के माध्यम से उसको ऑक्सीजन दी जा रही थी। ऑपरेशन में टीम ने मरीज के हृदय के चार वाल्व में सिकुड़े हुए एक वॉल्व को निकाल कर कृत्रिम वॉल्व लगा दिया गया।