अपनों के लिए आफत बन रहे सियासत के ये सितारे, दे रहे पार्टी विरोधी बयान

बिहार के कई नेता अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किल खड़ा कर रहे हैं। भाजपा समेत तमाम बड़े दल अपनों की बेवफाई से परेशान हैं। तीखे बयान से पार्टी आलाकमान को असहज कर रहे हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Fri, 29 Dec 2017 07:29 PM (IST) Updated:Sat, 30 Dec 2017 10:32 PM (IST)
अपनों के लिए आफत बन रहे सियासत के ये सितारे, दे रहे पार्टी विरोधी बयान
अपनों के लिए आफत बन रहे सियासत के ये सितारे, दे रहे पार्टी विरोधी बयान

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के राजनीतिक सितारे अपनों के लिए ही मुश्किल खड़ा कर रहे हैं। भाजपा समेत तमाम बड़े दल अपनों की बेवफाई से परेशान हैं। तीखे बयानों से नेता-अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा एवं सांसद कीर्ति आजाद भाजपा को असहज कर रहे हैं तो उदय नारायण चौधरी के बागी रूख से जदयू को दो-चार होना पड़ रहा है। कांग्र्रेस की कथा भी अलग नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष की लड़ाई में अशोक चौधरी पार्टी की फजीहत करने पर तुले हैं। इसी तरह हम प्रमुख जीतन राम मांझी का तीर-तरकश भी अक्सर अपने ही गठबंधन पर तना रहता है।

भाजपा के लिए सबसे बड़े बेवफा फिल्म अभिनेता एवं पटना के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा साबित हो रहे हैं। वह कई महीने से पार्टी लाइन से हटकर शीर्ष नेताओं के शत्रु बने हुए हैं। चारा घोटाले में अदालत के फैसला आने से कुछ घंटे पहले बिहारी बाबू ने लालू प्रसाद को देश का दोस्त और जनता का हीरो करार देकर अपनी पार्टी को असहज कर दिया था। लालू के लिए उन्होंने प्रार्थना भी की।

तीन दिन पहले दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाए जाने पर प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा कर दिया। केजरीवाल के पक्ष में कसीदे पढ़े और कहा कि उन्हें बुलाया गया होता तो नरेंद्र मोदी की शान में इजाफा होता।

ऐसी ही स्थितियों में दरभंगा से लोकसभा सदस्य कीर्ति आजाद को भाजपा ने पार्टी से निलंबित कर रखा है। उन्होंने दिल्ली क्रिकेट संघ के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद पार्टी ने यह कार्रवाई की।

बेगूसराय के सांसद भोला सिंह के बोल-बचन भी भाजपा के अनुकूल नहीं है। विधानसभा चुनाव के पहले राजग के नए सहयोगी बने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बोल भी वक्त-वक्त पर बदलते रहते हैं। कभी भाजपा नेतृत्व की तारीफ तो कभी दलित राजनीति की ओट में हमला करने से नहीं चूकते।

महागठबंधन पर संकट के दौरान कांग्रेस को बिहार में एकजुट रखने में नाकाम साबित हो रहे अशोक चौधरी को जैसे ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया, वह अपने आप पर आ गए। उन्होंने वरिष्ठ नेता सीपी जोशी का नाम लेकर बवाल भी किया। रिश्वत लेकर काम करने का आरोप लगाया। संकेत है कि राज्य में महागठबंधन की सरकार जाने के बाद से चौधरी का झुकाव नीतीश कुमार की ओर अधिक है।

चौधरी को रास आ रहे लालू

कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे जदयू के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी दलित राजनीति के नाम पर पार्टी लाइन से भटककर लालू प्रसाद की राह पर चलने लगे हैं। उन्हें जदयू से अरुचि और राजद से लगाव हो गया है। नीतीश की पूर्ववर्ती सरकार में चौधरी लगातार 10 वर्षों तक विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं।

लालू के खिलाफ अदालती कार्रवाई में अब पूर्व स्पीकर को बदले की भावना नजर आने लगी है। परोक्ष रूप से अपने नेतृत्व पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा है कि जो भाजपा के सामने घुटने नहीं टेकते हैं, उनके विरुद्ध साजिश की जाती है।

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