बिहार में शराबबंदी कानून में होगा संशोधन, सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, जानिए क्‍या होगा बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को शराबबंदी कानून में संशोधन को हरी झंडी दे दी है। अब सजा और जुर्माने के प्रावधान बदल सकते हैं। हालांकि, पीने-बेचने पर कोई छूट नहीं मिलेगी।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Sun, 10 Jun 2018 03:22 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jun 2018 10:44 PM (IST)
बिहार में शराबबंदी कानून में होगा संशोधन, सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, जानिए क्‍या होगा बदलाव
बिहार में शराबबंदी कानून में होगा संशोधन, सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, जानिए क्‍या होगा बदलाव

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में शराबबंदी कानून में बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की सहमति मिल गई है। सरकार अब सजा और जुर्माने के नियमों में बदलाव करेगी। बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद कानून, 2016 से संबंधित मुकदमा अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। बिहार सरकार ने अर्जी लगाई थी कि हम कानून में बदलाव करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा है कि विधायिका को किसी भी कानून को लागू करने, संशोधित करने या अवैध घोषित करने का अधिकार है। बिहार सरकार अपने अधिकार का पालन करे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 जून को पटना में जदयू के सम्मेलन में शराबबंदी कानून के दुरुपयोग की चर्चा करते हुए संकेत दिया था कि हम बदलाव को तैयार हैं। महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि हमने एक पखवारा पहले सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में अनुरोध किया था। कोर्ट की सहमति मिलने के बाद इस संबंध में अब तत्परता से काम होगा।

शराबबंदी कानून में कड़ी सजा का है प्रावधान

पटना हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2016 को शराबबंदी कानून को गैरकानूनी करार देते हुए इसे रद करने का फैसला दिया था। बिहार सरकार ने इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। 2016 में ही गांधी जयंती पर बिहार सरकार ने शराबबंदी के लिए नया बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद कानून 2016 लागू किया, जिसमें सजा के प्रावधान और कड़े कर दिए गए थे।

शराब बनाने, बेचने और पीने के मामले में 5 साल से आजीवन कारावास तक की सजा तथा 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। किसी परिसर या वाहन से शराब जब्त होने पर उसे जब्त और नीलाम किया जाता है। मालिक के खिलाफ मुकदमा होता है।

सजा के प्रावधान बदलेंगे, जब्ती और नीलामी के नियम भी

सूत्रों का कहना है कि शराब बनाने, बेचने या पीने को लेकर कोई छूट देने पर किसी तरह का विचार नहीं किया जा रहा। सरकार सजा के प्रावधान में रियायत देने पर विचार कर रही। न्यायालय में शराबबंदी से जुड़े मामले की पैरवी कर रहे राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने यह सुझाव दिया है कि शराब की बोतल मिलने पर संबंधित घर को जब्त करने का नियम ज्यादा कड़ा है। इसे हटाया जा सकता है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानी बस, टैक्सी में शराब की बोतल मिलने पर वाहन को जब्त किए जाने का नियम है, जबकि बस या टैक्सी के मालिक को इसकी जानकारी नहीं रहती कि यात्री अपने साथ क्या लेकर चल रहा। इसमें रियायत मिल सकती है। शराब पीते हुए पकड़े जाने की सजा कुछ कम हो सकती है, लेकिन सार्वजनिक रूप से शराब पीने वाले को रियायत नहीं मिलेगी। जुर्माना की राशि को भी कम करने पर विचार किया जा रहा है।

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