बिहार में किसानों को चपत लगाने वाले अफसरों पर कसेगा शिकंजा
कृषि विभाग के अफसरों की कोताही से किसानों को मुआवजा मिलने में देरी हो रही है। बाढ़ प्रभावित जिलों के करीब तीन लाख किसानों के सत्यापन नहीं हुआ है। इसके लिए जिम्मेदार कृषि समन्वयकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में बाढ़ पीडि़त किसानों के सत्यापन में हीलाहवाली करने वाले अफसरों की खैर नहीं है। कृषि विभाग के अफसरों की कोताही से किसानों को मुआवजा मिलने में देरी हो रही है। ऐसे में सरकार ने जिम्मेदार कृषि समन्वयकों के खिलाफ शिकंजा कसने की कवायद तेज कर दी है। कृषि सचिव ने जिला कृषि पदाधिकारियों को स्पष्टीकरण लेने के आदेश दिए हैं। किसानों की दुश्वारियां यह है कि बाढ़ में फसल को नुकसान हुआ है, लेकिन सत्यापन नहीं होने के कारण उनको मुआवजा (कृषि इनपुट सब्सिडी खरीफ 2020-21) मिलने में देर हो रही है। इसके लिए जिम्मेदार कृषि समन्वयकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है।
तीन लाख किसान हैं परेशान
कृषि सचिव ने जिला कृषि अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब करने के आदेश दिए हैं। बाढ़ प्रभावित जिलों के करीब तीन लाख किसानों का सत्यापन नहीं हुआ है।
बता दें कि कृषि इनपुट सब्सिडी खरीफ (2020-21) के तहत मुआवजा लेने को 17 जिलों के 15 लाख किसानों ने आवेदन किया था। इसमें दो लाख 96 हजार 885 किसानों के मामले सत्यापन के कारण जिला स्तर पर ही लंबित हैं। इस वजह से डीबीटी के जरिए किसानों के खाते में पैसा भेजने की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है। दो फरवरी को कृषि सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कृषि इनपुट सब्सिडी की समीक्षा बैठक में इस बात पर नाराजगी जताई है। कृषि समन्वयकों को आवेदनों का सत्यापन 29 जनवरी तक करना था। खगडिय़ा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी और वैशाली में कृषि समन्वयकों की इस लापरवाही के कारण आवेदन संबंधित जिला कृषि अधिकारियों के पास ऑटो फारवर्ड हो गया है।
ऐसे जिलों के जिला कृषि अधिकारियों ने दोषी कृषि समन्वयकों से स्पष्टीकरण मांगा है। सारण, सहरसा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण में एडीएम के स्तर सत्यापन कार्य लंबित है। इन अधिकारियों को भी पत्र लिखा गया है।