बौद्ध स्तूप की शक्ल में दिखेंगे किउल-गया के स्टेशन, दूर से ही नजर आएगा मगध साम्राज्य का इतिहास

किउल-गया के सभी रेलवे स्टेशनों को बौद्ध कला की शक्ल में विकसित किया जा रहा है। वैशाली व दूसरे स्टेशनों के भवनों को भी बौद्ध कला की शक्ल देने की कोशिश की जा रही है। नए स्टेशन भवनों के निर्माण में मौर्य काल के भवनों को ध्यान में रखा गया।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 05:22 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 05:22 PM (IST)
बौद्ध स्तूप की शक्ल में दिखेंगे किउल-गया के स्टेशन, दूर से ही नजर आएगा मगध साम्राज्य का इतिहास
बिहार के शेखपुरा स्टेशन पर चल रहा निर्माण कार्य। जागरण।

चंद्रशेखर, पटना। किउल-गया के सभी रेलवे स्टेशनों को बौद्ध कला की शक्ल में विकसित किया जाएगा। इस रेलखंड के सरारी, कजरा, शेखपुरा, काशीचक, वारीसलीगंज, नवादा, हिसुआ, तिलैया, वजीरगंज, मानपुर स्टेशनों के भवन जल्द ही बौद्ध स्तूप की शक्ल में दिखेंगे। इतना ही नहीं, वैशाली व दूसरे स्टेशनों के भवनों को भी बौद्ध कला की शक्ल देने की कोशिश की जा रही है। पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी एवं दानापुर मंडल के तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक रंजन प्रकाश ठाकुर की ओर से ओर से सभी स्टेशनों को स्थानीय ऐतिहासिक लुक देने की कोशिश की शुरू की गई थी। इसी क्रम में पटना साहिब को तख्त श्री हरिमंदिर की शक्ल दी गई है। पाटिलपुत्र स्टेशन को अशोककालीन बौद्ध स्तूप की शक्ल में बनाया गया है। बक्सर स्टेशन पर बिस्मिल्लाह खान की झलक दर्शाई गई है। 

मार्या काल के भवनों को रखा गया ध्यान

अन्य भवनों से कम कीमत पर इस तरह के ऐतिहासिक लुक देते हुए स्टेशन भवन का निर्माण कराया गया है। रेलवे लाइन के दोहरीकरण के बाद सभी प्लेटफॉर्म, फुट ओवर ब्रिज के साथ ही सभी रेलवे क्रासिंग की केबिन को नया बनाने की जरूरत थी। नए स्टेशन भवनों के निर्माण में मौर्य काल के भवनों को ध्यान में रखा गया। पुराने मगध साम्राज्य के गौरवकालीन इतिहास को इन भवनों के माध्यम से दर्शाने की कोशिश की गई है। 

स्टेशन भवन के निर्माण पर खर्च होंगे 10 करोड़

इन स्टेशनों के भवनों के निर्माण पर लगभग दस करोड़ की राशि खर्च हो रही है। इसमें स्टेशन भवन से लेकर दो प्लेटफॉर्म होंगे। लंबा व ऊंचा प्लेटफॉर्म के साथ ही सभी स्टेशनों पर कम से कम एक फुट ओवरब्रिज तथा बड़े स्टेशनों पर दो फुट ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही रेलवे क्रॉसिंग का भी नए सिरे से निर्माण कराया जा रहा है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन भवनों को पूरी तरह व्हाइट रंग से रंगा जा रहा है। इससे दूर से ही इसकी खूबसूरती देखते बन रही है।

नहीं खर्च करनी पड़ी अतिरिक्त राशि

इस संबंध में दानापुर मंडल के वरीय मंडल अभियंता सुजीत कुमार झा ने बताया कि किउल-गया रेलखंड के दोहरी करण के लिए 1200 करोड़ से अधिक की राशि महाप्रबंधक के प्रयास से रेलवे को मिली थी। इस रेलखंड के दोहरीकरण का काम चालू होने के बाद पुराने सारे स्टेशनों के भवनों को तोड़ कर नए भवन का निर्माण करना था। नया भवन बनाने की बात आई तो इसे ऐतिहासिक लुक देने की कोशिश की गई। इन भवनों को निर्माण में रेलवे को कोई अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करनी पड़ी। 

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