Raghuvansh Prasad Singh: जिस लालू के लिए ठुकराया था मंत्री पद, उसी से हो गया मोह भंग; जानें कैसा रहा जीवन
Raghuvansh Prasad Singh रघुवंश प्रसाद सिंह एवं लालू प्रसाद यादव 32 साल तक साथ रहे। लालू के लिए उन्होंने मंत्री पद तक ठुकरा दिया था। लेकिन मौत के ठीक पहले लालू से दूर हो गए थे।
पटना, जेएनएन। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के कद्दावर नेता रहे 74 साल के रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) ने अपनी मौत से तीन दिनों पहले अपने 32 साल के सहयोगी लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का साथ छोड़ दिया। ये वही लालू यादव हैं, जिनके लिए रघुवंश प्रसाद सिंह ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की मनमाेहन सिंह की सरकार (manmohan Singh Government) में मंत्री का पद ठुकरा दिया था। उन्होंने आरजेडी से इस्तीफा देने के तीन दिनों बाद दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Delhi AIIMS) में अंतिम सांस ली। हालांकि, लालू प्रसाद यादव ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।
जीवन के अंत काल में लालू यादव से मोह भंग
रघुवंश प्रसाद सिंह बीते 32 सालों तक लालू प्रसाद यादव के साथ रहे। उन्हें लालू का संकटमोचक कहा जाता था। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के दौर से दोनों साथ थे। रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही लालू को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने में मदद की थी। कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद रघुवंश ने ही लालू को आगे बढ़ाया था। लालू प्रसाद यादव के साथ वे आरजेडी के संस्थापकों में रहे तथा पार्टी संविधान बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। लेकिन जीवन के अंत काल में उनका लालू यादव से मोह भंग हो गया। उन्होंने लालू को चिठ्ठी भेजकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफा पत्र में लालू को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक वे पीछे-पीछे खड़े रहे, लेकिन अब नहीं।
बिहार की राजनीति में थे बेदाग व बेबाक चेहरा
सवाल यह है कि आखिर क्या थे रघुवंश? वे बिहार की राजनीति में एक बेदाग चेहरा थे, जो आरजेडी में रहते हुए लालू के विरोध की हिम्मत रखते थे। समाजवादी नेता के तौर पर उनकी पहचान रही। वे पिछड़ों की राजनीति करने वाले आरजेडी में बड़ा सवर्ण चेहरा भी थे।
राजनीति में आने के पहले थे प्रोफेसर, बर्खास्त
बेदाग और बेबाक अंदाज को लेकर पहचान रखने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह का पढ़ने-पढ़ाने का शौक रहा।
राजनेता बनने के पहले वे प्रोफेसर रहे। उन्होंने 1969 से 1974 के बीच करीब पांच साल तक सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में गणित पढ़ाया था। हालांकि, आपातकाल के दौरान जयप्रकाश आंदोलन के दौरान जब वे जेल गए, जब राज्य की जगन्नाथ मिश्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
कई अन्य आंदोलनों में भी गए जेल
आपातकाल के विरोध के अलावा वे कई अन्य आंदोलनों में भी जेल गए। वे पहली बार 1970 में शिक्षकों के आंदोलन में जेल गए। कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आने के बाद 1973 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के आंदोलन के दौरान फिर जेल गए। साल 1974 के जेपी आंदोलन में रघुवंश प्रसाद सिंह को फिर जेल भेज दिया गया। इसके बाद रघुवंश प्रसाद सिंह कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण के रास्ते पर तेजी से चलते हुए राजनीति में अपनी पहचान बनाते चले गए।
ऐसे हुई लालू से दोस्ती, 32 साल तक चला साथ
साल 1974 में जेपी आंदोलन के समय में रघुवंश को मीसा (MISA) के तहत गिरफ्तार किया गया। उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में रखा गया, फिर पटना के बांकीपुर जेल में भेज दिया गया। यहीं वे पहली बार लालू प्रसाद यादव से मिले थे। पटना यूनिवर्सिटी में छात्र नेता के रूप में सक्रिय लालू प्रसाद यादव भी जेपी आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर जेल में रखे गए थे। बांकीपुर जेल में लालू व रघुवंश में जो दोस्ती हुई, वह 32 सालों तक चली।
राजनीति में रघुवंश प्रसाद सिंह
रघुवंश प्रसाद सिंह 1977 से 1979 तक बिहार के ऊर्जा मंत्री रहे। उन्हें लोकदल का अध्यक्ष भी बनाया गया। 1985 से 1990 के दौरान वे लोक लेखांकन समिति के अध्यक्ष रहे। सांसद के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 1996 से शुरू हुआ। उसी साल उन्हें बिहार राज्य के लिए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्यमंत्री बनाया गया। वे लोकसभा के लिए 1998 और 1999 में भी निर्वाचित हए। रघुवंश की लोकसभा की चौथी पारी 2004 में शुरू हुई। 2004 से 2009 तक वे केंद्र में ग्रामीण विकास के मंत्री रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पांचवी बार भी जीत दर्ज की थी। रघुवंश प्रसाद सिंह ने कभी बताया था कि यूपीए के दूसरे कार्यकाल में मनमोहन सिंह सरकार में भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला था, लेकिन लालू यादव की दोस्ती की वजह से उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। सोनिया गांधी ने रघुवंश को केंद्र में मंत्री या लोकसभा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन रघुवंश ने कहा था कि उनके लिए पद कोई मायने नहीं रखता है, पार्टी बड़ी है। रघुवंश की इस भावना का लालू ने भी हमेशा सम्मान किया।
बच्चों को राजनीति से रखा दूर
दो भाइयों में बड़े रघुवंश प्रसाद सिंह के छोटे भाई रघुराज सिंह का पहले ही देहांत हो चुका है। पत्नी जानकी देवी भी नहीं रहीं। दोनों बेटे सत्य प्रकाश व शशि शेखर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर नौकरी कर रहे हैं। एक बेटी टीवी चैनल में पत्रकार हैं। राजनीति में वेशवाद के खिलाफ रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने बच्चों को राजनीति से दूर रखा।