भीड़ की उन्‍मादी हिंसा पार्ट 2- जांच में ही उलझी है कानून हाथ में लेने वालों पर कार्रवाई

बिहार में अपराध के दौरान पकड़ गए व्‍यक्ति की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्‍या के मामले चिंताजनक होते दिख रहे हैं। ऐसे में मामलों में पुलिस कार्रवाई की मंद गति भी चिंताजनक है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 09:01 PM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 10:41 PM (IST)
भीड़ की उन्‍मादी हिंसा पार्ट 2- जांच में ही उलझी है कानून हाथ में लेने वालों पर कार्रवाई
भीड़ की उन्‍मादी हिंसा पार्ट 2- जांच में ही उलझी है कानून हाथ में लेने वालों पर कार्रवाई

पटना [जागरण टीम]। बिहार में उन्मादी भीड़ की हिंसा डर पैदा कर रही है। किसी भी तरह के झगड़े या अपराध के दौरान भीड़ का गुस्सा जान ले रहा है। दुखद यह है कि पिछले एक महीने में उन्मादी भीड़ की हिंसा की वजह से आधा दर्जन से ज्यादा जानें गई हैं, लेकिन किसी भी आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की खबर नहीं है।

सवाल यह है कि अज्ञात के खिलाफ एफआइआर, कुछ गिरफ्तारियां या फिर धीमी जांच जैसी ढीली-ढाली कार्रवाई होगी, तो उन्माद का यह सिलसिला कैसे थमेगा? बेगूसराय में अपहरण करने आए तीन अपराधियों की पीटकर हत्या के बाद पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह सेल्फ डिफेंस (आत्मरक्षा) का मामला है। जानकार कहते हैं कि आत्मरक्षा, इंसाफ और उन्माद के बीच जो अंतर है, वह कब मिट जा रहा, लोग समझ नहीं पा रहे। यह खतरनाक स्थिति है।

बेगूसराय तीन को मारा, लेकिन कोई गिरफ्तार नहीं

उन्मादी भीड़ ने सात सितंबर को  बेगूसराय के छौड़ाही ओपी क्षेत्र के नारायणपीपर गांव में एक छात्रा का अपहरण करने आए तीन अपराधियों को पीटकर मार डाला। वीडियो के आधार पर छह नामजद और डेढ़ सौ अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी हुई लेकिन अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उधर, पुलिस मुख्यालय ने इसे सेल्फ डिफेंस (आत्मरक्षा) का विषय बताकर नया विवाद पैदा कर दिया।

सीतामढ़ी में आंख फोड़कर मार डाला, लेकिन कोई गिरफ्तार नहीं

सीतामढ़ी के रीगा थाना क्षेत्र के रमनगरा गांव के पास नौ सितंबर को सहियारा थाना क्षेत्र के सिंसगरहिया निवासी रूपेश कुमार झा की ग्रामीणों बेरहमी से पिटाई कर एक आंख फोड़ दी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। रूपेश के परिजनों ने कहा कि सड़क का झगड़ा था और पिकअप वैन चालक प्रमोद पासवान ने लूट का शोर मचा दिया। भीड़ पहुंची, तो इंसाफ के नाम पर नाइंसाफी कर दी। इस मामले में 150 ग्रामीणों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। चोरी की छोटी-छोटी घटनाओं में पकड़े गए युवकों की हत्या की खबरें भागलपुर, हाजीपुर से भी आईं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर वहां भी जांच ही चल रही।

लुटेरे की पीट-पीटकर हत्‍या, अज्ञात पर एफआइआर

मंगलवार को सासाराम में स्टेट बैंक मेन ब्रांच के सामने मंगलवार को रेलकर्मी से 25 लाख रुपये लूट रहे अपराधियों में से एक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस ने 500 अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी की है और जांच की बात कह रही है। 

इन मामलों में भी नहीं हुई कार्रवाई

सिवान के श्यामपुर बाजार में 8 जुलाई को स्वर्ण व्यवसायी को लूट कर भाग रहे दो अपराधियों को ग्रामीणों ने पकड़कर पीटा। एक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर है। अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सिवान में ही कांवरियों से इस बात के लिए मारपीट की गई कि उनके वाहन की वजह से स्थानीय बाजार जा रहे युवक को दिक्कत हुई। उसने गांव वालों को बुला लिया। मारपीट में एक कांवरिए की मौत हो गई।

हवा में सख्त निर्देश, एफआइआर से आगे नहीं बड़ रही कार्रवाई

भीड़ की हिंसा रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तल्ख तेवर के बाद गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी केएस द्विवेदी ने 24 अगस्त को राज्य के सभी जिलाधिकारियों व एसएसपी/एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सख्त निर्देश दिए थे। अधिकारियों से कहा गया था कि अपने-अपने जिलों में मॉब लिंचिंग वाले इलाकों की पहचान करें। शासन ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को चेतावनी भी दी थी। कहा था कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के लिए नियमानुसार तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन, कार्रवाई की स्थिति यह है कि अधिकांश मामलों में वह एफआइअार से आगे नहीं बढ़ रही।

क्या है मॉब लिंचिंग
पुलिस मुख्यालय के अनुसार मॉब लिंचिंग के दायरे में केवल वही घटनाएं आती हैं, जिसमें किसी भीड़ ने किसी आपराधिक वारदात के आरोपित की पीट-पीटकर हत्या कर दी हो।  भीड़ द्वारा उपद्रव की घटनाएं मॉब लिंचिंग की श्रेणी में नहीं आती हैं।

क्या है एडवाइजरी

- सभी जिलों में एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए, जो ऐसे मामलों की संपूर्ण जानकारी इकट्ठा कर उस पर विस्तृत कार्रवाई करे।

- सोशल मीडिया पर फैलने वाली भ्रामक जानकारियों की रोक-थाम के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए।

- पीडि़त समुदाय या वर्ग के विरुद्ध अमैत्रीपूर्ण व्यवहार की घटनाओं को भी रोका जाए।

- मीडिया और रेडियो, दूरदर्शन आदि पर प्रचार-प्रसार कर जागरूकता फैलाई जाए।

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