पटना हाईकोर्ट का आदेश, तो क्या छिन जाएगा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों का बंगला, जानिए

पटना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले में रहने पर तल्ख टिप्पणी की है और छह मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करना पड़ सकता है। जानिए किन्हें खाली करना होगा...

By Kajal KumariEdited By: Publish:Wed, 09 Jan 2019 03:08 PM (IST) Updated:Wed, 09 Jan 2019 07:09 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट का आदेश, तो क्या छिन जाएगा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों का बंगला, जानिए
पटना हाईकोर्ट का आदेश, तो क्या छिन जाएगा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों का बंगला, जानिए

पटना, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला आवंटित किये जाने के मामले में मंगलवार को पटना हाईकोर्ट सख्त टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने यह तक कह दिया कि जान माल की सुरक्षा को लेकर भय है तो पूर्व मुख्यमंत्री निजी जमीन में बंकर बनवा लें।

मुख्य न्यायाधीश एपी शाही की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित छह पूर्व मुख्य मंत्रियों को नोटिस भेजते हुए पूछा कि उन्हें क्यों ताउम्र सरकारी आवास दिया जाना चाहिए?

जिनसे जवाब तलब किया गया है, उनमें शामिल हैं-सतीश प्रसाद सिंह, डॉ. जगन्नाथ मिश्र, लालू प्रसाद, राबड़ी देवी एवं जीतन राम मांझी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से हासिल एक बंगले के लिए जवाब देना है। अदालत ने सभी को 11 फरवरी तक अपना पक्ष रखने को कहा है।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम पर आवंटित बंगला 

1.सतीश प्रसाद सिंह : 33/ हार्डिंग रोड

2.डॉ. जगन्नाथ मिश्र : 41, क्रांति मार्ग हार्डिंग रोड

3.लालू प्रसाद : 10 सर्कुलर रोड

4.राबड़ी देवी  : 10 सर्कुलर रोड

5.जीतन राम मांझी : 12 एम स्ट्रैंड रोड

6.नीतीश कुमार  :  7, सर्कुलर रोड

मात्र पांच दिनों के मुख्यमंत्री रहे सतीश प्रसाद, मिला है सरकारी बंगला

सतीश प्रसाद मात्र पांच दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने थे और 1968 से अब तक सरकारी बंगले की सुविधा ले रहे हैं। वे 28 जनवरी 1968 से 01फरवरी 1968 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी मिला है सरकारी बंगला

पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी सरकार ने सरकारी बंगला दे रखा है हालांकि उनके पुत्र नीतीश मिश्रा भी ये स्वीकार कर रहे हैं कि उनके पिताजी ने कभी भी अपने सरकारी बंगले में कदम नहीं रखा है। डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा के नाम पर पटना का 41 क्रांति मार्ग हार्डिंग रोड बंगला आवंंटित है।

जीतनराम मांझी के नाम पर 12 एम स्ट्रैेंड रोड बंगला आवंटित है

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के नाम पर पटना का 12 एम स्ट्रैेंड रोड बंगला आवंटित है। मांझी पूर्व सीएम बनने के बाद से पटना के इसी बंगले में रह रहे हैं। मांझी हमेशा से सरकारी बंगला/गाड़ी को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। अब इन्हें भी सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर सीएम नीतीश के पास भी है बंगला

पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर सरकारी बंगला पाने वाले लोगों में राज्य के सीएम नीतीश कुमार भी शामिल हैं जिनके नाम 7 सर्कुलर रोड पर बंगला आवंटित है। सीएम नीतीश कुमार को भी पूर्व सीएम की हैसियत से आवंटित एक बंगले का जवाब देना है।

राबड़ी देवी को भी खाली करना पड़ सकता है सरकारी बंगला

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं राबड़ी के नाम पर भी पटना में 10 सर्कुलर रोड में बंगला आवंटित है। राबड़ी देवी अपने परिवार के साथ इस समय इसी बंगले में रह रही हैं।

निजी जमीन पर बना लें बंकर 

खंडपीठ ने बिहार राज्य विशेष सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य  में इन पूर्व मुख्यमंत्रियों से यह भी बताने को कहा कि यदि उनके निजी आवास पर ही सुरक्षा के सभी इंतजाम कर दिए जाएं तो क्या हर्ज है? सुनवाई में महाधिवक्ता ने कहा कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी बंगले आवंटित किए गए हैं।

इस पर अदालत ने कहा कि जिनके पास अपना मकान है वे भी सरकारी बंगला रखे हुए हैं, यदि उन्हें अपने जान का इतना ही डर है तो जमीन के अंदर बंकर बनवा कर रहें किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। वैसे भी बंकर से ज्यादा सुरक्षित जगह कोई हो भी नहीं सकती। 

अदालत ने लिया संज्ञान 

गौरतलब है कि प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के सरकारी आवास खाली कराने के मामले में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट में जिन सरकारी आदेशों का रिकॉर्ड दिया था, उनमें एक 22 मार्च 2016 की वह अधिसूचना भी थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवासीय सुविधा का जिक्र है। उसमें बंगले के खर्च के लिए असीमित राशि की छूट दी गई थी। हाईकोर्ट ने सरकारी अधिसूचना पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू कर दी। 

बिहार में ही यह सुविधा क्यों 

खंडपीठ ने कहा कि कोई संविधान में उपर नहीं है। चाहे वे मुख्यमंत्री ही क्यों नहीं हों। खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लोक प्रहरी केस में किसी संवैधानिक पद धारकों के लिए अलग से आवासीय सुविधा पर रोक लगाई गई थी। किसी राज्य में ऐसी व्यवस्था नहीं है फिर बिहार में ही क्यों? उस समय सुप्रीम कोर्ट को बिहार सरकार द्वारा सही जानकारी नहीं दी गई। यह उचित नहीं है

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