मिशन 2019: NDA में सीट शेयरिंग के बाद अगला पेंच, अब उम्‍मीदवारों की खास सीट पर मंथन

राजग (एनडीए) में सीट शेयरिंग के बाद अब अपने लिए सीटों की पहचान का काम शुरू है। सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं। इस दौरान सर्वाधिक चुनौती भाजपा के सामने दिख रही है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Wed, 26 Dec 2018 10:45 AM (IST) Updated:Wed, 26 Dec 2018 08:34 PM (IST)
मिशन 2019: NDA में सीट शेयरिंग के बाद अगला पेंच, अब उम्‍मीदवारों की खास सीट पर मंथन
मिशन 2019: NDA में सीट शेयरिंग के बाद अगला पेंच, अब उम्‍मीदवारों की खास सीट पर मंथन

पटना [सुभाष पांडेय]। राष्‍ट्रीय जनतांतत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में सीटों की संख्या का एेलान हो चुका है। लेकिन पेंच अभी भी फंसा हुआ है। सीट शेयरिंग के बाद अब तीनों दलों ने दमदार उम्मीदवारों के हिसाब से सीटों की पहचान का काम शुरू किया है।

मुंगेर व नालंदा सीट पर दावेदारी छोड़ रही लोजपा

इस बार जदयू के राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में आने से लोजपा को मुंगेर और नालंदा सीट पर दावेदारी छोडऩी पड़ रही है वहीं भाजपा को अपनी 13 सीटों का बलिदान देना पड़ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 30 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। नालंदा जदयू की जीती हुई सीट है, जबकि मुंगेर की सीट उसे जलसंसाधन मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के लिए छोडऩी पड़ रही है। मुंगेर से सूरजभान की पत्नी वीणा देवी सांसद हैं। लोजपा इसके बदले नवादा सीट वीणा देवी के लिए मांग रही है।

खगडि़या से सम्राट चौधरी को लड़ाना चाहती भाजपा

खगडिय़ा से पिछला चुनाव लोजपा के चौधरी महबूब अली कैसर जीते थे। कैसर का रिश्ता लोजपा नेतृत्व से गड़बड़ा गया है। भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को यहां से चुनाव लड़ाना चाहती है। पार्टी के साथ संकट है कि खगडिय़ा छोड़कर उसके कोटे से किसी कुशवाहा को चुनाव लड़ाने के लिए सीट नहीं है। वैसे एक चर्चा लोजपा से खगडिय़ा के बदले अररिया सीट के अदला बदली की भी चल रही है।

2004 व 2009 के लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला पर बंटवारा की चर्चा

राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि जदयू और भाजपा में सीटों के बंटवारे का आधार 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला होगा। इस आधार पर वाल्मीकिनगर, महारांजगंज, गोपालगंज, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, मधेपुरा पूर्णिया, किशनगंज, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद, काराकाट, औरंगाबाद की सीटें जदयू के झोली में जाना लगभग तय है। दरभंगा और सासाराम की सीट भी जदयू के कोटे में जाना तय माना जा रहा है क्योंकि उसकी 17 की संख्या भी पूरी करानी है।

पासवान के राज्यसभा जाने की शर्त पर लोजपा ने छोड़ी एक सीट

लोजपा की छह सीटों में हाजीपुर, समस्तीपुर, वैशाली, जुमई, खगडिय़ा और नवादा ही रहने की संभावना है। लोजपा पिछला लोकसभा चुनाव में बिहार में सात सीटों पर लड़ी थी। इस बार केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को राज्यसभा में भेजने की शर्त पर लोजपा ने अपनी एक सीट की दावेदारी छोड़ी है।

सर्वाधिक संकट में भाजपा, छोड़ने पड़े 13 सीट

राजग में सबसे ज्यादा संकट भाजपा को है। उसे 13 सीटों की दावेदारी तो छोडऩी पड़ी ही है अपने पांच सीटिंग सांसदों के टिकट भी काटने की मजबूरी है।

भाजपा के लिए सामाजिक संतुलन बनाने की चुनौती

इस बार उसके लिए सीटें कम होने की वजह से सामाजिक संतुलन बनाना भी कठिन चुनौती है। पिछले चुनाव में भाजपा ने राजपूत बिरादरी से सात लोगों को प्रत्याशी बनाया था। पांच चुनाव जीते भी थे। स्वाभाविक है उसे इस बार तीन से ज्यादा टिकट इस बिरादरी को दे पाना संभव नहीं होगा।

नवादा सीट लोजपा के हिस्से में गई तो भूमिहार में भी एक कोटा कम होगा। पिछले चुनाव में भाजपा ने नवादा से गिरिराज सिंह और बेगूसराय से भोला सिंह को चुनाव लड़ाया था। दोनों ही चुनाव जीते थे। इसी तरह भाजपा को इस बार मुजफ्फरपुर को छोड़ कर अत्यंत पिछड़ा प्रत्याशी के लिए भी सीट का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। 2014 के चुनाव में झंझारपुर और सुपौल से भाजपा ने अत्यंत पिछड़ा प्रत्याशी दिया था।

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