ग्रुप सैंपलिंग में सामुदायिक संक्रमण के नहीं मिले साक्ष्य

कोविड-19 की रोकथाम के लिए गत 31 मई से स्वास्थ्य विभाग पटना जिले में 80 आशंकितों की जांच कराई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 12:04 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 12:04 AM (IST)
ग्रुप सैंपलिंग में सामुदायिक संक्रमण के नहीं मिले साक्ष्य
ग्रुप सैंपलिंग में सामुदायिक संक्रमण के नहीं मिले साक्ष्य

पटना। कोविड-19 की रोकथाम के लिए गत 31 मई से स्वास्थ्य विभाग पटना जिले में 80 आशंकितों के अलावा सौ लोगों की ग्रुप सैंपलिंग (पांच लोगों के नमूने मिलाकर एक सैंपल तैयार करना) विधि से जांच करवा रहा है। इस विधि से अब तक चार सौ लोगों के नमूनों की जांच हो चुकी है। बुधवार को पहली बार इस विधि से हुई जांच में मसौढ़ी के किनारी गांव निवासी जिस युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, वह भी दूसरे प्रदेश से आया है। हालांकि उसके परिवार के लोगों की रिपोर्ट निगेटिव है।

सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी के अनुसार अब तक सामुदायिक संक्रमण का एक भी मामला जिले में नहीं मिला है। अन्य प्रदेशों से आए या संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की ही रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनकी हो रही ग्रुप सैंपलिंग :

कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ. एसपी विनायक ने बताया कि अभी गांवों में रह रहे ऐसे लोगों की ग्रुप सैंपलिंग विधि से जांच कराई जा रही है जो लोग बाहर से आए हैं। इसके अलावा जो लोग बिना जांच के 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि पूरी कर घर में रह रहे हैं। इन लोगों के साथ इनके परिवार के सभी सदस्यों, खासकर बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बच्चों आदि के नमूनों की ग्रुप सैंपलिंग विधि से जांच कराई जा रही है। अब तक जितने नमूने भेजे गए हैं, उनकी विधिवत रिपोर्ट नहीं आई है।

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डॉक्टरों-पारा मेडिकल के लिए आई हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन

जासं, पटना : कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए सरकार ने डॉक्टर, नर्स समेत सभी डॉक्टर व पुलिसकर्मियों के लिए हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन की गोलियां मुहैया कराई है। सिविल सर्जन कार्यालय को जिले में सभी कर्मचारियों की संख्या के अनुसार दस-दस गोलियों की स्ट्रिप मिल चुकी है।

माना जाता है कि कमजोर इम्यून पावर वाला व्यक्ति यदि कोरोना संक्रमित हो गया तो उसमें सात दिन में इसके लक्षण उभरते हैं। ऐसे में हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन लक्षण उभरने से रोकती है। रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। बावजूद इसके हृदय रोग से पीड़ित लोगों में इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए बहुत से चिकित्साकर्मी इसके इस्तेमाल से परहेज कर रहे हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन को स्मार पत्र भी भेजा है।

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