Nitish Kumar से दूरी बनाना चाहते हैं PM Modi? चुनाव के बीच लिया बड़ा फैसला, अब किसी भी रैली में...

चुनावी अधिसूचना से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेतिया बेगूसराय और औरंगाबाद में सभा हुई थी। बेतिया को छोड़ दोनों सभाओं में मुख्यमंत्री थे। अधिसूचना के बाद जमुई और नवादा की सभाओं में नीतीश ने प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा किया लेकिन मंगलवार को गया और पूर्णिया की सभा में नीतीश नहीं आए। वहीं अब पीएम मोदी की किसी भी जनसभा में नीतीश नजर नहीं आएंगे।

By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Publish:Tue, 16 Apr 2024 08:42 PM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2024 08:46 PM (IST)
Nitish Kumar से दूरी बनाना चाहते हैं PM Modi? चुनाव के बीच लिया बड़ा फैसला, अब किसी भी रैली में...
Nitish Kumar से दूरी बनाना चाहते हैं PM Modi? चुनाव से ठीक पहले लिया बड़ा फैसला

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नजर नहीं आएंगे। हां, कुछ खास सभाओं में दोनों मंच साझा कर सकते हैं। राजग इसे रणनीति का नाम दे रहा है, जबकि राजनीतिक गलियारें में इसकी अलग-अलग व्याख्या हो रही है।

यह भी कि कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर भाजपा और राजग के रुख अलग हैं। इसके अलावा, नीतीश के भाषण का भटकाव भी है। नवादा की चुनावी सभा में मुख्यमंत्री बोल गए कि इस बार राजग के सांसदों की संख्या चार हजार पार कर जाएगी। नीतीश जब यह बोल रहे थे, प्रधानमंत्री उन्हें गौर से देख रहे थे। भाव यह कि ये क्या बोल रहे हैं? उपलब्धियों की चर्चा से भी परेशानी हो रही है।

भाषण के क्रम में प्रधानमंत्री अंतिम वक्ता होते हैं। ठीक उनसे पहले नीतीश कुमार बोलते हैं। उनके भाषण में राज्य और केंद्र सरकार की उपलब्धियां रहती हैं- सड़क, पुल, हर घर बिजली, सरकारी आवास, स्वरोजगार, नौकरी, स्वास्थ्य सुविधाएं, बेहतर कानून व्यवस्था, लालू-राबड़ी शासन का कथित जंगलराज।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण भी इन्हीं उपलब्धियों के आसपास रहता है। उनमें नया विषय जुड़ता है- अयोध्या में राम लला का मंदिर, सनातन पर आइएनडीआइए का प्रहार और अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की बढ़ती प्रतिष्ठा। दो बड़े नेताओं के भाषण में दोहराव से का नकारात्मक प्रभाव भीड़ पर पड़ता है।

कहते हैं कि नवादा के मंच पर प्रधानमंत्री ने मजाक के लहजे में मुख्यमंत्री को टोक भी दिया था- आप सबकुछ बोल जाते हैं। मेरे लिए कुछ बचता नहीं है। चुनावी अधिसूचना से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेतिया, बेगूसराय और औरंगाबाद में सभा हुई थी। बेतिया को छोड़ दोनों सभाओं में मुख्यमंत्री थे। अधिसूचना के बाद जमुई और नवादा की सभाओं में नीतीश ने प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा किया, लेकिन मंगलवार को गया और पूर्णिया की सभा में नीतीश नहीं आए।

यह भी करता है असहज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में कांग्रेस पर समुदाय विशेष के तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा के साथ याद दिलाते हैं कि उनके शासनकाल में किस तरह सांप्रदायिक टकराव समाप्त कर दिया गया। भाजपा के ऐसे कार्यकर्ता जो ध्रुवीकरण के हिमायती हैं, मुख्यमंत्री के भाषण के इस अंश को स्वीकार नहीं करते हैं।

यह रणनीति का हिस्सा

गया और पूर्णिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति राजग की रणनीति का हिस्सा है। राजग ने चुनावी अभियान को लेकर यह तय किया है कि बड़े नेता एक साथ नहीं अलग-अलग सभाओं में दिखेंगे। इससे बड़े नेता अधिक सभा करेंगे। जमुई और नवादा की सभाओं में राजग के घटक दलों के सभी नेता एकसाथ जुटे थे। उसके बाद ही तय हुआ कि बड़े नेताओं की अलग-अलग सभाएं हो। - संजय कुमार झा, जदयू के राज्यसभा सदस्य

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