गया : मुजफ्फरपुर से भी ज्यादा तेवर में दिखे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया की परिवर्तन रैली ने बिहार की सियासत का रक्तचाप बढ़ा दिया है। गया के गांधी मैदान में रविवार को मोदी के तेवर मुजफ्फरपुर से भी ज्यादा तल्ख और आक्रामक दिखे।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2015 10:24 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2015 10:28 AM (IST)
गया : मुजफ्फरपुर से भी ज्यादा तेवर में दिखे मोदी

पटना [अरविंद शर्मा]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया की परिवर्तन रैली ने बिहार की सियासत का रक्तचाप बढ़ा दिया है। गया के गांधी मैदान में रविवार को मोदी के तेवर मुजफ्फरपुर से भी ज्यादा तल्ख और आक्रामक दिखे। चंदन कुमार और भुजंग प्रसाद जैसी उपमाओं से लेकर जहर उगलने-निगलने तक की बातों से चुनाव की दशा-दिशा और सियासी कड़वाहट की आहट साफ नजर आ रही है।

डीएनए विवाद पर मोदी की ओर से माफी मांगे जाने का इंतजार कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर नरेंद्र मोदी ने उम्मीद के विपरीत सीधा फायर किया। डीएनए विवाद पर तो उन्होंने मुंह नहीं खोला लेकिन जंगलराज के मुद्दे पर कोई मुरौव्वत नहीं किया।

जेल जाकर कानूनी लफड़े में पड़े लालू प्रसाद पर उन्होंने कहा कि जो लोग जंगलराज के दौरान जेल गए, वे बुरी बातें सीख कर लौटे हैं। लगे हाथ जदयू की नई परिभाषा भी गढ़ दी और स्पष्ट कह दिया कि बिहार ने 25 साल तक अहंकार, उत्पीडऩ और धोखाधड़ी को झेला है। क्या आप पांच साल और इन्हीं लोगों को शासन करने का मौका देंगे?

मोदी के आक्रोश और आक्रामकता की धारदार अभिव्यक्ति से गया की सियासी गर्मी अचानक ऐसी बढ़ी कि पूरे बिहार का पारा तेजी से चढ़ गया। अभी सहरसा और भागलपुर की रैलियां होनी बाकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी की रणनीति किसी को बख्शने वाली नहीं।

भाषण में तेवर की तल्खी बता रही है कि बिहार में इस बार विकास का मुद्दा भी हाशिये पर जा सकता है और जंगलराज के मुद्दे पर ही बिहार में घमासान होगा। गया में गर्मागर्म सियासत का संकेत तो परिवर्तन रैली के एक दिन पहले ही मिल गई थी, जब प्रधानमंत्री के जगह जगह लगे पोस्टर फाड़े गए थे। आरोप लगा था जदयू के कार्यकर्ताओं पर, जिसके बाद से माना जा रहा था कि मोदी इसका जवाब जरूर देंगे। वैसे भी डीएनए विवाद पर नीतीश कुमार के खुले पत्र के बाद लोग दिल थाम कर गया में मोदी का इंतजार कर रहे थे। मोदी आए और लोगों की अपेक्षा के मुताबिक ही खूब बरसे भी।

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