मौत को चुनौती दे हर रात सड़कों को चौकी मान चिरनिद्रा में सो जाते हैं हजारों, देखें तस्वीरें Patna News

पटना में देर रात हुए हादसे में गई तीन मासूमों की जान बहुत कुछ कहती है। इस शहर के गरीबों की स्थिति बयां करती है। आइए जानते हैं कैसे राजधानी की सड़कें देर रात बन जाती हैं बिस्तर।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 27 Jun 2019 10:40 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jun 2019 10:40 AM (IST)
मौत को चुनौती दे हर रात सड़कों को चौकी मान चिरनिद्रा में सो जाते हैं हजारों, देखें तस्वीरें Patna News
मौत को चुनौती दे हर रात सड़कों को चौकी मान चिरनिद्रा में सो जाते हैं हजारों, देखें तस्वीरें Patna News

श्रवण कुमार, पटना। ‘जान बिछी यहां सड़कों पे, है किसको चिंता मौतों की शहर हादसों का है ये, फिक्र किसे है रोतों की’। बीती रात सड़क और फुटपाथ पर सोए मासूमों की हृदय विदारक चीत्कार अब भी उन बच्चों के कानों में गूंज रही है। वे डरे-सहमे से हैं। फिर भी सड़कों पर ही रात गुजारने को मजबूर। बीती रात जिस जगह सड़क पर सोए तीन मासूम दुर्घटना के शिकार हो चिरनिद्रा में लीन हो गए, वहां से चंद कदम के फासले पर ही बुधवार रात में भी दर्जनों परिवार अपने बच्चों के साथ सोए मिले।




कुम्हरार पार्क के मुख्य द्वार के सामने फुटपाथ पर ही लगभग 40 घरों की एक बस्ती बसी हुई है। यहां रात होते ही आधी सड़क पर इनका कब्जा हो जाता है। बजाप्ता सड़क पर चौकियां लगती हैं। जो बचते हैं, वे सीधे सड़क टाट बिछाकर सो जाते हैं। आज भी यहां आठ-दस चौकियां लगी हैं। यहां दर्जनभर से ज्यादा परिवार बेफिक्र होकर सोए मिले। कुछ चौकियों पर बच्चों के साथ महिलाएं, तो नीचे टाट पर कुछ पुरुष व बुजुर्ग सोए हैं। बची सड़क पर बड़े से लेकर छोटे वाहन तेज रफ्तार से गुजर रहे हैं।




और फ्लैश चमकते ही खुल गई नींद

देर रात पहुंची जागरण टीम ने जब इनकी तस्वीरें कैमरे में कैद करनी चाही, तो फ्लैश चमकते ही दो-तीन लोग जग गए। उनसे बात करते-करते वहां सोए लगभग सभी बच्चे और महिलाएं भी जग गईं। जब उनसे सवाल हुआ कि क्यों सोते हो सड़क पर? तो उन लोगों ने अपनी व्यथा का पिटारा खोल दिया। इसराइल नट दिन में घूम-घूम कर शहद निकालते हैं। उन्होंने कहा, ‘सड़क पर नहीं सोएं तो कहां जाएं? छोटी-सी झोपड़ी है। उसमें कैसे समाएगा पूरा परिवार?’ वहां मौजूद सोनी देवी ने बताया कि यहां कई पुश्तों से हमारा परिवार यहीं रहता है। अब कहां जाएंगे? झोपड़ी काफी छोटी है। शौचालय है न पानी की व्यवस्था।




तो कहां सोएं...

आगे सड़क है पीछे रेलवे लाइन। सड़क पर सोते हैं तो जान जाने का डर, रेलवे लाइन पर शौच के लिए जाते हैं तो भी मौत का भय। वहीं खड़ी बुचनी व सुगनी ने बताया कि रेल लाइन पर शौच करने के लिए गए अब तक तीन लोग कट चुके हैं। गंगा नाम के एक युवक की तो शादी होने वाली थी। दो बुजुर्ग गज्जन व हुच्चुक भी कट चुके हैं। ये सब सुन रही एक छोटी-सी बच्ची नन्हकी सहमी थी।




जब उससे बीती रात की घटना के बारे में पूछा तो उसने कहा, ‘पता है।’ जब यह पूछा गया कि तब क्यों सो रही हो यहां सड़क पर? तो उसने उल्टे सवाल पूछा, ‘कहां सोएं?’ सिर्फ कुम्हरार ही नहीं, कई ऐसे इलाके हैं जहां सैकड़ों लोग सड़क या फुटपाथ पर जान हथेली पर रखकर सोते हैं। फुटपाथों पर और पुल-पुलियों के नीचे रातें गुजारते हैं।

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