Lockdown ताउम्र तंदरुस्ती का वरदान साबित हो सकता है ये मौका, जानें डॉक्टर की महत्वपूर्ण टिप्स

एम्स में मनोरोग विभागाध्यक्ष ने बताए सदी में होने वाली कोरोना जैसी आपातस्थिति से निपटने के गुर। बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्गों के लिए ये हैं उपाय।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Wed, 01 Apr 2020 08:33 AM (IST) Updated:Wed, 01 Apr 2020 08:33 AM (IST)
Lockdown ताउम्र तंदरुस्ती का वरदान साबित हो सकता है ये मौका, जानें डॉक्टर की महत्वपूर्ण टिप्स
Lockdown ताउम्र तंदरुस्ती का वरदान साबित हो सकता है ये मौका, जानें डॉक्टर की महत्वपूर्ण टिप्स

पटना, जेएनएन। लॉकडाउन जैसी घटनाएं सदी में कभी-कभी होती हैं। इसका पहले से कोई अनुभव नहीं होने के कारण बच्चे तो बच्चे, युवा और बुजुर्गों तक की मानसिक अवस्था गड़बड़ा गई है। अभिभावक इसे मौका मानकर अपने साथ बच्चों को भी ऐसी दिनचर्या में ढाल सकते हैं जो ताउम्र तंदरुस्ती का वरदान साबित होगी। यह कहना है पटना एम्स में मनोरोग के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार का। 

बच्चों में आ रहीं समस्याएं 


- चारों ओर कोरोना के शोर से बच्चों में डर, अवसाद, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, भाई-बहनों से मारपीट की समस्याएं सामने आ रही हैं। 
- मोबाइल व इंटरनेट में लगे रहने से उनके कमर-पीठ में दर्द के साथ अवसाद की स्थिति बढ़ रही है। 
- बच्चों में डर के साथ नींद न आना, अवसाद जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। 
- कोरोना से बचाव को हाइजीन पर ज्यादा जोर होने से ऑब्सेसिस कंप्लसन डिसऑर्डर यानी बेवजह हाथ या चेहरा धोने की आदत पड़ सकती है। 
- पहले से मानसिक समस्या से जूझ रहे बच्चों की समस्याएं और बढ़ गई हैं। 
- बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ाने से माता-पिता के बीच भी तनाव बढ़ रहा है। 
 
क्यों हो रही समस्या


डॉ. पंकज कुमार के अनुसार अभी तक हम 24 घंटे की भागमभाग वाली जिंदगी जी रहे थे। अचानक से घर में बंद रहने से हमारे पास समय ही समय हो गया है। ऐसे में बच्चे, युवा और बुजुर्गों, सभी का समय न्यूज चैनल, इंटरनेट, मोबाइल, सोशल साइट्स पर गुजर रहा है। इनमें से अधिकांश में कोरोना की डरावनी सूचनाएं ही प्रसारित हो रही हैं। ऐसे में जो लोग पहले से किसी प्रकार के मानसिक रोग से ग्रसित हैं, उनकी समस्या तो बढ़ी ही है, बच्चों के साथ स्वस्थ लोगों को भी मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। 
 
खुद को व्यस्त रखने में छिपी है सेहत


डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि लॉक डाउन के कारण बच्चों के साथ अभिभावकों के पास भी भरपूर समय है। ऐसे में खुद को व्यस्त रखना ही समस्या का समाधान है। खुद को व्यस्त रखकर ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखा जा सकता है। इसके लिए घर के सभी लोग आपस में बैठकर सुबह से रात में सोने तक के हर क्षण में वह क्या करेंगे, इसका प्रारूप तैयार करें। इसके बाद सभी हर दिन उसके अनुसार काम करें।
24 घंटे न्यूज चैनल के बजाय अखबार को बनाएं साथी


डॉ. पंकज कुमार के अनुसार 24 घंटे चैनल पर कोरोना की खबरें देखने से बढिय़ा है कि मानसिक खुराक के लिए अखबार को अपना साथी बनाएं। विश्वसनीय समाचार का साधन भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, इसके लिए जो भी समाचारपत्र चाहें पढ़ सकते हैं। लेकिन, हर समय न्यूज चैनल देखने की आदत तो तुरंत छोड़ दीजिए अन्यथा कोरोना के भय से बीमार होना तय है। 
 
दिन में कब, क्या करना है बनाएं रूटीन 


- जल्दी सोने और जल्दी जागने का बनाएं नियम। 
- सुबह छत या जो भी खुली जगह घर में हो, वहां व्यायाम, योग और ध्यान करें। 
- सुबह-शाम के नाश्ते और दोपहर-रात के खाने का समय निश्चित करें। 
- घर की साफ-सफाई, खाना बनाने और अन्य कार्यों को घर के सभी सदस्यों में बांटें और एकसाथ मिलकर करें। 
- पुरानी फोटो, वीडियो देखकर यादों को पूरे परिवार के साथ शेयर करें। 
- यदि आपकी गाने, पेंटिंग आदि कोई हाबी हो तो बच्चों के साथ उसकी प्रैक्टिस करें। 
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