अपनी सरकार की समीक्षा को बैठेंगे जदयू विधायक

जदयू जल्द ही अपने विधायकों की बैठक बुलाकर अपनी सरकार के कामकाज की समीक्षा करेगा। इसमें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार व संगठन की तैयारियों

By Mrityunjay Kumar Edited By: Publish:Sat, 25 Oct 2014 09:20 AM (IST) Updated:Sat, 25 Oct 2014 09:23 AM (IST)
अपनी सरकार की समीक्षा को बैठेंगे जदयू विधायक

पटना ( अरुण अशेष)। जदयू जल्द ही अपने विधायकों की बैठक बुलाकर अपनी सरकार के कामकाज की समीक्षा करेगा। इसमें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार व संगठन की तैयारियों पर चर्चा होगी। जाहिर तौर पर एजेंडा के रूप में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की कार्यशैली, उनके भाषण.., यानी तमाम पक्षों से जुड़े नफा-नुकसान का भी आकलन होगा। बैठक छठ से पहले या ठीक बाद में हो सकती है। मांझी सरकार के छह महीने पूरे हो गए हैं। मौजूदा सरकार के पास अगले चुनाव से पहले काम करने के लिए सिर्फ नौ महीने का समय बचा हुआ है। बैठक में विधायक बताएंगे कि उनके क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की क्या स्थिति है? वे अपनी राय भी देंगे कि काम की गति को तेज करने के लिए और क्या किया जा सकता है? समीक्षा के दौरान बिजली का मुद्दा उठेगा। मुख्यमंत्री की हैसियत से नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि अगर बिजली की हालत नहीं सुधरी तो 2015 के विधानसभा चुनाव में वोट मांगने नहीं जाएंगे। इस मोर्चे पर कामकाज का आकलन होगा। माना जा रहा है कि मांझी की सरकार नई नहीं है। यह नीतीश सरकार का ही विस्तार है। इसलिए पद पर रहने के दौरान नीतीश की ओर से किए गए वादे को पूरा करना मांझी सरकार की नैतिक जवाबदेही है। कानून-व्यवस्था की हालत पर विधायक अपनी राय रखेंगे। नीतीश सरकार के एजेंडे में अपराध पर नियंत्रण भी एक मसला था। जदयू या तत्कालीन राजग को शांति के एवज में भी वोट मिला था, मगर पुलिस की सुस्ती और अपराध की घटनाओं में बढ़ोत्तरी के बाद हाल के दिनों में जनता की यह धारणा बन रही है कि अपराध नियंत्रण का एजेंडा कमजोर हुआ है। विधायक अपनी राय देंगे कि कैसे अपराध नियंत्रण की कोशिशों को पहले की तरह जारी रखा जाए।

इन दिनों मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहज भाव से सार्वजनिक मंच पर ऐसा कुछ बोल जाते हैं, जिससे विरोधियों को जदयू और सरकार पर हमला करने का अवसर मिल जाता है। विरोधी इसके हवाले से सरकार और संगठन में टकराव का संदेश भी फैलाने में कामयाब हो जाते हैं। विरोधियों को यह प्रचारित करने का मौका मिल जाता है कि मांझी को अब जदयू के बड़े नेताओं की सलाह की परवाह नहीं है। बैठक का एक अहम मुद्दा यह भी हो सकता है कि किस तरह मांझी के भाषण से पैदा होने वाली असहज स्थिति से निबटा जाए? खबर है कि पार्टी के नेताओं और कुछ चुनिंदा विधायकों ने विधायक दल की बैठक जल्द बुलाने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बातचीत की है। विधायक दल की बैठक बुलाने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया जा सकता है। यह भी हो सकता है कि नीतीश कुमार खुद ही इसकी पहल करें। पद से इस्तीफा के दौरान विधायक दल ने नीतीश कुमार को संगठन और सरकार के बीच समन्वय के लिए लिखित तौर पर अधिकृत किया था। जरूरत पड़ने पर नीतीश इस अधिकार का उपयोग करते हुए विधायकों की बैठक बुला सकते हैं। फिलहाल यह तय होना बाकी है कि इस बैठक में विधानमंडल के दोनों सदनों के जदयू सदस्यों को बुलाया जाएगा या सिर्फ विधानसभा सदस्य ही मौजूद रहेंगे!अरुण अशेष, पटना1जदयू जल्द ही अपने विधायकों की बैठक बुलाकर अपनी सरकार के कामकाज की समीक्षा करेगा। इसमें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार व संगठन की तैयारियों पर चर्चा होगी। जाहिर तौर पर एजेंडा के रूप में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की कार्यशैली, उनके भाषण.., यानी तमाम पक्षों से जुड़े नफा-नुकसान का भी आकलन होगा। 1बैठक छठ से पहले या ठीक बाद में हो सकती है। मांझी सरकार के छह महीने पूरे हो गए हैं। मौजूदा सरकार के पास अगले चुनाव से पहले काम करने के लिए सिर्फ नौ महीने का समय बचा हुआ है। बैठक में विधायक बताएंगे कि उनके क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की क्या स्थिति है? वे अपनी राय भी देंगे कि काम की गति को तेज करने के लिए और क्या किया जा सकता है? समीक्षा के दौरान बिजली का मुद्दा उठेगा। मुख्यमंत्री की हैसियत से नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि अगर बिजली की हालत नहीं सुधरी तो 2015 के विधानसभा चुनाव में वोट मांगने नहीं जाएंगे। इस मोर्चे पर कामकाज का आकलन होगा। माना जा रहा है कि मांझी की सरकार नई नहीं है। यह नीतीश सरकार का ही विस्तार है। इसलिए पद पर रहने के दौरान नीतीश की ओर से किए गए वादे को पूरा करना मांझी सरकार की नैतिक जवाबदेही है। कानून-व्यवस्था की हालत पर विधायक अपनी राय रखेंगे। नीतीश सरकार के एजेंडे में अपराध पर नियंत्रण भी एक मसला था। जदयू या तत्कालीन राजग को शांति के एवज में भी वोट मिला था, मगर पुलिस की सुस्ती और अपराध की घटनाओं में बढ़ोत्तरी के बाद हाल के दिनों में जनता की यह धारणा बन रही है कि अपराध नियंत्रण का एजेंडा कमजोर हुआ है। विधायक अपनी राय देंगे कि कैसे अपराध नियंत्रण की कोशिशों को पहले की तरह जारी रखा जाए।

इन दिनों मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहज भाव से सार्वजनिक मंच पर ऐसा कुछ बोल जाते हैं, जिससे विरोधियों को जदयू और सरकार पर हमला करने का अवसर मिल जाता है। विरोधी इसके हवाले से सरकार और संगठन में टकराव का संदेश भी फैलाने में कामयाब हो जाते हैं। विरोधियों को यह प्रचारित करने का मौका मिल जाता है कि मांझी को अब जदयू के बड़े नेताओं की सलाह की परवाह नहीं है। बैठक का एक अहम मुद्दा यह भी हो सकता है कि किस तरह मांझी के भाषण से पैदा होने वाली असहज स्थिति से निबटा जाए? खबर है कि पार्टी के नेताओं और कुछ चुनिंदा विधायकों ने विधायक दल की बैठक जल्द बुलाने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बातचीत की है। विधायक दल की बैठक बुलाने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया जा सकता है। यह भी हो सकता है कि नीतीश कुमार खुद ही इसकी पहल करें। पद से इस्तीफा के दौरान विधायक दल ने नीतीश कुमार को संगठन और सरकार के बीच समन्वय के लिए लिखित तौर पर अधिकृत किया था। जरूरत पड़ने पर नीतीश इस अधिकार का उपयोग करते हुए विधायकों की बैठक बुला सकते हैं। फिलहाल यह तय होना बाकी है कि इस बैठक में विधानमंडल के दोनों सदनों के जदयू सदस्यों को बुलाया जाएगा या सिर्फ विधानसभा सदस्य ही मौजूद रहेंगे!

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