पटना में ब्रिक्स देशों की अहम बैठक में छाया रहा आतंकवाद का मुद्दा

विश्व की उभरती हुई पांच अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक पटना के हौटल मौर्या में हो रही है। इसमें व्यापारिक मुद्दों के साथ आतंकवाद भी चर्चा हो रही है।

By Pramod PandeyEdited By: Publish:Tue, 26 Jul 2016 03:21 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jul 2016 06:50 PM (IST)
पटना में ब्रिक्स देशों की अहम बैठक में छाया रहा  आतंकवाद का मुद्दा

पटना [राज्य ब्यूरो]। विश्व की पांच बड़ी आर्थिक महाशक्तियों के समूह ब्रिक्स की महत्वपूर्ण बैठक मंगलवार को पटना के होटल मौर्या में हुई। इस बैठक में पांचों सदस्य देशों भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार से संबंधित मुद्दों के साथ आतंकवाद की समस्या का मुद्दा छाया रहा। आर्थिक सहयोग बढ़ाने सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

होटल मौर्या में सुबह पौने दस बजे शुरू हुई यह बैठक देर शाम तक चली। इसमें ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से हटने के बाद उत्पन्न स्थिति पर विचार के साथ दुनिया पर इसका दुष्प्रभाव कम करने के उपायों पर भी मंथन हुआ। आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि इस मुद्दे का समाधान ब्रिक्स के नियमों के मुताबिक किया जाए। ब्राजील की राय थी कि आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुकूल हो।

बैठक में सदस्य देशों में आपसी आर्थिक सहयोग व समन्वय पर जोर दिया गया। इसके लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा हुई। आमराय उभरी कि सभी समस्याओं का एेसा समाधान हो जिसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहे। ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से निकलने पर होने वाले नुकसान पर भी बैठक में चर्चा हुई और सदस्य देशों ने दुनिया पर इसका दुष्प्रभाव कम करने के प्रयासों की जरूरत पर भी जोर दिया।

बैठक में ब्राजील का प्रतिनिधित्व माइकल आर्सलनियन नेटो, रूस का प्रतिनिधित्व ओलेग स्टेपानोव, चीन का प्रतिनिधित्व वांग वेनबिन और दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधित्व डेविड मलकोमसोन ने किया। भारत का प्रतिनिधत्व विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि सुभाष झा ने किया।

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रूस के बाद भारत है अब ब्रिक्स का अध्यक्ष

भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे विदेश मंत्रालय के अधिकारी संतोष झा ने बताया कि रूस के बाद ब्रिक्स की अध्यक्षता अब भारत के पास है। ब्रिक्स को जन केंद्रित करने के उद्देश्य से यह सम्मेलन दिल्ली से बाहर आयोजित किया जा रहा है। बोधगया और नालंदा के अंतरराष्ट्रीय महत्व को देखते हुए सम्मेलन स्थल के रूप में बिहार का चयन हुआ है।

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