Railway News: टिकट चाहे किउल का लें या झाझा का, किराया हावड़ा तक का ही देना होगा

Indian Railway News किसी भी स्‍टेशन पर उतरें देना होगा पूरा किराया यात्रियों की जेब पर भारी पड़ेगा स्पेशल ट्रेनों का किराया स्पेशल चार्ज के साथ देना होगा किमी का रेस्ट्रिक्शन चार्ज रेलवे ने तय किया स्पेशल ट्रेनों का किराया इस नये नियम के बारे में जरूर जान लें

By Shubh NpathakEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 07:29 AM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 07:29 AM (IST)
Railway News: टिकट चाहे किउल का लें या झाझा का, किराया हावड़ा तक का ही देना होगा
रेलवे के इस नियम के बारे में जरूर जान लें। जागरण

पटना [चंद्रशेखर]। लॉकडाउन के बाद गिनी-चुनी स्‍पेशल ट्रेनें चलाने से आम लोगों को राहत तो मिल रही है, लेकिन जेब पर बोझ भी बढ़ रहा है। रेलवे ने स्‍पेशल ट्रेनों के किराये के नियम ऐसे रखे हैं, जिससे यात्रियों को पहले की अपेक्षा अधिक रुपये अपनी यात्रा के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं। एक तो स्‍पेशल ट्रेनों का किराया भी स्‍पेशल यानी सामान्‍य ट्रेनों से अधिक रखा गया है और दूसरी तरफ यात्रा के लिए कई ट्रेनों में 500 किलोमीटर की दूरी प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। इसके चलते रेलयात्रियाें को छोटी यात्राओं के लिए भी अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। मेमू और दूसरी लोकल ट्रेनें नहीं चलने के कारण छोटी दूरी की यात्राएं स्‍पेशल एक्‍सप्रेस ट्रेनों से करना लोगों की मजबूरी है। इधर, रेलवे का कहना है कि स्‍पेशल ट्रेनों के लिए ऐसे नियम बहुत पहले से ही लागू हैं।

टिकट किसी स्‍टेशन का भी ले लें किराया हावड़ा का ही लगेगा

रेल अधिकारियों की मानें तो अगर कोई भी यात्री राजेंद्र नगर हावड़ा स्पेशल ट्रेन से एसी थ्री में राजेन्द्र नगर टर्मिनल से किउल, झाझा या जसीडीह में से किसी भी स्टेशन तक जाना  चाह रहा हो तो उसे टिकट भले ही उसी स्टेशन तक का दिया जाएगा, परंतु भाड़ा उसे लगभग हावड़ा तक का ही देना होगा। कम से कम पांच सौ किमी का भाड़ा स्पेशल ट्रेनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। पाटलिपुत्र लखनऊ स्पेशल ट्रेन से अगर कोई यात्री गोरखपुर ही नहीं छपरा भी जाना चाहेगा तो उसे एसी थ्री में 500 किमी तक का ही किराया देना होगा। इससे बीच में उतरने वाले ही नहीं बीच के स्टेशन से चढ़ने  वाले  यात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पटना जंक्शन से किसी भी स्पेशल ट्रेन से कोई भी यात्री स्लीपर, एसी थ्री अथवा एसी टू में डीडीयू, इलाहाबाद अथवा बीच के किसी भी स्टेशन तक जाएंगे उन्हें लगभग कानपुर तक का ही किराया देना होगा।

अलग-अलग श्रेणि‍यों के लिए स्‍पेशल किराया वसूल रहा रेलवे

आधिकारिक सूत्रों की मानें तो रेलवे की ओर से स्पेशल किराया को भी श्रेणीवार वर्गीकृत किया गया है। जनरल कोच में बैठने के लिए न्यनतम स्पेशल चार्ज 10 रुपये तो अधिकतम 15 रुपये तय कर दिया गया है। स्लीपर में न्यूनतम 90 तो अधिकतम 175 रुपये देने होंगे। एसी थ्री में न्यनतम 250 तो अधिकतम 350 देने होंगे। नियम यह बनाया गया है कि द्वितीय श्रेणी के लिए बेस फेयर का दस फीसद व स्लीपर तथा एसी श्रेणी के लिए  बेस फेयर का अधिकतम तीस फीसद स्पेशल चार्ज के रूप में लिया जाएगा। इससे रेलवे को 10 से 30 फीसद तक अधिक कमाई इन स्पेशल ट्रेनों से हो रही है।

क्लास       न्यूनतम शुल्क             अधिकतम शुल्क  

2 एस         10                                15

स्लीपर        90                              175

एसी चेयर    100                             200

एसी थ्री        250                             350

एसी टू         300                             400

एक्सक्यूटिव  300                            400

एसी प्रथम     300                            400

न्यूनतम दूरी चार्ज

श्रेणी                    न्यूनतम  दूरी चार्ज

2 एस                          100 किमी

स्लीपर                         500 किमी

एसी चेयर                     250 किमी

3 एसी                           500 किमी

2 एसी                            500 किमी

एक्सक्यूटिव                   250 किमी

1 ए                                500 किमी

अधिकारी की बात भी सुन लें

पूर्व मध्य रेल के मुख्य जन संपर्क अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों में स्पेशल किराया लेने का प्रावधान काफी पहले से चला आ रहा है। रेलवे की ओर से इस संक्रमण काल में सुरक्षित यात्रा के साथ ट्रेन सेवाएं शुरू की गई है यह काफी सराहनीय प्रयास है। लोग डर से घरों में चिपके रहे और रेल कर्मचारी उनके लिए लगातार ड्यूटी पर डटे रहे। संक्रमण काल में रेलवे की ओर से ट्रेनों के मेंटेनेंस पर स्टेशनों के मेंटेनेंस पर काफी खर्च किया जा रहा है। इसके कारण ही स्पेशल फेयर लेने का प्रावधान किया गया है। बेस फेयर का दस से तीस फीसद तक अधिक लेने का प्रावधान है।

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