किसकी नकदी जमा, नब्ज टटोल रहा आयकर विभाग

नोटबंदी के बाद बिहार- झारखंड में उच्च जोखिम लेनदेन (मोटी रकम जमा-निकासी) वाले।

By Edited By: Publish:Tue, 21 Feb 2017 10:32 PM (IST) Updated:Tue, 21 Feb 2017 10:32 PM (IST)
किसकी नकदी जमा, नब्ज टटोल रहा आयकर विभाग
किसकी नकदी जमा, नब्ज टटोल रहा आयकर विभाग

पटना। नोटबंदी के बाद बिहार- झारखंड में उच्च जोखिम लेनदेन (मोटी रकम जमा-निकासी) वाले करीब 1800 बैंक खातों को आयकर विभाग ने चिह्नित किया है। विभाग ने मोटी रकम जमा करने वालों को 15 फरवरी तक ऑनलाइन नोटिस का जवाब मांगा था। मकसद था कि नकदी जमा करने वाले लोगों के बारे में पता चल सके। करीब 60 फीसद लोगों ने आयकर विभाग के नोटिस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

विभाग ने नोटबंदी के दौरान 31 दिसंबर तक बैंकों में मोटी रकम जमा करने वाले करीब 2986 लोगों को लिखित नोटिस भेजकर आय का स्रोत बताने को कहा है। ई-मेल और एसएमएस के माध्यम से मांगी गई जानकारी के आंकड़े अलग हैं। आयकर विभाग बिहार और झारखंड में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खुले बैंक खातों में जमा की गई नकदी का स्रोत पता लगाने में जुटा है लेकिन खाताधारकों ने मौन साध लिया है।

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हिसाब नहीं देने पर बढ़ेगी मुसीबत :

नोटबंदी के बाद बैंक खाते में जमा नकदी का हिसाब आयकर विभाग को नहीं देने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जमा राशि के स्रोत का हिसाब या प्रतिक्रिया नहीं देने वालों पर आयकर विभाग आगे कार्रवाई शुरू करने में जुट गया है। अगले कदम के तहत सर्वेक्षण और छापेमारी हो सकती है। आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर कैश ट्रांजैक्शन 2016 लिंक पर जवाब के लिए आप्शन दिया गया था जिसकी मियाद 15 फरवरी को पूरी हो गई है।

पैसे वालों की पहचान कठिन :

प्रधानमंत्री जन धन खातों में नकदी जमा करने वाल कौन लोग हैं, इसकी जानकारी सिर्फ खाताधारकों के पास है। आयकर विभाग के पास पक्की जानकारी है कि नकदी बचाने के लिए इन खातों का इस्तेमाल किया गया है। वैसे मोटी रकम वाले जनधन खाते से निकासी पर रोक लगा दी गई है। जब तक जमा धन का स्रोत और टैक्स जमा नहीं हो जाता निकासी पर पाबंदी रहेगी।

31 मार्च तक विकल्प :

नोटबंदी के दौरान जमा की गई नकदी का यदि हिसाब नहीं दे सकते तो सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का विकल्प चुनने का मौका दिया है। इस योजना में करीब 50 फीसद राशि वापस मिल सकती है। यदि मौन साध रह गए तो पूरी रकम गंवाने या आयकर विभाग के सर्वे का सामना करना पड़ सकता है।

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