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Bihar News: भाषायी अकादमियों का एकीकरण करेगी नीतीश सरकार, अंतिम दौर में चल रही प्रक्रिया

बिहार की सभी भाषाई अकादमियों के एकीकरण करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। शिक्षा विभाग भाषायी अकादमियों के कर्मियों के लिए सेवा शर्त नियमावली तैयार कर रही है। प्रस्तावित सेवा शर्त के निर्माण का काम अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि अकादमियों के एकीकरण पर अंतिम निर्णय होने तक कर्मियों की प्रस्तावित सेवा शर्त तैयार हो जाएगी।

By Dina Nath Sahani Edited By: Mohit Tripathi Published: Sun, 28 Apr 2024 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2024 07:25 PM (IST)
अंतिम दौर में भाषायी अकादमियों के एकीकरण की प्रक्रिया। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य की सभी भाषाई अकादमियों के एकीकरण करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इसके तहत भाषायी अकादमियों के कर्मचारियों के लिए शिक्षा विभाग द्वारा सेवा शर्त नियमावली तैयार की जा रही है। प्रस्तावित सेवा शर्त के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है।

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माना जा रहा है कि भाषायी अकादमियों के एकीकरण पर अंतिम निर्णय होने तक कर्मचारियों की प्रस्तावित सेवा शर्त तैयार हो जाएगी। इसके साथ ही एकीकरण की तैयारियों के तहत सभी भाषायी अकादमियों का आडिट कार्य भी पूरा करा लिया गया है। साथ ही सभी भाषायी अकादमियों की संपत्ति और देनदारी का आकलन भी कराया जा रहा है।

वर्तमान में कार्यरत भाषायी अकादमियां

राज्य में वर्तमान में जो भाषायी अकादमियां कार्यरत हैं उनमें संस्कृत अकादमी, मैथिली अकादमी, मगही अकादमी, भोजपुरी अकादमी, बांग्ला अकादमी, दक्षिण भारतीय भाषा संस्थान एवं अंगिका अकादमी शामिल हैं।

यहां बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 23 सितंबर, 2923 को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सभी भाषायी अकादमियों का एकीकरण कर एक ही छत के नीचे लाने पर सहमति दी गई थी। बिहार सरकार का मानना है कि इससे सभी भाषायी अकादमियों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

सूर्यापुरी और बज्जिका अकादमी का गठन प्रस्ताव

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में दो और भाषायी अकादमी के गठन का भी निर्णय हुआ था। इसके तहत सूर्यापुरी अकादमी और बज्जिका अकादमी का गठन प्रस्तावित है।

बता दें कि सूर्यापुरी सीमांचल की भाषा है। यह सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज एवं अररिया में बोली जाती है।

2011 की जनगणना के मुताबिक, यह 18 लाख 57 हजार 920 लोगों की भाषा है। जबकि बज्जिका वैशाली, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी एवं शिवहर बोली जाती है। बज्जिका भाषियों की संख्या दो करोड़ से भी ज्यादा है। इसका अपना साहित्य भी है।

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