बिहार में मंडरा रहा सुखाड़ का साया, अब उम्‍मीद जगा रही यह तितली, जानिए

पिछले दिनों तितली तूफान के चलते मौसम में आए बदलाव से किसानों की उम्मीदें फिर रही हो गईं हैं। लेकिन खरीफ का मौसम सूखा गुजरा तो इसका असर आगे भी पड़ेगा।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 15 Oct 2018 06:22 PM (IST) Updated:Mon, 15 Oct 2018 10:45 PM (IST)
बिहार में मंडरा रहा सुखाड़ का साया, अब उम्‍मीद जगा रही यह तितली, जानिए
बिहार में मंडरा रहा सुखाड़ का साया, अब उम्‍मीद जगा रही यह तितली, जानिए

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में इस बार खरीफ फसलों के उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करना आसान नहीं होगा। मौसम ने किसानों को ऐन वक्त पर दगा दिया है। धान की फसल खेतों में खड़ी है। हथिया नक्षत्र भी सूखा गुजर गया। पानी के बिना फसलें सूख रही हैं। राज्य सरकार ने डीजल सब्सिडी के फेरे बढ़ाकर मर रही फसलों को बचाने की कोशिश की है, किंतु खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था नहीं होने के कारण कम से कम 20 फीसद फसलों का सूखना तय माना जा रहा है। हालांकि, इन दिनों 'तितली' तूफान से कुछ उम्मीद बंधी है।

सूखे का आकलन करा रहा कृषि विभाग

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर कृषि विभाग सूखे का आकलन करा रहा है। हाल ही में विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने सभी जिला कृषि पदाधिकारियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए हालात की जानकारी ली। फिर, राज्य मुख्यालय से नोडल अधिकारियों को भेजकर सर्वेक्षण कराया गया।

तितली तूफान से किसानों को बंधी उम्‍मीद

पिछले दिनों तितली तूफान के चलते मौसम में आए बदलाव से किसानों की उम्मीदें कुछ बंधी हैं, किंतु जरूरत भर बारिश का अभी भी इंतजार है। अगर खरीफ का मौसम सूखा गुजरा तो इसका असर रबी फसलों पर भी पड़ सकता है। जाहिर है, खाद्यान्न के कुल उत्पादन में गिरावट आ सकती है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार अच्छी फसल का रिकार्ड थम सकता है।

उत्‍पादन की रफ्तार थमने की आशंका

राज्य सरकार ने चालू वर्ष में खाद्यान्न के लिए 268 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। खरीफ फसलों के लिए 122 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है। इसमें सबसे ज्यादा धान की 106 लाख मीट्रिक टन की भागीदारी है। इसके लिए 34 लाख हेक्टेयर में खेती की गई है। मक्का के लिए 18 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य रखा गया है। बाकी अन्य मोटे अनाज एवं दलहन हैं। पिछले साल बिहार ने रिकॉर्ड 185 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन किया था। बिहार ने पांच साल पहले के अपने ही रिकार्ड को तोड़ा था। 2012-13 में 178.29 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। राज्य सरकार को अबकी यह रफ्तार थमने की आशंका है।

कहां कितने को चाहिए डीजल अनुदान (रुपये में)

छपरा : एक लाख

हाजीपुर : 18,456

जहानाबाद :14,086

बक्सर : 12,000

नालंदा : 43,394

सिवान : 48,158

बेगूसराय : 15,885

कहां कितनी बारिश (मिलीमीटर में)

मुंगेर : 108

खगडिय़ा : 94.6

लखीसराय : 77.4

भागलपुर : 60.1

अररिया : 36.3

सहरसा : 32.8

जमुई : 30.0

बांका : 29.8

किशनगंज : 27.2

मधेपुरा : 25.9

पूर्णिया : 23.4

शेखपुरा : 20.3

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