केंद्रीय मंत्री पारस को हराने वाले राजद के पूर्व विधायक नहीं जीत पाए मुखिया चुनाव

कई राजनीतिक धुरंधरों को जनता ने उनकी औकात बता दी। मंत्रियों सांसदों विधायकों के नाते-रिश्तेदारों को भी नकार दिया। केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को 2015 के विधानसभा चुनाव में अलौली के मैदान में पराजित करने वाले राजद के पूर्व विधायक चंदन राम मुखिया का चुनाव नहीं जीत पाए।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 18 Nov 2021 08:53 PM (IST) Updated:Thu, 18 Nov 2021 08:53 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री पारस को हराने वाले राजद के पूर्व विधायक नहीं जीत पाए मुखिया चुनाव
केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार में सातवें चरण के पंचायत चुनाव ने कई दिग्गजों की लुटिया डुबो दी। परिवारवाद और वंशवाद पर जनता ने करारा प्रहार कर इसे सिरे से खारिज कर दिया। एक के बाद एक कर कई राजनीतिक धुरंधरों को जनता ने उनकी औकात बता दी। मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के नाते-रिश्तेदारों को भी नकार दिया। केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को 2015 के विधानसभा चुनाव में अलौली के मैदान में पराजित करने वाले राजद के पूर्व विधायक चंदन राम मुखिया का चुनाव नहीं जीत पाए। तेतराबाद पंचायत में चंदन को महज 567 मतों से संतोष करना पड़ा। शायद यही वजह रहा होगा कि राजद ने चंदन की जनता के बीच लचर होती पकड़ को भांपते हुए 2020 के विधानसभा चुनाव में टिकट काट दिया था।

सत्ता विरोधी लहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काराकाट से जदयू सांसद महाबली सिंह कुशवाहा के पुत्र धर्मेंद्र सिंह भगवानपुर पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गए। धर्मेंद्र परिवारवाद की भेंट चढ़ गए। इससे पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें खारिज कर चुकी है। पिछली सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री रहे बृजकिशोर बिंद के भाई लालबहादुर बिंद मोकरम पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गए हैं। और तो और सीमाचंल की धरती को अपनी साहित्य गाथाओं से विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले महान साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की बहू अररिया जिले की औराही (पश्चिम) पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गई हैं। रेणु की बहू वीणा राय भाजपा के पूर्व विधायक पद्मपराग वेणु की पत्नी हैं। गांव की सरकार की लड़ाई में वीणा राय तीसरे नंबर पर रहीं। 

प्रशंसकों का दिल जीतने वाली अर्चना को जनता ने किया खारिज

भोजपुरी फिल्मी दुनिया में अदाकारी के बल पर प्रशंसकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री डा. अर्चना सिंह शिवहर जिले की जनता का दिल नहीं जीत पाईं। वे जिला परिषद सदस्य की उम्मीदवार थीं और मात खा गईं।

वंशवाद को आईना दिखा चुके हैं पंचायत चुनाव के पिछले छह चरण

महत्वूपर्ण यह कि पंचायत चुनाव के पिछले छह चरणों में भी जनता ने कई विधायकों और विधान पार्षदों के स्वजनों को खारिज कर राजनीति में वंशवाद को आईना दिखाया है। इससे पहले कुचायकोट से जदयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के भतीजे समेत दिग्गजों के कई स्वजन मुंह की खा चुके हैं। उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के भाई बेतिया में जिला परिषद सदस्य का चुनाव हार चुके हैं। इसी तरह राजस्व मंत्री रामसूरत राय के बड़े भाई भरत राय भी मुजफ्फरपुर जिला में बोचहां प्रखंड की गरहां पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गए थे। बोचहां विधायक मुसाफिर पासवान की बहू भी जिला परिषद सदस्य पद का चुनाव हार चुकी हैं। वैशाली जिला में पातेपुर से विधायक लखीन्द्र पासवान की पत्नी को भी जनता ने नकार दिया। झारखंड के कद्दावर नेता और विधायक सरयू राय की बहू को भी जनता ने पंचायत के चुनाव में अस्वीकार कर दिया। 

chat bot
आपका साथी