हत्‍या मामले में पिता-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा, तीन वर्ष पुराने मामले में गोपालगंज कोर्ट का फैसला

गोपालगंज में तीन वर्ष पूर्व नाला निर्माण के समय विवाद होने पर चाकू घोंपकर अधेड़ की हत्‍या मामले में कोर्ट ने पिता-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोनों पर अर्थदंड भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्‍त सजा भुगतनी होगी।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Mon, 23 May 2022 05:17 PM (IST) Updated:Mon, 23 May 2022 05:17 PM (IST)
हत्‍या मामले में पिता-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा, तीन वर्ष पुराने मामले में गोपालगंज कोर्ट का फैसला
गोपालगंज कोर्ट ने पिता-पुत्र को सुनाई उम्रकैद की सजा। सांकेतिक तस्‍वीर

गोपालगंज, जागरण संवाददाता।  मांझागढ़ थाना क्षेत्र के धामापाकड़ गांव में करीब तीन साल पूर्व चाकू मारकर हुई अधेड़ की हत्या मामले में पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्‍वविभूति गुप्ता के न्यायालय ने पिता-पुत्र को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उनपर 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।  अर्थदंड की रकम अदा नहीं करने पर उन्हें एक साल साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।

नाला निर्माण के समय किया था चाकू से हमला 

जानकारी के अनुसार, मांझागढ़ थाना क्षेत्र के धामापाकड़ गांव के शकील अंसारी 18 मार्च 2019 को गांव के ही गुलशेव आलम के दरवाजे से होकर नाला का निर्माण करा रहे थे। इस बीच गुलशेव आलम तथा उसके पिता नबी आलम ने नाला निर्माण कार्य का विरोध करना शुरू कर दिया। विवाद बढ़ने के बाद पिता-पुत्र ने शकील अंसारी पर हमला कर दिया। इस क्रम में चाकू से हमला किए जाने से वे गंभीर रूप से जख्‍मी हो गए थे। इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। वहां उनकी हालत चिंताजनक देखकर चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए गोरखपुर रेफर कर दिया। गोरखपुर में इलाज के क्रम में 10 दिनों बाद शकील अंसारी की मौत हो गई।

पिता-पुत्र पर दर्ज की गई थी प्राथमिकी 

घटना को लेकर थाने में मांझागढ़ थाना क्षेत्र के धामापाकड़ गांव के गुलशेव आलम तथा उसके पिता नबी हुसैन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। इस मामले में आरोप पत्र समर्पित किए जाने के बाद सत्र न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्य के आधार पर न्यायालय ने आरोपित पिता-पुत्र को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास तथा दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इस मामले में सरकार की ओर से एपीपी परवेज हसन तथा बचाव पक्ष से वेद प्रकाश तिवारी अधिवक्ता ने न्यायालय में बहस किया।

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