विद्यापति के नाम पर होगा दरभंगा एयरपोर्ट का नामकरण, नीतीश के प्रस्‍ताव पर लगी मुहर

दरभंगा एयरपोर्ट का नामकरण महाकवि मैथिल कोकिल विद्यापति के नाम पर किया जाएगा। इसकी जानकारी जलसंसाधन मंत्री संजय झा ने दी। वे मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रभार में भी हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 28 Nov 2019 09:25 PM (IST) Updated:Thu, 28 Nov 2019 09:25 PM (IST)
विद्यापति के नाम पर होगा दरभंगा एयरपोर्ट का नामकरण, नीतीश के प्रस्‍ताव पर लगी मुहर
विद्यापति के नाम पर होगा दरभंगा एयरपोर्ट का नामकरण, नीतीश के प्रस्‍ताव पर लगी मुहर

पटना, राज्य ब्यूरो। दरभंगा एयरपोर्ट का नामकरण महाकवि मैथिल कोकिल विद्यापति के नाम पर किया जाएगा। इसकी जानकारी मंत्रिमंडल सचिवालय (नागरिक विमानन) विभाग के प्रभारी मंत्री की हैसियत से जल संसाधन मंत्री संजय झा ने गुरुवार को विधानसभा में दी। वह सदन में गैर-सरकारी संकल्प के माध्यम से जाले के विधायक जिवेश कुमार द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर जवाब दे रहे थे। 

जवाब देने के क्रम में संजय झा ने कहा कि विद्यापति के नाम पर इस एयरपोर्ट का नामकरण करने का प्रस्ताव पिछले साल 24 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया था। मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव का तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने स्वागत करते हुए इसे तत्काल स्वीकार कर लिया था। 

सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में संजय झा ने कहा कि उत्तर बिहार से विमान सेवा की शुरुआत एक बड़ी आबादी को लाभान्वित करेगी। इसी कारण दरभंगा एयरपोर्ट से लोगों की बड़ी उम्मीद जुड़ी है। उन्होंने सदन को बताया कि दरभंगा एयरपोर्ट हम में से कई के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट है। मैंने व्यक्तिगत रूप से पिछले कुछ सालों में इसके लिए काफी प्रयास किए हैं। साथ ही गो एयर, स्पाइस जेट जैसी कंपनियों को यहां से विमान सेवा को आरंभ करने के लिए राजी करने के लिए प्रयास किया। वहीं, मोतिहारी में एयरपोर्ट बनाने संबंधी मांग पर प्रभारी मंत्री संजय झा ने कहा कि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। वहां एक हेलीपैड है। 

गौरतलब है कि गुरुवार को बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन था। इस बार शीतकालीन सत्र महज पांच दिनों का था। यह शनिवार को शुरू हुआ था। हालांकि, पांचों दिन ठीक से काम नहीं हुए। हंगामे के कारण स्‍थगित कर दिए गए। विधानसभा तो अंतिम दिन भी महज पांच मिनट ही चला, जबकि बुधवार को भी महज आठ मिनट ही सत्र चला था। कुुछ ऐसी ही स्थिति बिहार विधान परिषद की भी रही।

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