हमारे योद्धाः बस स्टैंड पर भूखे-प्यासों को रोज बंटती है राहत, फिजिकल डिस्टेंसिंग भी मेनटेन
आपदा में मदद के लिए सिख समुदाय में आगे निकलने की होड़ हमेशा रहती है। इस खबर में पटना के कुछ ऐसे ही योद्धाओं के बारे में जाने।
अनिल कुमार, पटना। यूं तो आस्था, विश्वास और समर्पण का लंगर गुरुद्वारों में रोज दिखता है, लेकिन आपदा में मदद के लिए सिख समुदाय में आगे निकलने की होड़ हमेशा रहती है। कोरोना वायरस को हराने के लिए जब लॉकडाउन घोषित हुआ तो पटना शहर में लोग परिवहन सेवाएं ठप होने से अपने गांव-गिरांव नहीं जा पाए। अपने घरों में लोग बने रहें यानी लॉकडाउन का पालन हो, इसकी जिम्मेदारी खाकी वर्दीधारियों पर है। आजकल तपते दिनों में लगाए गए लंगर ऐसे लोगों के लिए भगवान का द्वार बन गए हैं। लंगर में कोरोना से बचाव के सभी उपायों समेत फिजिकल डिस्टेंसिंग मेनटेन हो रही।
सैनिटाइज वाहनों से आता खाना
मीठापुर बस स्टैंड में रोज चलने वाले लंगर में खाने की व्यवस्था देख राहगीर चौंक जाते हैं। यहां दिनभर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी भी ठंडे पानी और चाय के लिए पहुंच रहे। प्रतिदिन सुबह नौ बजे शुरू होने वाली सेवा में 1000 राहगीरों को रोटी, चावल, दाल, सब्जी के साथ स्वच्छ जल दिया जा रहा है। बाललीला गुरुद्वारा मैनीसंगत के महंत संत कश्मीर ङ्क्षसह भूरिवाले के प्रमुख कारसेवक सरदार गुरु गोविंद सिंह ने सिख समाज के सहयोग से यह लंगर लगाया है। यहां सेवादारों में प्रसाद वितरण का जज्बा देखते बनता है। समस्त खानपान दशमेश गुरु की बाल क्रीड़ा वाले स्थल बाललीला गुरुद्वारा में भोर में सिख परिवारों के योगदान से तैयार होता है। 8 बजे सुबह बड़े बर्तनों में पैक कर सैनिटाइज वाहनों से एनएच होते मीठापुर बस स्टैंड भेजा जाता है।
जलमग्न पटना के दौरान भी की गई सेवा
समाजसेवी दीपक लांबा बताते हैं कि पिछले वर्ष पीएमसीएच में मई माह में प्रारंभ हुए शिविर में प्रतिदिन 1000 लोगों को भोजन कराते रहे। जब बारिश से पटना व पीएमसीएच जलमग्न हो गया था उस समय भी प्रतिदिन वाहन से लंगर लाकर वितरण किया गया। इस कार्य में बाललीला गुरुद्वारा के अलावा बाहरी संगत सहयोग करते हैं। बाललीला गुरुद्वारा द्वारा अन्य स्थानों पर भी राहत शुरू करने की योजना है।