बाढ़ का साइड इफेक्ट : गंगा में डूबे घाट, लाशों को भी करना पड़ रहा इंतजार

बिहार में आई बाढ़ से मुर्दे भी परेशान हैं। परिजनों को शवों के अंतिम संस्कार में परेशानी झेलनी पड़ रही है। पटना के बांस घाट पर अंतिम संस्कार बंद है तो गुलबी घाट पर लाइन लग रही है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Thu, 25 Aug 2016 07:02 PM (IST) Updated:Fri, 26 Aug 2016 05:41 PM (IST)
बाढ़ का साइड इफेक्ट : गंगा में डूबे घाट, लाशों को भी करना पड़ रहा इंतजार

पटना [अमित आलोक]। गंगा में आई बाढ़ का असर कुछ यूं है कि जिंदा लोगों की तो बात छोड़ दें, लाशों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पटना के गंगा तटवर्ती बांस घाट पर अंतिम संस्कार को रोक दिया गया है। वहीं, गुलबी घाट में रैन बसेरा में शव जलाए जा रहे हैं। इसके लिए भी घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है।

पटना के बांस घाट या गुलबी घाट पर रोजाना औसतन सौ से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जाता रहा है। लेकिन, बांस घाट में बाढ़ का पानी आ जाने के कारण वहां अंतिम संस्कार रोक दिया गया है। ऐसे में लोगों को केवल गुलबी घाट का सहारा है। लेकिन, वहां पर भी घाट पर पानी भरने के कारण शवों को रैन बसेरा में जलाया जा रहा है।

गुलबी घाट के रैन बसेरा में एक बार में दो शवों का ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है, जबकि इसके लिए आने वालों की तादाद बड़ी है। इस कारण परिजन शवों के साथ लंबा इंतजार करने को विवश हैं। दरभंगा के रंजन यादव के एक परिजन की पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौत हो गई। शव के साथ गुलबी घाट पहुंचे रंजन बताते हैं, 'सुबह से लाइन में लगे हैं, देखें कब बारी आती है।'

इस बीच बाढ़ की परेशानी के कारण विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार की संख्या बढ़ी है। पटना के लालमुनि सिंह, हाजीपुर के संभव, मुजफ्फरपुर में मयंक आदि कई यहां भी लाइन लगाए बारी के इंतजार में मिले। परेशान लालमुनि ने कहा, 'यह इंतजार भी तो बाढ़ का साइड इफेक्ट है।'

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