बिहार: चिराग को केंद्र से मिली निराशा, लोजपा का बदलेगा पता; दिल्ली के बंगले में रेल मंत्री की होगी एंट्री

अब दिल्ली स्थित पिता रामविलास पासवान के बंगले में भी चिराग नहीं रह पाएंगे। मां के साथ उन्हें यह सरकारी आवास खाली करना होगा। 12 जनपथ स्थित इस घर में अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव रहेंगे। पशुपति कुमार पारस को पूर्व सांसद शरद यादव का बंगला अलाट किया गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 17 Aug 2021 04:01 PM (IST) Updated:Tue, 17 Aug 2021 04:01 PM (IST)
बिहार: चिराग को केंद्र से मिली निराशा, लोजपा का बदलेगा पता; दिल्ली के बंगले में रेल मंत्री की होगी एंट्री
लोजपा सांसद चिराग पासवान, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और पशुपति कुमार पारस। जागरण आर्काइव।

जागरण टीम, पटना। जमुई के लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सांसद चिराग पासवान के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। पहले पार्टी में टूट हुई अब दिल्ली स्थित पिता रामविलास पासवान के बंगले में भी चिराग नहीं रह पाएंगे। मां रीना पासवान के साथ उन्हें यह सरकारी आवास खाली करना होगा। 12 जनपथ स्थित इस घर में अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव रहेंगे। रेल मंत्री को आवास अलाट कर दिया गया है। अब तक यह बंगला केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान को दिया गया था। रामविलास के निधन के बाद इसमें चिराग पासवान अपनी मां के साथ रह रहे थे। इसी घर में लोजपा का आधिकारिक कार्यालय भी है। ऐसे में एलजेपी का पता भी बदलेगा। वहीं चिराग पासवान के चाचा व केंद्री खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस को पूर्व सांसद शरद यादव का बंगला अलाट किया गया है। हाजीपुर के सांसद पशपति ने 12 जनपथ के बंगले में रहने से मना कर दिया था।

बता दें कि दिल्ली के 12 जनपथ स्थित इस घर में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान करीब 31 साल तक रहे थे।लुटियन जोन में बने सरकारी बंगलों में सबसे बड़े घर में से एक है। नौ बार लोकसभा सांसद तथा दो बार राज्यसभा सदस्य रहे रामविलास का पिछले साल अक्टूबर में लंबी बीमारी के बाद 74 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद घर खाली करने के लिए इसी साल 12 जुलाई को नोटिस दिया गया था। अपनी मां रीना पासवान के साथ 12 जनपथ स्थित घर में रह रहे जमुई के लोजपा सांसद चिराग पासवान ने बंगले को खाली करने के लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी थी। पहले यह घर रामविलास पासवान के छोटे भाई केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को दिए जाने की बात थी, मगर उन्होंने गलत संदेश जाने की बात कहते हुए बंगला लेने से मना कर दिया था। 

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