बिहार की ग्रामीण महिलाओं को सरकारी अस्‍पताल में सामान्‍य प्रसव तो शहरों में आपरेशन कराना पसंद

बिहार में संस्‍थागत प्रसव के लिए महिलाओं और उनके परिवार में बढ़ रही है जागरुकता प्रसव के लिए ग्रामीण महिलाएं को कम पड़ती है आपरेशन की जरूरत अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की रिपोर्ट संस्थागत ह्यप्रसव चलन कायम शहरी महिलाओं की पसंद निजी अस्पताल

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 21 Jan 2022 07:29 AM (IST) Updated:Fri, 21 Jan 2022 07:29 AM (IST)
बिहार की ग्रामीण महिलाओं को सरकारी अस्‍पताल में सामान्‍य प्रसव तो शहरों में आपरेशन कराना पसंद
बिहार में संस्‍थागत प्रसव पर सामने आई ये रिपोर्ट। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। सुरक्षित प्रसव के लिए बिहार की ग्रामीण महिलाएं भी अब अस्पताल को ही प्राथमिकता दे रही हैं। हालांकि ग्रामीण इलाके की महिलाएं निजी अस्‍पताल की तुलना में वह सरकारी अस्पतालों को तरजीह देती हैं। शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में स्थित अस्पतालों में शिशुओं के जन्म के लिए आपरेशन की जरूरत बेहद कम पड़ती है। गांवों संस्थागत प्रसव का चलन आज भी जारी है। इसके लिए प्रशिक्षित महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मदद ली जाती है। राज्य सरकार के अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

जन्‍म के लिए कराया जाने वाले रजिस्‍ट्रेशन से लिए आंकड़े

यह 2020 के आंकड़ों पर आधारित है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है। इसका स्रोत जन्म के लिए कराया जाने वाला रजिस्ट्रेशन है। इसके मुताबिक 2020 में 11 हजार नौ सौ 53 शिशुओं के जन्म के लिए आपरेशन का सहारा लिया गया। इनमें से  एक हजार पांच शिशुओं को जन्म देने वाली माताएं ग्रामीण क्षेत्रों की थीं। शहरी माताओं की संख्या 10 हजार नौ सौ 48 थी। यह सरकारी अस्पतालों में हुए प्रसव का आंकड़ा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक सामान्य प्रसव

गैर-सरकारी अस्पतालों में भी आपरेशन के जरिए कराए गए प्रसव का ऐसा ही अनुपात है। उस अवधि में इन अस्पतालों में 20 हजार, सात सौ 88 माताओं ने आपरेशन के जरिए शिशुओं को जन्म दिया। इनमें ग्रामीण क्षेत्र की माताओं की संख्या सिर्फ 295 थी। पंजीयन के लिए सामान्य प्रसव से सरकारी अस्पतालों में जन्में करीब 15 लाख शिशुओं के लिए आवेदन आए। इनमें नौ लाख 69 हजार शिशु ग्रामीण क्षेत्रों के थे। शहरी क्षेत्र के शिशुओं की संख्या पांच लाख, 27 हजार, सात सौ 92 थी। रिपोर्ट में यह प्रवृति भी सामने आई कि सरकारी सुविधाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव के प्रति रूझान कम नहीं हुआ है।

शहर में निजी अस्पतालों को वरीयता

आज भी शहरी क्षेत्र की महिलाएं सामान्य प्रसव के लिए निजी या गैर-सरकारी अस्पतालों को वरीयता देती हैं। इस दौरान 28 हजार, छह सौ एक महिलाओं ने निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव के जरिए शिशु को जन्म दिया। ग्रामीण महिलाओं की संख्या दो हजार, एक सौ सात थी। हालांकि डेढ़ लाख अभिभावकों ने पंजीयन के समय यह नहीं बताया कि शिशु का जन्म सरकारी या निजी अस्पताल में हुआ। माना जाता है कि ऐसे शिशुओं का जन्म घर में संस्थागत प्रसव के जरिए हुआ।

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