बिहार में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में खुलेंगे 433 स्कूल

अल्पसंख्यकों की पढ़ाई-लिखाई के प्रति सरकार गंभीर है। मदरसों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अनुदान में वृद्धि करने से लेकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों

By Mrityunjay Kumar Edited By: Publish:Wed, 22 Oct 2014 09:45 AM (IST) Updated:Wed, 22 Oct 2014 09:49 AM (IST)
बिहार में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में खुलेंगे 433 स्कूल

पटना। अल्पसंख्यकों की पढ़ाई-लिखाई के प्रति सरकार गंभीर है। मदरसों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अनुदान में वृद्धि करने से लेकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में जरूरत के हिसाब से सरकार प्राथमिक विद्यालय खोलने की तैयारी में है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से 433 प्राथमिक विद्यालयों को खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसकी मंजूरी शीघ्र ही कैबिनेट से ली जाएगी। पिछले साल अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लिए सरकार ने जितने प्राथमिक विद्यालयों को खोलने का लक्ष्य तय किया था उसे हासिल करने के लिए नये प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है। प्राथमिक विद्यालयों के ऊपर खर्च होने वाली राशि में केन्द्र से भी मदद ली जाएगी।

अल्पसंख्यक बहुल जिलों में मार्च 2014 तक 260 ऐसे विद्यालय खोले जाएंगे। शेष स्कूलों को अगले वित्तीय वर्ष में खोलने का प्रस्ताव है। वहीं 225 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों के लिए नये भवन बनाए जाएंगे। 1अल्पसंख्यकों के शिक्षा के मामले में तस्वीर के दूसरे रुख (मदरसों) पर गौर करें तो वहां से बहुत उत्साहित करने वाले नतीजे के संकेत नहीं हैं। सरकार मदरसों में कंप्यूटर, साइंस लैब, लड़कियों के लिए हॉस्टल, शौचालय, अतिरिक्त क्लास रूम और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए वित्तीय मदद देने का दावा जरूर करती है, मगर उस दावे के आलोक में मदरसों में बुनियादी ढांचों का विकास नहीं हो पा रहा है। इसलिए दो विभागों के साझा प्रयास से अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शिक्षा के विकास पर जोर दिया जा रहा है। मदरसों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों के मेहनताने (पारिश्रमिक) की मद में साल दर साल इजाफा करने का निर्णय भी लिया गया है।राज्य ब्यूरो, पटना : अल्पसंख्यकों की पढ़ाई-लिखाई के प्रति सरकार गंभीर है। मदरसों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अनुदान में वृद्धि करने से लेकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में जरूरत के हिसाब से सरकार प्राथमिक विद्यालय खोलने की तैयारी में है।1 अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से 433 प्राथमिक विद्यालयों को खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसकी मंजूरी शीघ्र ही कैबिनेट से ली जाएगी। पिछले साल अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लिए सरकार ने जितने प्राथमिक विद्यालयों को खोलने का लक्ष्य तय किया था उसे हासिल करने के लिए नये प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है। प्राथमिक विद्यालयों के ऊपर खर्च होने वाली राशि में केन्द्र से भी मदद ली जाएगी। अल्पसंख्यक बहुल जिलों में मार्च 2014 तक 260 ऐसे विद्यालय खोले जाएंगे। शेष स्कूलों को अगले वित्तीय वर्ष में खोलने का प्रस्ताव है। वहीं 225 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों के लिए नये भवन बनाए जाएंगे। अल्पसंख्यकों के शिक्षा के मामले में तस्वीर के दूसरे रुख (मदरसों) पर गौर करें तो वहां से बहुत उत्साहित करने वाले नतीजे के संकेत नहीं हैं। सरकार मदरसों में कंप्यूटर, साइंस लैब, लड़कियों के लिए हॉस्टल, शौचालय, अतिरिक्त क्लास रूम और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए वित्तीय मदद देने का दावा जरूर करती है, मगर उस दावे के आलोक में मदरसों में बुनियादी ढांचों का विकास नहीं हो पा रहा है। इसलिए दो विभागों के साझा प्रयास से अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शिक्षा के विकास पर जोर दिया जा रहा है। मदरसों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों के मेहनताने (पारिश्रमिक) की मद में साल दर साल इजाफा करने का निर्णय भी लिया गया है।

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