Bihar Chunav 2020 : रालोसपा गठबंधन के 78 उम्मीदवारों की कड़ी परीक्षा

भले ही मतदान में दो दिन बाकी है लेकिन फ्रंट का नेतृत्व कर रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा सभी उम्मीदवारों के पक्ष में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं और रोड शो कर रहे हैं। उनके साथ असदुद्दीन ओवैसी और देवेंद्र यादव के अलावा बसपा के नेता भी प्रचार में कूदे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 04 Nov 2020 06:18 PM (IST) Updated:Wed, 04 Nov 2020 06:18 PM (IST)
Bihar Chunav 2020 : रालोसपा गठबंधन के 78 उम्मीदवारों की कड़ी परीक्षा
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में ग्रैंड यूनाइटेड सेक्युलर फ्रंट चुनाव लड़ रहा है।

पटना, राज्य ब्यूरो। तीसरे चरण के चुनाव में रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में ग्रैंड यूनाइटेड सेक्युलर फ्रंट के 78 उम्मीदवारों की परीक्षा होनी बाकी है क्योंकि इस चरण में फ्रंट ने क्षेत्रवार और जातीय व अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी के हिसाब से उम्मीदवारों की टीम सजायी है। रालोसपा के प्रवक्ता धीरज सिंह कुशवाहा के मुताबिक रालोसपा और समाजवादी जनता दल के 25-25, एआइएमआइएम के 21 और बसपा के 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। 

भले ही मतदान में दो दिन बाकी है, लेकिन फ्रंट का नेतृत्व कर रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा सभी उम्मीदवारों के पक्ष में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं और रोड शो कर रहे हैं। उनके साथ असदुद्दीन ओवैसी और देवेंद्र यादव के अलावा बसपा के नेता भी प्रचार में कूदे हैं। चुनाव विश्लेषक मान रहे हैं कि फ्रंट ने कम से कम 33-35 सीटों पर दमदार भूमिका में है। खासकर सीमांचल और कोसी के मुस्लिम बहुल वोटरों के बीच ओवैसी फैक्टर है जो वोटों का विभाजन करेगा। 10 सीटें ऐसी है जिस पर ओवैसी की पार्टी जीत सकती है। यह बड़ा नुकसान राजद को होने जा रहा है।

इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने किसी प्रकार के नुकसान को नकारते हुए कहा हैं कि बिहार में दो धाराओं के बीच लड़ाई है। इसके अलावा जो भी लोग इस चुनाव में आ रहे हैं, वह किसके इशारे पर आ रहे हैं, यहां के लोगों को इसका पता हैं। भाजपा के खिलाफ लड़ाई को जो भी कमजोर करने की कोशिश करेंगे, उसको यहां की जनता खुद जवाब देगी।

रालोसपा प्रवक्ता धीरज सिंह कुशवाहा का दावा है कि राजद भले ही फ्रंट को खारिज कर रहा हो, लेकिन उनके मुस्लिम और यादव वोट बैंक में कुछ सेंध लगना तय है। जबकि एनडीए के एक नेता ने दावा किया कि ओवैसी के मुस्लिम बहुल इलाकों में उम्मीदवार उतारने का कुछ हद तक फोयदा भाजपा को मिल सकता है। यह तय है कि सभी मुसलमान ओवैसी को वोट नहीं देंगे और वोटों का बिखराव होगा।

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