बढ़ता बिहार, उद्यम विहार: कौशल विकास कर 94 हजार युवाओं को दक्ष बनाएगा पर्यटन विभाग
दैनिक जागरण के बढ़ता बिहार उद्यम विहार अभियान के तहत सोमवार को पर्यटन के क्षेत्र में संभावना और चुनौतियां विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। बिहार के स्थानीय संपादक आलोक मिश्रा ने बढ़ता बिहार उद्यम विहार के उद्देश्य बताए। कार्यक्रम का संचालन समाचार संपादक अश्विनी ने किया।
जागरण टीम, पटना। राज्य में उद्यम अनुकूल माहौल और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दैनिक जागरण के 'बढ़ता बिहार, उद्यम विहार' अभियान के तहत सोमवार को पर्यटन के क्षेत्र में संभावना और चुनौतियां विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। फेसबुक लाइव में बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के एमडी कंवल तनुज, पर्यटन मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्रीवत्स संजय, सेंटर फार इकोनामिक पालिसी एंड पब्लिक फाइनांस के अर्थशास्त्री डा. बख्सी अमित कुमार सिन्हा तथा एसोसिएशन आफ बुद्धिस्ट आपरेटर संघ के महासचिव डा. कौशलेस कुमार ने विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला। दैनिक जागरण, बिहार के स्थानीय संपादक आलोक मिश्रा ने बढ़ता बिहार, उद्यम विहार के उद्देश्य बताए। कार्यक्रम का संचालन समाचार संपादक अश्विनी ने किया।
पर्यटन निगम के एमडी कंवल तनुज ने कहा कि हेरिटेज का इतिहास बिहार से जुड़ा है। हमारे यहां पहाड़, झरना से लेकर एट वे रोपवे, नेचर सफारी तक है। मां जानकी की जन्म स्थली से लेकर बुद्ध, महावीर, गुरु गोविंद सिंह से जुड़े धार्मिक स्थल हैं। महात्मा गांधी के गांधी बनने की कहानी यहीं से शुरू होती है। सबकुछ है, मगर एक पैकेज के रूप में ब्रांडिंग नहीं हो पाई है। पर्यटन उद्योग में दक्ष पेशेवरों की भी जरूरत है। इसलिए 18,800 युवाओं का कौशल विकास करने की योजना है। आगे पांच साल में 90 हजार लोगों का कौशल विकास कर पर्यटन उद्योग के अनुरूप दक्ष बनाना है।
यहां बाघ भी हैं और डाल्फिन भी
कंवल तनुज ने कहा कि यहां बाघ भी हैं और डाल्फिन भी हैं। एक बड़ा वर्ग है जो बिहार को पर्यटन के नजरिए से समझना चाहता है, समझाने वाला चाहिए। इसीलिए कौशल विकास की योजना बनी है। अभी भी हम गोवा, गुजरात, कर्नाटक सहित कई प्रदेशों से पर्यटन के क्षेत्र में आगे हैं। बिहार का पर्यटन क्षेत्र विविधताओं से भरा है। एक्सपीरियंसल टूरिज्म का भी यहां मौका है। बुद्धिष्ट टूरिज्म, सिख टूरिज्म , विश्वस्तरीय बिहार म्यूजियम, एडवेंचर टूरिज्म भी है। बांका व बेतिया के बाद दीघा घाट को विकसित करने पर विचार हो रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी हम बेहतर हैं। गया और दरभंगा से अंतराष्ट्रीय हवाई उड़ानें हैं। अच्छी सड़कें हैं। अच्छे होटल हैं। खानपान के लिए ढाबों को विकसित करने पर भी विचार है। राजगीर में वर्ष 2019 में 28 हजार पर्यटक रोपवे का आनंद लिए थे जो अब 56 हजार मासिक है। इन सभी बातों को केंद्र में रख इस क्षेत्र को और मजबूत करने की जरूरत है। राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय फेयर एंड फेस्टिवल में अपने हेरिटेज और विविधताओं को रखने के साथ ही अन्य माध्यमों का उपयोग करना है। पर्यटकों का स्वागत मुस्कुराते हुए करना होगा।
राज्यवासियों की गुणवत्ता युक्त भागीदारी जरूरी
पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्रीवत्स संजय ने कहा कि पर्यटन रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में विश्व में तीसरा स्थान रखता है। पर्यटक को राज्य में बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए सरकार और इससे जुड़ी एजेंसियों के साथ-साथ आमजन को भी गुणवत्ता युक्त भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हम कहीं भ्रमण के लिए जाते हैं तो बेहतर स्वागत की अपेक्षा रखते हैं। उसी तरह दूसरे जिले, राज्य व विदेश से आने वाले पर्यटक भी हमसे बेहतर संवाद और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। इस मामले में हम राजस्थान से सीख लेकर सकते हैं। वहां पर्यटक को देखते ही बच्चे से बुजुर्ग तक हाथ जोड़कर 'पधारो म्हारे देश' से स्वागत करते हैं। अपने बिहार में बड़ी संख्या में ग्रामीण और शहरी युवाओं को यह क्षेत्र रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम है।
इन बिंदुओं पर देना होगा ध्यान
आधुनिक अर्थव्यवस्था की बेहतरी में पर्यटन की भूमिका अहम
सेंटर फार इकोनामिक पालिसी एंड पब्लिक फाइनांस, आद्री के अर्थशास्त्री डा. बख्सी अमित कुमार सिन्हा ने कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्था में पर्यटन क्षेत्र की अहम भूमिका है। राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान पांच से छह प्रतिशत का है। पर्यटन स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करने के साथ-साथ विदेशी मुद्रा संग्रह का बड़ा स्त्रोत है। किसी भी देश की बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा बहुत ही जरूरी है। बिहार विश्व के चंद स्थानों में शामिल है, जहां प्रकृति और इतिहास दोनों कदम-कदम पर है। बौद्ध, जैन व सिख धर्म से जुड़े लोगों की पहली इच्छा होती है। बिहार आकर अपने गुरु स्थान का अनुभव करें। पर्यटन राज्य की इकोनामी में बड़ा योगदान दे सकता है।
महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है -हमें ऐसा माहौल विकसित करना होगा, जिससे पर्यटक राज्य में ज्यादा से ज्यादा दिन रहें। -पर्यटक घूमने के साथ-साथ स्थानीय उत्पाद में रुचि लें, इसके लिए इन्हें चिह्नित कर कामगारों को स्थल उपलब्ध कराया जाए। -धार्मिक और पौराणिक स्थल की पहचान वैश्विक स्तर पर है, अब इनसे ईको, एडवेंचर, रूरल, हेल्थ, फूड आदि जुडऩे से पर्यटकों को पूरा पैकेज मिलेगा -पर्यटक घूमने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र का अनुभव लेना चाहते हैं, यदि कोई हेल्थ की दृष्टि से आता है तो उसे एलोपैथ के साथ-साथ योगा, विपश्यना आदि की भी जानकारी दी जाए। -एक-दूसरे से बेहतर समन्वय की जरूरत है। पर्यटक यदि धार्मिक उद्देश्य से आते हैं तो उन्हें यहां उपलब्ध अन्य क्षेत्र की भी जानकारी उपलब्ध कराई जाए। इससे उनके राज्य में खर्च करने की सीमा बढ़ेगी। -कालेज में पर्यटन विषय की पढ़ाई होती है, लेकिन इससे और प्रायोगिक करने की जरूरत है। इस सेक्टर में कुशल लोगों की कमी है। -पर्यटक स्थलों पर बड़ी-बड़ी मीटिंग और कांफ्रेंस आयोजित किए जाएं, इसकी भी व्यवस्था होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
वेलकम इन द लैंड आफ महावीर एंड बुद्ध
एसोसिएशन आफ बुद्धिस्ट आपरेटर संघ के महासचिव डा. कौशलेश कुमार ने कहा कि विदेशी पर्यटकों के मामले मे हमारा दूसरा स्थान था। मगध की राजधानी राजगीर थी। प्रथम गणतंत्र वैशाली है। हमारा समृद्ध इतिहास है। हमें पर्यटकों के स्वागत के लिए -वेलकम इन द लैंड आफ महावीर, बुद्ध आदि के साथ करना चाहिए। बिजनेस टू बिजनेस, बिजनेस टू कस्टमर से आगे अब गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट की ओर बढ़ना होगा। राज्य सरकारों के साथ मिलकर पर्यटन को बढ़ावा देने का लाभ हम ले सकते हैं। पर्यटन से जुड़े एसोसिएशन के साथ सरकारों को भी एक सूत्र में बांधने की दिशा में बढ़ना होगा। पर्यटन के लिए अपने अंदर एक जज्बा लाने की जरूरत है।