August Kranti Day: जब पटना में डा. राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद बहन सुंदरी देवी ने संभाला था मोर्चा

August Kranti Day FLASHBACK साल 1942 की अगस्‍त क्रांति के दौरान नौ अगस्‍त को पटना में डा. राजेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके बाद उनकी बहन सुंदरी देवी ने आंदोलन का मोर्चा संभाला था। आइए जानते हैं उस दिन की कहानी।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 09 Aug 2021 02:04 PM (IST) Updated:Mon, 09 Aug 2021 02:05 PM (IST)
August Kranti Day: जब पटना में डा. राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद बहन सुंदरी देवी ने संभाला था मोर्चा
देशरत्‍न डा. राजेंद्र प्रसाद की फाइल तस्‍वीर।

पटना, प्रभात रंजन। August Kranti Day Special महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने सन् अगस्‍त 1942 में देश में भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की शुरुआत की थी। आंदोलन की चिंगारी पूरे देश के साथ बिहार में भी फैल गई थी। बिहार में आंदोलन की अगुआई डा. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) कर रहे थे। इसकी भनक अंग्रेजों को भी लग गई थी। नौ अगस्त 1942 को राजेंद्र बाबू पटना के सदाकत आश्रम (Sadaqat Ashram) में थे। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। वे इस दिन पटना के सदाकत आश्रम में 'सर्चलाइट' अखबार में मुंबई की एक रिपोर्ट पढ़ रहे थे कि इसी बीच जिलाधिकारी आर्चर सदाकत उनको गिरफ्तार करने पहुंचे। उनकी गिरफ्तारी के बाद पटना का माहौल गर्म हो गया था। तब‍ राजेंद्र प्रसाद की बहन सुदरी देवी ने माेर्चा संभाला था।

पटना के जिलाधिकारी ने खुद की थी गिरफ्तारी

नौ अगस्‍त 1942 की दोपहर 11-12 बजे के बीच जिलाधिकारी आर्चार अपने दल-बल के साथ राजेंद्र बाबू को गिरफ्तार कर पटना के बांकीपुर जेल ले गए। इसके पहले आर्चर ने राजेंद्र प्रसाद की तबीयत को जानने के लिए पटना के सिविल सर्जन को बुला लिया था। इस गिरफ्तारी की खबर पूरे शहर में फैल गई।

फिर बहन सुंदरी देवी ने संभाल लिया था मोर्चा

तब उनकी गिरफ्तारी के बाद महिला चरखा क्लब कदमकुआं से एक जुलूस निकला था। यह सिविल कोर्ट होते हुए कांग्रेस मैदान पहुंचा था, जहां डा. राजेंद्र प्रसाद की बहन सुंदरी देवी की अध्यक्षता में सभा आयोजित हुई थी। सभा में स्वतंत्रता सेनानी जगत नारायण लाल की पत्नी रामप्यारी देवी भी थीं। महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने पुरुषों को सरकारी पद त्यागने, वकालत छोड़ने और पक्के इरादे के साथ अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता प्रेमियों का साथ देने पर बल दिया।  

जेल के समक्ष जमकर नारेबाजी, लाठीचार्ज

नौ अगस्त 1942 को पटना की स्थिति काफी खराब हो गई थी। स्वतंत्रता संग्राम का यह ऐतिहासिक दिन था। घटना के बारे में इतिहासकार ओम प्रकाश प्रसाद ने अपनी पुस्तक 'पाटलिपुत्र से पटना तक का इतिहास' में इस बात का जिक्र किया है कि बांकीपुर मैदान के उत्तर-पूर्व गोरखा सैनिकों का कठोर प्रबंध होने के बावजूद काफी संख्या में लोग जमा थे। बीएन कालेज से लंबा जुलूस निकला और पटना विश्वविद्यालय के मैदान में एक सभा का आयोजन सूरज देव की अध्यक्षता में किया गया था। इसी दिन शाम में बांकीपुर जेल के समक्ष शाम छह बजे तक लोगों ने नारेबाजी की थी। पुलिस ने इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी-डंडों की बौछार की थी। इसमें कई लोग जख्मी और गिरफ्तार हुए थे।

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