बिहार में मतदान के समय कैसे अपने उम्मीदवार का चयन करती है जनता, जानें
बिहार में वोटों की ठेकेदारी और बाहुबलियों के लिए मतदान बीते दिनों की बात हो गई है। अब जनता समझदार भी है पर थोड़ा जानकारी का अभाव भी है।
श्रवण कुमार, पटना। बिहार में वोटों की ठेकेदारी और बाहुबलियों के लिए मतदान बीते दिनों की बात हो गई है। बिहार के 98 प्रतिशत मतदाता आपराधिक छवि के प्रत्याशियों को नापसंद करते हैं। संसद या विधानसभा में आपराधिक छवि वाले नेताओं का प्रतिनिधित्व बिहार के वोटरों को पसंद नहीं है। इसे जागरुकता का अभाव ही कहें कि 37 प्रतिशत मतदाताओं को यह लगता है कि प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी नहीं होने की वजह से वोट कर देते हैं।
जाति धर्म को भी मिलती है तरजीह
यह चुनावी आंकड़ा बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने संयुक्त रूप से सर्वे करने के बाद जारी किया है। सर्वे के अनुसार 35 प्रतिशत मतदाताओं ने माना है कि आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को इसलिए वोट करते हैं कि क्योंकि वे काम अच्छे करते हैं। जाति और धर्म पर आधारित सोच भी आपराधिक छवि के प्रत्याशियों को वोट करने की बड़ी वजह है। 35 प्रतिशत ऐसे मतदाता हैं जो आपराधिक रिकॉर्ड के बावजूद अपनी जाति या धर्म के प्रत्याशियों को वोट करते हैं।
धन को भी मिलती है तवज्जो
ऐसे प्रत्याशियों द्वारा धन खर्च किया जाना भी वोट बटोरने का कारक है। 35 प्रतिशत मतदाताओं की राय में ऐसे प्रत्याशियों द्वारा धन खर्च किए जाने के कारण वोट किया गया है, जबकि 35 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा है कि प्रत्याशी के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले नहीं होने के कारण उनके रिकॉर्ड को तवज्जो नहीं देकर वोट कर देते हैं। 35 प्रतिशत मतदाता ऐसे प्रत्याशी की दबंगई के कारण वोट करते हैं।
आरए एस्टरिक्स कम्प्यूटिंग एंड डाटा सॉल्यूशंस के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर के इस सर्वेक्षण को अब तक का सबसे बड़ा मतदाता सर्वेक्षण बताया जा रहा है। 534 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न वर्गो के दो लाख 73 हजार 487 मतदाताओं ने इस सर्वे में भाग लिया है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच यह सर्वे हुआ है।
जाति धर्म को भी मिलती है तरजीह
यह चुनावी आंकड़ा बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने संयुक्त रूप से सर्वे करने के बाद जारी किया है। सर्वे के अनुसार 35 प्रतिशत मतदाताओं ने माना है कि आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को इसलिए वोट करते हैं कि क्योंकि वे काम अच्छे करते हैं। जाति और धर्म पर आधारित सोच भी आपराधिक छवि के प्रत्याशियों को वोट करने की बड़ी वजह है। 35 प्रतिशत ऐसे मतदाता हैं जो आपराधिक रिकॉर्ड के बावजूद अपनी जाति या धर्म के प्रत्याशियों को वोट करते हैं।
धन को भी मिलती है तवज्जो
ऐसे प्रत्याशियों द्वारा धन खर्च किया जाना भी वोट बटोरने का कारक है। 35 प्रतिशत मतदाताओं की राय में ऐसे प्रत्याशियों द्वारा धन खर्च किए जाने के कारण वोट किया गया है, जबकि 35 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा है कि प्रत्याशी के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले नहीं होने के कारण उनके रिकॉर्ड को तवज्जो नहीं देकर वोट कर देते हैं। 35 प्रतिशत मतदाता ऐसे प्रत्याशी की दबंगई के कारण वोट करते हैं।
आरए एस्टरिक्स कम्प्यूटिंग एंड डाटा सॉल्यूशंस के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर के इस सर्वेक्षण को अब तक का सबसे बड़ा मतदाता सर्वेक्षण बताया जा रहा है। 534 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न वर्गो के दो लाख 73 हजार 487 मतदाताओं ने इस सर्वे में भाग लिया है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच यह सर्वे हुआ है।