रजौली में लू से जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त

अप्रैल के आखिरी दिनों में तापमान आसमान छूने लगा है। पारा 37 डिग्री के पार जा पहुंचा ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 30 Apr 2017 03:05 AM (IST) Updated:Sun, 30 Apr 2017 03:05 AM (IST)
रजौली में लू से जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
रजौली में लू से जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त

नवादा। अप्रैल के आखिरी दिनों में तापमान आसमान छूने लगा है। पारा 37 डिग्री के पार जा पहुंचा है। चिलचिलाती धूप और लू के कारण रजौली में घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। सुबह आठ बजे से ही पारा चढ़ने लगता है। दोपहर तक गर्मी इस कदर हावी हो जाती है कि सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है।

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लू से बचाव जरूरी

- इन दिनों मौसम इस कदर आग बरसा रहा है कि सुबह आठ बजे ही दोपहर जैसे हालात हो जाते हैं। इसी समय बच्चों को स्कूल और बड़ों को ऑफिस जाने की जल्दी होती है। ऐसे में बचाव के कुछ कदम उठाकर शरीर को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। डॉक्टरों की मानें तो तापमान 35-37 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने और गर्म हवाओं चलने से लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। लू के चलते शरीर का तापमान बढ़ जाता है। रक्त संचार तेज हो जाता है। ऐसे में ब्रेन हेमब्रेज होने व हृदय गति रुकने की प्रबल संभावना होती है। इसलिए समय पर लू से बचाव के उपाय और तरीके अपनाने होंगे। ताकि हर कोई लू से खुद का बचाव कर सके। गर्मी के चार माह में दिन का तापमान न्यूनतम 25 डिग्री से लेकर अधिकतम 39 से 42 डिग्री के बीच पहुंच सकता है।

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कहते हैं विशेषज्ञ

-लू से बचने के लिए जब गर्म हवा चल रही हो तो उस समय बाहर नहीं निकलें। घर से बाहर निकलते समय अधिक से अधिक पानी पीकर व छाता लेकर बाहर निकलें। गर्मी कितनी भी हो पूरे शरीर को ढ़क कर बाहर निकलना चाहिए। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वस्त्र मुलायम व सूती हो। प्राय: शरीर में पानी नहीं रहने व भूखे पेट बाहर निकलने पर लू का खतरा बना रहता है, इसलिए सतर्कता बरतनी चाहिए। दवा से ज्यादा घरेलू नुस्खे कारगर होता है। पुदीना का शरबत, खीरा-ककड़ी का सलाद वगैरह का सेवन करना लाभदायक माना जाता है। लू लगने पर अंगुलियों पर इमली के बीज पीस कर लगाने से भी आराम मिलता है। साथ ही हथेलियों और तलवों पर प्याज का रस लगाने से भी लाभ मिलता है। पुदीना पत्ता का रस निकाल कर शर्बत बना कर पीना लाभदायक होता है। संभव हो तो गीला कपड़ा बार-बार शरीर पर रखें और थोड़ी देर पर कपड़ा भी बदलते रहें। इसके साथ ही जांचोपरांत होमियोपैथ दवा का सेवन करना चाहिए।

डॉ. संतोष कुमार होमियोपैथ चिकित्सक।

पांच से छह लीटर पानी प्रत्येक दिन पीना जरूरी :

लू लगने का मुख्य कारण शरीर में पानी का मात्रा कम होना होता है। गर्मी के मौसम में पांच से छह लीटर पानी प्रत्येक दिन पीना चाहिए। इस मौसम में तरबूज, ककड़ी और अंगूर जैसे फलों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है। भोजन में कच्चे प्याज का सेवन करें और घर से बाहर निकलते समय कटा प्याज जेब में अवश्य रख लें। लू के लक्षण दिखते ही अविलंब चिकित्सक से मिल कर जांच कराएं। थोड़ी सी लापरवाही के कारण लू लगे इंसान की असामयिक मौत भी हो सकती है।

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घर से बाहर निकलने पर इन बातों का रखें खयाल

-सुबह 9 बजे से पहले घर से बाहर निकलें।

-बाहर निकलने से पहले अधिक से अधिक पानी पी लें।

-धूप से वापस लौटने पर तुरंत पानी पीने से बचें।

-छाता लेकर बाहर निकलें।

-सुबह 10 बजे से दोपहर 4 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें।

-पूरी बांह की कमीज पहनकर व चेहरा ढ़ंक कर बाहर निकलें।

-धूप ज्यादा हो व गर्म हवा चल रही हो तो बाहर नहीं निकलें।

-खुले में रखे व बाहर के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करें।

-शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।

-खाने में तैलीय पदार्थ से परहेज करें व सलाद का सेवन करें।

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लोगों की परेशानी बढ़ी

संवाद सूत्र,नारदीगंज(नवादा): प्रखंड में लू चलने से लोग काफी परेशान हैं। इसके कारण बाजारों में सन्नाटा छाया रहता है। लोग अपनी प्यास बुझाने के तरबूज, लस्सी, आम का जूस आदि का सेवन कर रहे हैं।

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