अक्षम नवमी व्रत आज, बाजार में खूब बिका भुआ

कार्तिक माह का अतिपावन पूजन-व्रत अक्षय नवमी मंगलवार को किया जाएगा जाएगा। इसे लेकर श्रद्धालुओं में अपार उत्साह है। बाजार में सोमवार को भुआ की अछी मांग रही। सब्जी बाजार में एक भुआ 30 से 50 रुपये तक बिका। इस भुआ के जरिए पूजन में श्रद्धालु गुप्त दान करते हैं। श्रद्धालु महिलाएं इस व्रत को लेकर सुबह में उपवास रहकर आंवला वृक्ष का पूजन करेंगी। वैदिक मंत्रोचार से पंडित जी पूजन कराने के बाद भगवान श्रीहरि विष्णु की अलौकिक कथा सुनाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Nov 2019 11:58 PM (IST) Updated:Tue, 05 Nov 2019 06:35 AM (IST)
अक्षम नवमी व्रत आज, बाजार में खूब बिका भुआ
अक्षम नवमी व्रत आज, बाजार में खूब बिका भुआ

कार्तिक माह का अतिपावन पूजन-व्रत अक्षय नवमी मंगलवार को किया जाएगा जाएगा। इसे लेकर श्रद्धालुओं में अपार उत्साह है। बाजार में सोमवार को भुआ की अच्छी मांग रही। सब्जी बाजार में एक भुआ 30 से 50 रुपये तक बिका। इस भुआ के जरिए पूजन में श्रद्धालु गुप्त दान करते हैं। श्रद्धालु महिलाएं इस व्रत को लेकर सुबह में उपवास रहकर आंवला वृक्ष का पूजन करेंगी। वैदिक मंत्रोच्चार से पंडित जी पूजन कराने के बाद भगवान श्रीहरि विष्णु की अलौकिक कथा सुनाएंगे।

इस व्रत को लेकर महिलाओं में अति उत्साह है। ऋषि सनातन परंपरा में इस अक्षय नवमी का बहुत ही पावन महत्व बताया गया है। इस बारे में राजेंद्र नगर नवादा के आचार्य डॉ. परमानंद पांडेय ने कहा कि इस अक्षय नवमी को किया जाने वाला पूजन, तप, दान, ध्यान का कभी क्षय नहीं होता है। जिसका क्षय नहीं हो उसे ही अक्षय कहा गया है। भगवान विष्णु को अक्षय नवमी का व्रत बहुत ही पंसद है। ऐसा माना गया है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आंवला वृक्ष की पूजा करते हैं भगवान प्रसन्न होते हैं। भौतिक देह त्याग के बाद व्यक्ति परमधाम को प्राप्त करते हैं।

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भुआ में सोना-चांदी व रुपये छिपाकर दान करते हैं श्रद्धालु

-अक्षय नवमी पूजा में परंपराओं के मुताबिक भुआ में श्रद्धालु सोना-चांदी व रुपये छिपाकर दान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो हम भगवान को अर्पित करते हैं वही हमें भगवान के धाम पहुंचने पर प्राप्त होता है। यही कारण है कि श्रद्धा भाव की आतुर माताएं इस व्रत को बड़े ही उत्साह और पुण्य अर्जित करने की भावना से करती हैं। पूजन के अंत में कथा-आरती होती है। इसके बाद श्रद्धालु जन आंवला वृक्ष के नीचे मिष्ठान भोजन भी करते हैं। बदलते समय के अनुसार आंवला क्षेत्र में पिकनिक जैसा माहौल देखने को मिलता है। जहां उत्साह के साथ परिवार के लोग खिचड़ी व दूसरे तरह के व्यंजन भी खाते हैं। इस दिन आंवला भी खाने का रिवाज है।

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