आकस्मिक फसल योजना से 62 हजार हेक्टेयर में लगेंगे अरहर व तोरिया

नवादा जिले में खेतीबारी के समक्ष सूखा संकट की स्थिति है। ऐसे में यहां के किसानों को वैकल्पिक खेती करने की सलाह दी जा रही है। इसके लिए आकस्मिक फल योजना तैयार की गई है। जिला मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक 62 हजार 315 हेक्टेयर में वैकल्पिक खेती कराई जाएगी। इनमें मुख्य रूप से अरहर तोरिया कुल्थी उरद व मक्का की खेती कराई जाएगी। इसके लिए विभाग से 10 हजार 534 क्विंटल बीज की मांग की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Aug 2019 09:17 PM (IST) Updated:Sun, 18 Aug 2019 09:17 PM (IST)
आकस्मिक फसल योजना से 62 हजार हेक्टेयर में लगेंगे अरहर व तोरिया
आकस्मिक फसल योजना से 62 हजार हेक्टेयर में लगेंगे अरहर व तोरिया

नवादा जिले में खेतीबारी के समक्ष सूखा संकट की स्थिति है। ऐसे में यहां के किसानों को वैकल्पिक खेती करने की सलाह दी जा रही है। इसके लिए आकस्मिक फल योजना तैयार की गई है। जिला मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक 62 हजार 315 हेक्टेयर में वैकल्पिक खेती कराई जाएगी। इनमें मुख्य रूप से अरहर, तोरिया, कुल्थी, उरद व मक्का की खेती कराई जाएगी। इसके लिए विभाग से 10 हजार 534 क्विंटल बीज की मांग की गई है।

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सर्वाधिक 5824 क्विंटल अरहर के बीच की मांग

-वैकल्पिक खेती के लिए नवादा जिले से सर्वाधिक अरहर के बीच की मांग की गई है। जानकारी के मुताबिक अरहर की खेती कराने के लिए 5824 क्विंटल बीज की मांग की गई है। इसके अलावा तोरिया की खेती के लिए 643, कुल्थी के लिए 1161, उरद के लिए 200 व मक्का की खेती के लिए 2706 क्विंटल बीज की मांग की गई है। सूखा की स्थिति में जिले भर के किसानों के बीच इन फसलों के बीज निर्धारित मात्रा में मुफ्त वितरित कराए जाएंगे। जिला स्तर पर इसके लिए प्रखंडवार आवंटन की स्थिति तय होगी।

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20 सितम्बर तक लगाए जा सकेंगे बीज

-सूखा को लेकर जिले में ज्यादातर खेत अब तक परती ही पड़े हुए हैं। वैकल्पिक खेती को लेकर कृषि समन्वयक मदन मोहन कुमार ने कहा कि 20 सितम्बर तक अरहर, तोरी जैसे फसल लगाने का उपर्युक्त समय है। किसान ऊंचाई पर वाले खेतों में जुताई करके अभी भी इन बीज की बुआई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें ध्यान रखना है कि जहां खेत में पानी नहीं जमने पाए उन्हीं जगहों पर इन फसलों की खेती करनी है। वैसे सितम्बर-अक्टूबर माह के बाद बारिश की संभावना धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। मदन मोहन कुमार ने बताया कि जिले में दो-चार दिनों के अंदर बीज उपलब्ध होने की संभावना है।

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बीते तीन सालों में इस अगस्त में सबसे कम रोपनी

-नवादा जिले में कृषि के आंकड़ों पर गौर करें तो खरीफ सीजन में चालू साल बहुत ही खराब रहा है। 16 अगस्त तक के आंकड़ों को देखें तो साल 2017 में 99.42 फीसद धान की रोपनी हो गई थी। जबकि साल 2018 में इस तिथि तक 60 फीसदी रोपनी हुई थी। वहीं इस साल की बात करें तो महज 30.18 फीसद ही धान लग सके हैं। पूरे जिले में पानी को लेकर जबर्दस्त किल्लत है। पानी के चलते सैकड़ों खेत अब तक यूं ही खाली पड़े हैं।

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पैकेजिग

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बीज लेने के लिए अब तक आए 58 हजार आवेदन

-सूखा संकट झेल रहे किसानों के बीच वैकल्पिक खेती ही एकमात्र रास्ता बच गया है। यही कारण है कि इस बार आकस्मिक फसल की खेती करने को लेकर किसानों में उत्सुकता दिख रही है। कृषि विभाग और आत्मा संयुक्त रूप से इस दिशा में निरंतर जागरूकता चौपाल लगा रहा है। मेसकौर समेत सभी प्रखंडों में अब तक करीब 500 चौपाल लगाया जा चुका है। किसानों को इस बारे में निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में वैकल्पिक खेती के लिए अब तक करीब 58 हजार आवेदन भी आ चुके हैं। जबकि सूखा की स्थिति में जिले के 80 हजार किसानों को वैकल्पिक खेती का लाभ दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

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क्या कहते हैं अधिकारी:

नवादा जिले में इस साल अपेक्षित बारिश नहीं होने से किसानों के समक्ष परेशानी है। किसानों को राहत दिलाने के लिए आकस्मिक फसल योजना तैयार की गई है। इसके लिए विभाग से अरहर, तोरिया, कुल्थी, उरद व मक्का बीज की मांग की गई है। वैकल्पिक खेती के लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है।

कौशल कुमार, जिलाधिकारी, नवादा।

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ग्राफिक्स:

किस फसल के लिए कितने बीज की मांग

फसल-बीज की मात्रा

अरहर- 5824 क्विंटल

तोरिया-643 क्विंटल

कुल्थी-1161 क्विंटल

उरद-200 क्विंटल

मक्का-2706 क्विंटल

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