हारे और हताश लोगों की रैली थी स्वाभिमान रैली

नालंदा। स्वाभिमान रैली को जनता ने नकार दिया है। नरेन्द्र मोदी सभा के आगे यह रैली बौना साबित ह

By Edited By: Publish:Sun, 30 Aug 2015 08:17 PM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2015 08:17 PM (IST)
हारे और हताश लोगों की रैली थी स्वाभिमान रैली

नालंदा। स्वाभिमान रैली को जनता ने नकार दिया है। नरेन्द्र मोदी सभा के आगे यह रैली बौना साबित हुआ है। उक्त बातें भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष ई. रविशंकर एवं जिला मंत्री सह प्रवक्ता धीरेन्द्र रंजन ने विज्ञप्ति जारी कर कही।

इन नेताओं ने आरोप लगाया कि रैली में भीड़ जुटाने के लिए जिस तरह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया, उसके बाद भी पीएम मोदी के परिवर्तन रैली के आगे यह रैली काफी फीका रहा। इस रैली में युवाओं की संख्या नगण्य थी। यह रैली हारे और हताश लोगों की रैली थी। रैली में बिहार के विकास के लिए कोई वीजन नहीं था। रैली में केवल आरोप-प्रत्यारोप की चर्चा होते रही। यह अहंकारी, भ्रष्टाचारी एवं सजायाफ्ता की रैली थी। रैली में सोनिया गांधी जहां सहयोगी के रूप में दिखी, वहीं नीतीश कुमार मात्र मुखौटा बनकर रह गये। रैली के असली सूत्रधार लालू प्रसाद ही नजर आये। नेताद्वय ने कहा कि अपनी विदाई देख पांच साल का विजन डॉक्यूमेंट जारी कर रहे हैं। बिहार की जनता किसी कीमत पर इस महागठबंधन को नहीं लायेगी।

स्वाभिमान रैली को जनता ने नकारा

स्वाभिमान रैली को बिहार की जनता ने नकार दिया है। रैली के नाम पर बिहार की जनता को बेवकूफ बनाया गया। यह लालू और नीतीश की व्यक्तिगत रैली थी। कुर्मी के नाम पर राजनीति करने वाले नीतीश कुमार से अब नालंदा के कुर्मियों ने मुंह मोड़ लिया है। उक्त बातें विज्ञप्ति जारी कर नेता प्रमोद नारायण सिन्हा ने कही। कुर्मी अब अपना राजनीतिक भविष्य एनडीए में देखना शुरू कर दिया है। कुर्मी के सबसे बड़े और पुराने नेता प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद को भी रैली में नहीं बुलाया गया। वहीं मंच पर लालू परिवार के अलावा कोई यादव समाज का नेता मौजूद नहीं था।

chat bot
आपका साथी