अप्रैल से 8 सीटर केबिन में सफर होगा सुरक्षित और सुहाना

- पहले लगने थे 4 सीटर केबिन, कम्पनियों ने बंद किया निर्माण तो 8 सीटर केबिन लगाने का फैसला - देश

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 06:32 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 06:32 PM (IST)
अप्रैल से 8 सीटर केबिन में सफर होगा सुरक्षित और सुहाना
अप्रैल से 8 सीटर केबिन में सफर होगा सुरक्षित और सुहाना

- पहले लगने थे 4 सीटर केबिन, कम्पनियों ने बंद किया निर्माण तो 8 सीटर केबिन लगाने का फैसला

- देश का सबसे एडवांस व ऑटोमेटिक होगा ऑस्ट्रिया मेड केबिन

- कुल 24 में से 16 केबिन मेन र¨नग और 8 केबिन पार्किंग में रहेगी

- हर केबिन के बीच की दुरी 45 मीटर की गई निर्धारित

- रोप वे पर केबिन की प्रति सेकेंड स्पीड होगी ढाई मीटर

- लोअर व अपर स्टेशन पर पहुंचते खुद केबिन के दरवाजे खुलेंगे और बंद होंगे

- रोप वे गेज व्हील मैकेनिज्म की राउं¨डग क्षमता 4.438 मीटर

- पर्यटन विभाग ने 16 करोड़ रुपए का बनाया है प्राक्कलन

संवाद सहयोगी, राजगीर : सबकुछ ठीक रहा आगामी अप्रैल के पहले सप्ताह से राजगीर में रत्नागिरी पर्वत पर बने विश्व शांति स्तूप तक जाने के लिए रोप वे पर 8 सीटर केबिन झुला दिए जाएंगे। जिससे पर्यटकों का सफर सुरक्षित व सुहाना हो जाएगा। रोप वे के अपर व लोअर स्टेशन के बीच 530 मीटर की दूरी है। इस बीच में फाउंडेशन के साथ 6 एसेम्बल टावर बनाए जाएंगे। जिस पर कुल 24 की संख्या में 8 सीटर केबिन को झुलाया जाएगा। इनमें से 16 केबिन मेन र¨नग में होंगे, वहीं 4-4 केबिन अपर व लोअर पार्किंग में रहेंगे। केबिन के डोर प्लेटफॉर्म पर आते खुद खुलेंगे और बंद होंगे। जिस पर पर्यटक सपरिवार आराम से बैठ सकेंगे। अभी र¨नग मोड में ¨सगल सीटर चेयर पर बैठना पड़ता है, जिसमें गिरने का खतरा बना रहता है। सभी 8 सीटर केबिन ऑस्ट्रिया से आयात किए जा रहे हैं। ये केबिन देश में सबसे एडवांस व फुल ऑटोमेटिक होंगे। आस्ट्रिया के कारवां टेक रोप वे कंपनी से केबिन आयातित कराने का जिम्मा कन्वियर एंड रोप वे सर्विसेज प्रा लि कंपनी कोलकाता को दिया गया है।

विदित हो कि रोप वे केबिन बनाने वाली सभी विदेशी कंपनियां अब 4 सीटर रोप वे केबिन बनाना बंद कर चुकी हैं। इस कारण राजगीर में 8 सीटर रोप वे केबिन लगाये जा रहे हैं। पहले आस्ट्रिया से 36 की संख्या में 4 सीटर मंगाए जाने थे। अब इसके स्थान पर 24 की संख्या में 8 सीटर केबिन लगाए जाएंगे। पर्यटन विभाग ने इस परियोजना का प्राक्कलन 16 करोड़ रुपए तय किया है। नए रोप वे के फाउंडेशन समेत अपर व लोअर स्टेशन के प्लेटफार्म का काम वर्तमान ¨सगल चेयर लिफ्ट रोप वे रुट के बगल में तेज गति से हो रहा है। इस काम में 45 मजदूर व 12 अभियंता जुटे हुए हैं। रोप वे के 6 टावर एसेम्ब¨लग के काम के लिए मैकेनिकल टीम अगले कुछ दिनों में पहुंचने वाली है। याद दिला दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 में नए रोव वे निर्माण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन पर्यटन मंत्री अनिता देवी की उपस्थिति में किया था।

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बुजुर्ग को बैठना मुश्किल, बच्चों पर प्रतिबंध

बता दें कि देश के पहले एकल चलंत कुर्सी वाला यह रोप वे बीते 5 दशक से लाखों पर्यटकों को सफर करा चुका है। इस कुर्सी पर गतिमान रहते हुए ही बैठना पड़ा है। जिससे वृद्ध पर्यटकों का बैठना मुश्किल है। वहीं 5 वर्ष से कम के बच्चों पर इसकी सवारी पर प्रतिबंध है। ¨सगल सीटर रहने के कारण एक साथ परिवार के सभी सदस्य इसका आनंद नहीं उठा पाते हैं। आने वाले दिनों में 8 सीटर केबिन में पर्यटकों को चलते हुए बैठना नहीं पड़ेगा। केबिन के डोर पर्यटकों की एंट्री व एग्जिट के क्रम में आटोमेटिक ओपेन व क्लोज होंगे। अपर व लोअर स्टेशन पर इस केबिन में पर्यटकों के इत्मीनान से बैठने तक केबिन रुका रहेगा।

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25 अक्टूबर को विश्व शांति स्तूप आने वाले तीसरे राष्ट्रपति होंगे रामनाथ को¨बद

आगामी 25 अक्टूबर को राजगीर के रत्नागिरी पर्वत स्थित विश्व शांति स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव की भव्य तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है। बीते 19 जनवरी को विश्व शांति स्तूप तथा पूरे रोप वे परिसर का डीएम डॉ त्यागराजन एस एम ने निरीक्षण कर कई नई व्यवस्थाएं करने का निर्देश दिया है। विश्व शांति स्तूप की स्थापना की गोल्डेन जुबली में राष्ट्रपति रामनाथ को¨बद को भी आमंत्रित किया गया है। अगर वे आए तो यहां आने वाले वे तीसरे राष्ट्रपति होंगे। बता दें कि विश्व शांति स्तूप का शिलान्यास सन 6 मार्च 1965 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने तथा उद्घाटन 25 अक्टूबर 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने किया था। पिछले वर्ष 2018 के 25 अक्टूबर को आयोजित 49 वें वार्षिकोत्सव समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 50 वें वार्षिकोत्सव समारोह को भव्य रूप से मनाए जाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति को आमंत्रित किया जाएगा और 2019 के अक्टूबर के पहले तक नए केबिन वाले रोप वे का परिचालन शुरू हो जाएगा।

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