वेणु वन में रोपे जा रहे 40 प्रजाति के 6 हजार पौधे, बुद्धा बांस आकर्षण का केन्द्र

राजगीर। वेणु वन में रविवार को बुद्धा बांस व अन्य पौधे रोपकर पृथ्वी दिवस मनाया गया। सबकुछ तय योजना के अनुसार चलता रहा तो अक्टूबर के आखिर तक वेणु वन की सार्थकता साबित हो जाएगी। भगवान बुद्ध का प्रिय प्रवास स्थल नए स्वरूप में नजर आएगा। वेणु वन के विस्तार व सौंदर्यीकरण की थीम बुद्ध काल पर ही आधारित है। इसके लिए देश के अलग-अलग राज्यों से 40 प्रजाति के 6 हजार पौधे मंगवाए गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 07:32 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 06:14 AM (IST)
वेणु वन में रोपे जा रहे 40 प्रजाति के 6 हजार पौधे, बुद्धा बांस आकर्षण का केन्द्र
वेणु वन में रोपे जा रहे 40 प्रजाति के 6 हजार पौधे, बुद्धा बांस आकर्षण का केन्द्र

राजगीर। वेणु वन में रविवार को बुद्धा बांस व अन्य पौधे रोपकर पृथ्वी दिवस मनाया गया। सबकुछ तय योजना के अनुसार चलता रहा तो अक्टूबर के आखिर तक वेणु वन की सार्थकता साबित हो जाएगी। भगवान बुद्ध का प्रिय प्रवास स्थल नए स्वरूप में नजर आएगा। वेणु वन के विस्तार व सौंदर्यीकरण की थीम बुद्ध काल पर ही आधारित है। इसके लिए देश के अलग-अलग राज्यों से 40 प्रजाति के 6 हजार पौधे मंगवाए गए हैं। इनमें बुद्धा प्रजाति के नाम से विकसित बांस के पौधे आकर्षण का केन्द्र होंगे।

राजगीर में 29 करोड़ की लागत से 21.63 एकड़ क्षेत्र में भगवान बुद्ध के प्रिय प्रवास स्थल वेणु वन के विस्तारीकरण, जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण का कार्य अंतिम चरण में है। लॉकडाउन के बावजूद यहां विशेष आदेश से कार्य जारी है। वेणु वन में लगभग 40 प्रजातियों के 6 हजार बांस के पौधे लगाने की तैयारी है। ये पौधे विभिन्न राज्यों से मंगाए गए हैं। काम अक्टूबर के अंतिम या नवंबर के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लिया जाएगा। इरादा वेणुवन को बुद्धकालीन स्वरूप देने का है। वेणु का अर्थ ही बांस होता है। बुद्धा बांस को विशेष रूप से लगाया जा रहा है। अभी तक 30 प्रजातियों के 5 हजार 3 सौ पौधे लगाए जा चुके हैं। विभिन्न प्रजाति के 7 सौ पौधे असम से मंगाए गए हैं। इन्हें वेणुवन विहार परिसर विस्तार के पार्ट तीन में रोपा जाएगा।

ग्रो मोर फूड नर्सरी हैदराबाद के गार्डेनर केशव मिश्रा ने बताया कि वेणु वन विहार के विस्तारीकरण, जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण का काम काफी तेजी से चल रहा है। जिसके अक्टूबर के अंतिम या नवंबर के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लिया जाएगा।

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विपश्यना केन्द्र व सरोवर किनारे का रैंप होगी खासियत

बता दें कि लगभग 29 करोड़ की लागत से कुल 21.63 एकड़ क्षेत्र को तीन हिस्से में बांटकर विकसित किया जा रहा है। जिसमें 10.33 एकड़ भूमि वेणुवन विहार की है। अतिरिक्त जमीन राजस्व विभाग तथा डिस्ट्रिक बोर्ड की है। जिसमें बौद्ध विपश्यना केन्द्र, ध्यानकक्ष तथा इस केन्द्र से सीधे सरोवर के तट तक नई सीढ़ी, सरोवर तट तक रैंप व डेक बनाए जा रहे हैं। मुख्य नीतीश कुमार के निर्देश पर बांस के जंगल और झुरमुट विकसित हो रहा है।

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बांस की ये प्रजातियां आएंगी नजर

मध्य तथा दक्षिण-पश्चिम भारत व म्यांमार का बैब्यूसा अरंडिनेसी यानी वेदुर बांस। बंगाल, असम तथा म्यांमार का कांटेदार बांस यानी बैंब्यूसा स्पायनोसा, हिदी में इसे बिहार बांस कहते हैं। बंगाल का मुख्य बांस टूल्ला, जिसे हिदी में पेका बांस कहते हैं। बैंब्यूसा वलगैरिस पीली एवं हरी धारीवाला बांस, जो पूरे भारत में पाया जाता है।  डेंड्रोकैलैमस के अनेक वंश, जो शिवालिक पहाड़ियों तथा हिमालय के उत्तर-पश्चिमी भागों और पश्चिमी घाट से लाए गए हैं। पूर्वी बंगाल एवं वर्मा का मैलोकेना बांस।

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ये हैं बांस के फायदे

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विशेष वन प्रक्षेत्र राजगीर के वनक्षेत्र पदाधिकारी एस के वर्मा ने बताया कि बांस के लंबे-लंबे पड़े भले ही पर्याप्त छाया न देते हों, पर इनके फायदे अनेक हैं। ये न केवल जीवनदायिनी ऑक्सीजन के महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं, बल्कि माहौल से दुर्गंध मिटाने में भी असरदार हैं। ये वातावरण से जितनी मांत्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, उसके बदले करीब 35 फीसदी ऑक्सीजन देते हैं। इसकी जड़ें जमीन और पानी से धातुओं को खींच लेती हैं। हर्बल औषधि के रूप में भी बांस का उपयोग प्राचीन काल से होता रहा है।

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पृथ्वी दिवस पर पौधे लगाकर हरियाली बनाए रखने की शपथ

वेणुवन विहार में रविवार पृथ्वी दिवस पर पौधारोपण कर विशेष वन प्रक्षेत्र राजगीर के वनक्षेत्र पदाधिकारी एस के वर्मा के नेतृत्व में वनकर्मियों ने हरियाली और पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने का दायित्व निभाते रहने की शपथ ली। कहा कि हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। इस अवसर पर वनपाल रामप्रवेश व दीपक कुमार सिन्हा, वनरक्षी शंकर कुमार पासवान, गार्डेनर केशव मिश्रा, विद्यानंद यादव, लालो यादव, सनोज चौधरी, छोटी कुमारी व संजू कुमारी सहित अन्य वन्यकर्मी उपस्थित रहे।

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