Darbhanga News: विश्वविद्यालय पंचांग 2020-21 हुआ प्रकाशित, कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने किया ऑनलाइन विमोचन

शुभ मुहूर्त व तिथि का अब आसानी से होगा निर्धारण। पर्व-त्योहारों के समय को लेकर ऊहापोह हुआ खत्म। गल मीट एप के जरिए कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने ऑनलाइन विमोचन किया।

By Murari KumarEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2020 06:03 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 06:03 PM (IST)
Darbhanga News: विश्वविद्यालय पंचांग 2020-21 हुआ प्रकाशित, कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने किया ऑनलाइन विमोचन
Darbhanga News: विश्वविद्यालय पंचांग 2020-21 हुआ प्रकाशित, कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने किया ऑनलाइन विमोचन

दरभंगा, जेएनएन। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित पूरे देश में चर्चित विश्वविद्यालय पंचांग 2020-21 का  गुरुवार को गूगल मीट एप के जरिए  कुलपति प्रो. राजेश सिंह  ने ऑनलाइन विमोचन किया। इस तरह कोरोना संक्रमण काल के कारण पंचांग प्रकाशन में हो रहे थोड़े  बिलंब से उत्पन्न उहापोह खत्म हो गया और वर्षों से विश्वसनीय विश्वविद्यालय पंचांग अब आमजनों के लिए बाजार में बिक्री के लिए सुलभ हो जाएगा। ऑनलाइन विमोचन के मौके पर विश्वविद्यालय के लगभग सभी पदाधिकारी एप के माध्यम से जुड़े रहे। कुलपति ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि विपरीत समय के बावजूद विश्वविद्यालय ने पंचांग का प्रकाशन कर ऐतिहासिक कार्य किया है। पंचांग सामग्री के समायोजन में लगे सभी विद्वानों को भी उन्होंने धन्यवाद दिया। 

 इसके पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीन प्रो. शिवकांत झा ने विश्वविद्यालय पंचांग की महत्ता व सर्वकालिक उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सभी तरह के मांगलिक आयोजनों व शुभ मुहूर्त की गणना में यह पंचांग सर्वोत्तम है। समय-काल-तिथि की विवरणी व इसके उपयोग को पंचांग में सर्वसुलभ किया गया है। प्रो. झा ने पंचांग प्रकाशन में आ रही प्रशासनिक बाधाओं को हरसंभव दूर करने के लिए कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया।

पंचांग के मुख्य पृष्ठ पर चिपकाया गया विवि का होलोग्राम 

उपकुलसचिव निशिकांत ने बताया कि माह आश्विन के अधिमास यानी मलेमास होने के कारण इस बार पंचांग के कुल 46 पेज रखे गए हैं। इसकी डुप्लीकेसी न हो इसके लिए विश्वविद्यालय का होलोग्राम भी पंचांग के मुख्य पृष्ठ पर चिपकाया गया है। पंचांग प्रकाशन की जिम्मेदारी स्थानीय गुल्लोंबाड़ा के बालाजी ऑफसेट प्रेस को दी गई है।

मिथिला की संस्कृति व परंपराओं को आधार पर तिथि का निर्धारण

मालूम हो कि 1978 से विश्वविद्यालय पंचांग का प्रकाशन जारी है। मूलत: मिथिला की संस्कृति व परंपराओं को आधार मानकर पंचांग में शुभ मुहूर्त व तिथि का निर्धारण किया जाता है। पंचांग की व्यापकता देश-विदेश तक फैली हुई है। इसके विमोचन से पर्व त्यौहारों के समय-तिथि को लेकर चल रही उहापोह की स्थिति अब खत्म हो गई है।

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