अपना पेट काटकर लोगों की थाली में सब्जी परोस रहे किसान

मीनापुर कांटी साहेबगंज एवं पश्चिमी दियारा में बड़े पैमाने पर होती है सब्जी की खेती। सब्जी उत्पादक किसानों को नहीं मिल रहा सरकारी संरक्षण जनप्रतिनिधि भी नहीं लेते सुध।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 06:43 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 06:43 PM (IST)
अपना पेट काटकर लोगों की थाली में सब्जी परोस रहे किसान
अपना पेट काटकर लोगों की थाली में सब्जी परोस रहे किसान

मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। सब्जी उत्पादन में उत्तर बिहार में अव्वल मीनापुर, कांटी, मोतीपुर एवं पश्चिम दियरा के किसान शासन-प्रशासन की अनदेखी के शिकार हंै। सरकारी संरक्षण के अभाव एवं उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण वे अपना पेट काटकर लोगों की थाली में सब्जी परोस रहे हैं। पर उनको न देखने वाला कोई है और न ही मदद करने वाला। वे भगवान भरोसे खेती कर रहे हैं। यदि उत्पादन बढ़ाने और उनके विपणन (मार्केटिंग) की व्यवस्था हो, उत्पादन का सही मूल्य मिले और सब्जी आधारित लघु उद्योग स्थापित किए जाएं तो न सिर्फ किसानों की किस्मत बदल जाएगी ,बल्कि क्षेत्र का आर्थिक विकास भी होगा।

 रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। सरकारी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी उनकी सुध नहीं ले रहे। आसन्न लोकसभा चुनाव में मुद्दा बने सब्जी उत्पादक किसान की हालत एवं सब्जी उत्पादन करने वाले हजारों किसानों की स्थिति पर रिपोर्ट।

बिचौलिया मालामाल, सब्जी उत्पादक बदहाल

मीनापुर प्रखंड का खेमाई पटट्टी, मुस्तफा गंज, महदईया, दातीपट्टी, खरहर, टेंगरारी, भूसौल एवं नकनेता, कांटी प्रखंड का कांटी टरमा, रेपुरा, विसुनपुर पानापुर एवं डुमरिया गांव के पचास हजार से अधिक किसान सब्जी की खेती करते हैं। मोतीपुर एवं पश्चिमी दियारा में सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। इन क्षेत्रों से उत्पादित सब्जी उत्तर बिहार की विभिन्न मंडियों तक पहुंच रही है। मीनापुर के खेमाई पट्टी, नेउरा एवं मुस्तफा गंज बाजार पर सब्जी खरीदने वाले उत्तर बिहार के व्यापारियों की रोजाना भीड़ लगती है। जब उनसे बात की गई तो उनके चेहरे पर निराशा के भाव दिखाई पड़े।

 किसान राजेश्वर साह ने कहा कि वे खून पसीना एक करके सब्जी उपजाते हैं, लेकिन उसका उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। जबकि उनकी सब्जी आढ़त, बाजार में ले जाने वाले बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह इसकी व्यवस्था करे ताकि उनको उचित मूल्य मिल सके। कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के कारण उन्हें औने-पौने दाम में सब्जी बेचनी पड़ती है। सरकार सब्जी किसानों के उत्थान, उचित मूल्य दिलाने को लेकर कुछ नहीं कर रही है।

किसानों का शोषण कर रही बीज व रसायन कंपनियां

बीज एवं विभिन्न प्रकार के रसायनों के नाम पर किसान प्रतिवर्ष ठगी के शिकार हो रहे हैं। विभिन्न कंपनियों के नाम पर किसानों को घटिया बीज देकर आर्थिक शोषण किया जाता है। किसान संजय सहनी का कहना है कि सब्जी उत्पादक किसानों की समस्या उन्नत किस्म के बीज एवं रोग से बचाव हेतु रसायन की है। बीज एवं विभिन्न प्रकार के रसायनों के नाम पर किसान प्रतिवर्ष ठगी का शिकार हो रहे हैं। विभिन्न कंपनियों के नाम पर किसानों को घटिया बीज देकर आर्थिक शोषण किया जाता है। ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती।

जानकारी का अभाव, पारंपरिक खेती को बाध्य सब्जी उत्पादक

कृषि कार्यालय से संबंधित सलाहकार न सब्जी उत्पादक किसानों को समय पर सलाह देते हैं और न ही नई तकनीक द्वारा सब्जी उत्पादन के गुर सिखाते हैं। इसके कारण सब्जी उत्पादक किसान वैज्ञानिक एवं नई पद्धति के बजाय पारंपरिक ढंग से ही सब्जी का उत्पादन करते हैं। इससे उनको लाभ नहीं मिल पाता। किसानों का कहना है कि यदि सरकारी स्तर पर सलाह एवं सहयोग मिले जो सब्जी की खेती को चार चांद लग जाए।

नहीं मिलता बीमा का लाभ

किसान राजेश कुमार कहते हैं कि प्राकृतिक आपदा एवं भंडारण की सुविधा नहीं रहने के कारण सब्जी उत्पादकों को भारी नुकसान होता है। सब्जी उत्पादन के लिए बीमा की सुविधा नहीं। यदि उनको बीमा लाभ मिले तो किसानों को नुकसान नहीं होगा।

नील गाय के आतंक से परेशान सब्जी उत्पादक

नील गायों की बढ़ती संख्या सब्जी की खेती के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। किसान सूरज ठाकुर कहते हैं कि सब्जी की खेती करने वाले नील गाय के आतंक से परेशान हैं। पूरे खेत की फसल के नष्ट कर देते हंै। किसानों को दिन-रात अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ती है। शिकायत दर शिकायत के बाद भी इस समस्या का हल नहीं हुआ।

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