प्रकृति से बिठाया सामंजस्य तो माटी उगलने लगी 'सोना'

बेहतर प्रबंधन हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती। इस बात को चरितार्थ किया है पश्चिमी चंपारण के रामनगर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित गोब‌र्द्धना के ग्रामीणों ने।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 12:30 PM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 12:30 PM (IST)
प्रकृति से बिठाया सामंजस्य तो माटी उगलने लगी 'सोना'
प्रकृति से बिठाया सामंजस्य तो माटी उगलने लगी 'सोना'

मुजफ्फरपुर। बेहतर प्रबंधन हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती। इस बात को चरितार्थ किया है पश्चिमी चंपारण के रामनगर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित गोब‌र्द्धना के ग्रामीणों ने। वनवर्ती तीन पंचायतों के लोगों ने प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाया तो क्षेत्र की माटी सोना उगलने लगी। दरअसल, पहले गोब‌र्द्धना पहाड़ी से निकले छोटे जलप्रपातों का पानी बेकार हो जाता था। ग्रामीणों ने वर्षो पूर्व छोटे-मोटे बांध बनाकर इसका रुख खेतों की ओर मोड़ दिया। इसके लिए कच्ची पइन भी बनाई। अब हर मौसम मे सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है।

मनचंगवा, परसौनी और मेघवल मठिया पंचायत से जुड़े दर्जनों गांवों के किसानों को अब सूखे की ¨चता नहीं सताती। यह सब हुआ है उनकी मेहनत के चलते। वैसे तो इसकी नींव आजादी के बाद स्थानीय जमींदारों ने रखी, लेकिन इसे पूरा ग्रामीणों ने वर्षो बाद अपनी मेहनत और वैज्ञानिक सोच से किया। गोब‌र्द्धना पहाड़ी से निकले जलप्रपातों का पानी बेकार न जाए, इसके लिए छोटे-मोटे बांध बनाए। फिर चौड़ी पइन खोदी गई। इसके जरिए खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई। किसानों की मांग पर विधायक फंड से घोड़ाघाट के समीप नूनराहा गाइड बांध बनाया गया।

500 से अधिक किसान हो रहे लाभान्वित : छोटे-छोटे बांध के चलते मनचंगवा, परसौनी और मेघवल मठिया पंचायत के तकरीबन 500 से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। 100 एकड़ से अधिक खेत की सिंचाई हो रही है। मनचंगवा के सरपंच ब्रज किशोर साह के अलावा सर्वेश महतो और किसान राधेश्याम गुप्ता बताते हैं कि सिंचाई के लिए हर मौसम में पानी मिलता रहता है। सूखे की चिंता नहीं सताती। काफी देर से पकने वाली बासमती तथा आनंदी धान के लिए तो यह प्राणदायक है। इससे किसानों में समृद्धि आई है।

प्रशासन ने पहल नहीं की तो बांध की खुद करेंगे मरम्मत : मनचंगवा के मुखिया रामकृष्ण खतईत कहते हैं कि नूनराहा गाइड बांध से फसलों को सिंचाई के लिए पानी मिलता रहा है। बीते वर्षकी बाढ़ में बांध का बड़ा हिस्सा ध्वस्त होने से जल प्रवाह की दिशा बदल गई है। जलप्रपातों का पानी ढोंगही नदी में जाकर मिल जाता है। प्रशासन ने पहल नहीं की तो किसानों के साथ मिलकर बांध की मरम्मत की जाएगी।

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