गेहूं की लहलहाती फसल को देख मुजफ्फरपुर के डीएम का मन मचला, हंसिया लेकर उतर गए खेत में

मुशहरी प्रखंड की प्रहलादपुर पंचायत में गेहूं की फसल कटनी प्रयोग का डीएम ने किया निरीक्षण उपज सामान्य से कम पाया गया। उपस्थित लोगों ने डीएम के पहल की सराहना की। किसान सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि अब इसमें मूंग की बुआई होगी और उसके बाद धान रोपा जाएगा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:16 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 08:16 AM (IST)
गेहूं की लहलहाती फसल को देख मुजफ्फरपुर के डीएम का मन मचला, हंसिया लेकर उतर गए खेत में
किसान बने मुजफ्फरपुर के डीएम ने प्रशिक्षु आइएएस के साथ काटी गेहूं की फसल। फोटो: जागरण

मुजफ्फरपुर, जासं। मुशहरी प्रखंड की प्रहलादपुर पंचायत में गेहूं की फसल कटनी प्रयोग का निरीक्षण जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने किया। इस दौरान उन्होंने प्रशिक्षु आइएएस श्रेष्ठ अनुपम और कृषि विभाग के पदाधिकारियों के साथ मिलकर हंसिया से फसल की कटनी भी की। प्रखंड में फसल की स्थिति की जानकारी ली। किसान सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि अब इसमें मूंग की बुआई होगी और उसके बाद धान रोपा जाएगा। प्रयोग के तौर पर 10 मीटर/5 मीटर क्षेत्र में काटी गई गेहूं की फसल की दौनी थ्रेशर से कराई। प्रति एकड़ गेहूं फसल की उपज का आकलन किया गया जो सामान्य औसत से कम पाया गया। उन्होंने कृषि विशेषज्ञों के साथ विमर्श कर गेहूं के गुणवत्तायुक्त और बेहतर उत्पादन के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।

इस बार गेहूं की उपज औसत से कम

फसल कटनी के प्रयोगकर्ता कृषि सलाहकार रोहन कुमार और पर्यवेक्षक प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी राघवेंद्र नारायण ने बताया कि 10/5 मीटर (सवा डिसमिल) जमीन में गेहूं की उपज 19.280 किग्रा. पाई गई। थोड़ा बेहतर होता तो कम से कम 30 किग्रा.उपज होती। मौके पर जिला सांख्यिकी पदाधिकारी प्रवीण कुमार, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी पूर्वी सह प्रभारी डीएओ कामता प्रसाद, एएसओ रंजीत कुमार, सत्येंद्र दत्ता, मानवेंद्र कुमार, मनीष कुमार, बीडीओ महेश चंद्र, बीएओ सुधीर कुमार मांझी, बीसीओ माजिद अंसारी, कृषि परामर्शी सुनील शुक्ला सहित सभी किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक उपस्थित थे।

सीतामढ़ी की डीएम भी कर चुकीं यह काम

वैसे किसी भी डीएम का खेती को लेकर इस तरह का प्यार दिखाना कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले सीतामढ़ी की डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने भी इसका तरह का काम किया था। उनकी इस पहल काे भी लोगों ने खूब सराहा था। किसानों का कहना है कि इससे उत्साह बढ़ता है। बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है। खासकर नई पीढ़ी के अंदर खेती को लेकर जो एक नकारात्मकता है वह कम होगी।

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